मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, सैकड़ों कर्मचारियों के बदले गए पटल

 छात्र नेता की RTI और राजभवन के हस्तक्षेप के बाद कार्रवाई, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगने की उम्मीद
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मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू), मेरठ में प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए सैकड़ों कर्मचारियों के कार्यक्षेत्र में बदलाव किया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने रातों-रात बड़ी संख्या में कर्मचारियों के पटल बदल दिए हैं, जिससे विश्वविद्यालय के प्रशासनिक गलियारों में हलचल मच गई है।READ ALSO:-मेरठ में अलविदा जुमे पर वक्फ संशोधन बिल का विरोध, नमाजियों ने काली पट्टी बांधकर जताया विरोध

 

यह व्यापक प्रशासनिक फेरबदल छात्र नेता विनीत चपराना द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत दायर की गई एक याचिका के बाद सामने आया है। विनीत चपराना ने अपनी आरटीआई में यह जानकारी मांगी थी कि विश्वविद्यालय में कितने कर्मचारी ऐसे हैं जो लंबे समय से एक ही पद पर कार्यरत हैं। आरटीआई से प्राप्त जानकारी में यह खुलासा हुआ कि कई कर्मचारी वर्षों से एक ही सीट पर जमे हुए थे, जिससे कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे थे।

 

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छात्र नेता विनीत चपराना ने सीधे राजभवन में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने अपनी शिकायत में विश्वविद्यालय में व्याप्त कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था। राजभवन ने छात्र नेता की शिकायत पर त्वरित संज्ञान लिया और विश्वविद्यालय प्रशासन को इस मामले में नियमानुसार उचित कार्रवाई करने के सख्त निर्देश जारी किए।

 

राजभवन के निर्देशों के अनुपालन में, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए कल देर रात बड़ी संख्या में कर्मचारियों के कार्यक्षेत्र में बदलाव कर दिया। इस फेरबदल में विभिन्न विभागों और अनुभागों के सैकड़ों कर्मचारियों को स्थानांतरित किया गया है।

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इस प्रशासनिक बदलाव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए छात्र नेता विनीत चपराना ने कहा कि विश्वविद्यालय में लंबे समय से छात्रों से अवैध वसूली की जा रही थी और कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों के कारण छात्रों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने विश्वास जताया कि इस पटल परिवर्तन से विश्वविद्यालय के कामकाज में पारदर्शिता आएगी और छात्रों को काफी हद तक राहत मिलेगी। चपराना ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई किसी विशेष व्यक्ति के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ है जो विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल कर रहे हैं और छात्रों का शोषण कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस कार्रवाई से विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और छात्रों के हितों की रक्षा हो सकेगी।

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विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस प्रशासनिक फेरबदल पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि यह कदम विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली में सुधार और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस फेरबदल से विश्वविद्यालय के कामकाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह आने वाले दिनों में देखने वाली बात होगी।

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