ट्रंप के टैरिफ का असर: अमेरिका में बना तो ₹3 लाख तक पहुंच सकती है आईफोन की कीमत, जानें वजह

 अमेरिकी प्रोडक्शन की लागत और जटिल सप्लाई चेन बनेंगे कारण, चीन पर निर्भरता घटाने के लिए भारत-ब्राजील पर ऐपल की नजर
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वाशिंगटन/नई दिल्ली, 11 अप्रैल 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अन्य देशों से आने वाले सामान पर लगाए गए भारी आयात शुल्क (टैरिफ) के बाद से टेक्नोलॉजी जगत, खासकर ऐपल आईफोन को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। चर्चा इस बात पर केंद्रित है कि क्या इन टैरिफ के कारण आईफोन की कीमतें आसमान छू सकती हैं। राष्ट्रपति ट्रंप का मानना है कि इस कदम से कंपनियां अमेरिका में उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित होंगी, जिससे लाखों नौकरियां पैदा होंगी। हालांकि, विशेषज्ञों का एक वर्ग चेतावनी दे रहा है कि इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा और स्मार्टफोन जैसे उत्पाद महंगे हो जाएंगे।READ ALSO:-Vivo V50e 5G भारत में लॉन्च: कर्व्ड डिस्प्ले, 50MP सेल्फी कैमरा और AI फीचर्स से लैस, जानें कीमत व सेल डेट

 

अमेरिका में प्रोडक्शन तो कीमत तीन गुना?
सीएनएन (CNN) की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि ऐपल अपने आईफोन का उत्पादन अमेरिका में करती है, तो इसकी कीमत मौजूदा $1000 (लगभग ₹86,041) से बढ़कर $3500 (लगभग ₹3,01,146) तक पहुंच सकती है। इसका मतलब है कि कीमतें लगभग तीन गुना तक बढ़ सकती हैं। इस भारी वृद्धि के पीछे मुख्य कारण अमेरिका में हाई-टेक फैक्ट्री स्थापित करने और उसके रखरखाव की अत्यधिक उच्च लागत है।

 

वर्तमान में, ऐपल के अधिकांश आईफोन चीन में असेंबल किए जाते हैं, जहां श्रम लागत काफी कम है। अमेरिका में उत्पादन करने के लिए ऐपल को न केवल अरबों डॉलर खर्च कर नई फैक्ट्रियां लगानी होंगी, बल्कि वहां श्रम लागत भी काफी अधिक होगी। अनुमान है कि अगर ऐपल अपनी सप्लाई चेन का सिर्फ 10 फीसदी हिस्सा भी अमेरिका शिफ्ट करती है, तो इसमें कम से कम 3 साल का समय और लगभग 30 बिलियन डॉलर (करीब 25.8 ट्रिलियन रुपये) का भारी भरकम खर्च आएगा।

 

ऐपल की जटिल ग्लोबल सप्लाई चेन
आईफोन की लागत कम रखने में ऐपल की जटिल अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन का बड़ा हाथ है। फोन में लगने वाले विभिन्न पार्ट्स दुनिया के अलग-अलग देशों से आते हैं। उदाहरण के लिए, प्रोसेसर ताइवान में बनते हैं, स्क्रीन दक्षिण कोरिया में, और कई अन्य पार्ट्स चीन में तैयार होते हैं। इन सभी पार्ट्स को अंततः चीन स्थित फैक्ट्रियों में असेंबल किया जाता है और फिर तैयार आईफोन दुनिया भर में भेजे जाते हैं। यह मॉडल ऐपल को लागत प्रभावी ढंग से उत्पादन करने और मुनाफा कमाने में मदद करता है।

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टैरिफ का ऐपल पर असर और भविष्य की रणनीति
ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ की घोषणा के बाद से ऐपल के शेयरों में लगभग 25 फीसदी तक की गिरावट देखी गई है। चीन पर अपनी अत्यधिक निर्भरता को लेकर चिंतित ऐपल अब अपने उत्पादों को तैयार करने के लिए वैकल्पिक स्थानों की तलाश तेज कर रही है। कंपनी चीन पर निर्भरता कम करने और टैरिफ के प्रभाव से बचने के लिए भारत और ब्राजील जैसे देशों में उत्पादन बढ़ाने पर विचार कर सकती है, जहां टैरिफ संबंधी नियम या लागत कम अनुकूल हो सकती है।

 

यह स्थिति ऐपल के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती है, जहां उसे अमेरिकी सरकार की नीतियों और अपनी वैश्विक, लागत-प्रभावी उत्पादन रणनीति के बीच संतुलन बनाना पड़ रहा है।
SONU

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