सरकार का बड़ा फैसला : Free Fire सहित कई गेम्स पर लगाया प्रतिबंध, लाइकी और बिगो लाइव को बंद करने की तैयारी
सरकार का मानना है कि हिंसक गेम्स से बच्चों में हिंसा की आदत पनप रही है। इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में भी शिकायत की जा चुकी है। जिस पर संज्ञान लेते हुए बांग्लोदश हाईकोर्ट ने सरकार को इन एप को तीन माह के दौरान बंद करने के आदेश दिए थे।
Aug 25, 2021, 20:12 IST
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ऑनलाइन गेम्स से बच्चों के व्यवहार में लगातार बदलाव देखा जा रहा है। कई रिपोर्ट्स में खुलासे भी हुए हैं कि लगातार हिंसक गेम्स के बीच रहने के कारण बच्चों में अपराधिक प्रवृत्ति पनप रही है। जिसको देखते हुए अब बांग्लोदश सरकार के दूरसंचार नियामक आयोग ने डीओटी को पबजी और फ्री फायर जैसे गेम्स को इंटरनेट व ऐप पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए हैं।
जानकारी के अनुसार बाग्लादेश की उच्च न्यायालय ने कई रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए सरकार को पबजी, फ्री फायर जैसे गेम्स सहित इस प्रकार की एप या ऑनलाइन गेम्स को प्रतिबंध करने के आदेश दिए है। जिसके बाद बाग्लादेश के दूरसंचार नियामक आयोग ने आदेश मानते हुए दूरसंचार विभाग (डीओटी) को पबजी, फ्री फायर जैसे गेम्स को तुरंत बंद करने के आदेश दे दिए हैं। read also : राजस्थान में गिरा MiG-21 Bison लड़ाकू विमान, पायलेट घायल।
इस मामले में बीटीआरसी के वाइस चेयरमैन सुब्रत रॉय मैत्रा ने बुधवार को मीडिया को बताया कि इस संबंध में दूरसंचार विभाग (डीओटी) को निर्देश दिया गया है।। ऐप या वेबसाइट को पूरी तरह से बंद करने के लिए, इंटरनेट गेटवे, साथ ही ब्रॉडबैंड और मोबाइल ऑपरेटरों को दूरसंचार विभाग के निर्देश मानने होंगे। read also : Realme GT 5G, Realme GT Master Edition और Realme Book Slim भारत में होंगे लॉन्च, देखें लाइव स्ट्रीम।
उन्होंने कहा कि अन्य खतरनाक एप्स जैसे टिकटॉक, बिगो लाइव और लाईकी को भी बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। BTRC मूल्यांकन कर रहा है और समीक्षा कर रहा है कि इस सूची के तहत किन ऐप्स को लाया जाना था। हालाँकि, इन ऐप्स को बंद करने के बावजूद, उन्हें अभी भी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) सेवाओं के उपयोग के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है, जिसके लिए आगे की कार्रवाई की आवश्यकता होगी।
उच्च न्यायालय का यह आदेश जून में दायर एक याचिका के जवाब में आया था। जिसमें बच्चों और युवाओं पर इन ऐप्स के हानिकारक प्रभावों का हवाला दिया गया था। याचिका में कहा गया है कि यह किशोरों के बीच हिंसक मानसिकता पैदा करता है और देश की संस्कृति और मूल्य को नुकसान पहुंचाता है।