कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का लोकसभा में वक्फ बिल पर BJP पर हमला, कहा-'सौगात-ए-मोदी' उचित नहीं, मैं भी रामजी का वंशज, मुझे भी राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल करो

लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिस तरह यह वक्फ बोर्ड बिल संसद में लाया गया है, वह उचित नहीं है। मसूद ने कहा, "हमें सौगात में शिक्षा और रोजगार दीजिए, न कि गोलियां। मैं भी रामजी का वंशज हूं, तो मुझे राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल किया जाए।"
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IMRAM MASOOD
लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पर चल रही चर्चा के दौरान, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने इस बिल को "सौगात-ए-मोदी" (मोदी का उपहार) करार देते हुए कहा कि जिस तरह से इसे लाया गया है, वह बिल्कुल भी उचित नहीं है। सांसद मसूद ने सरकार से मांग की कि उन्हें सौगात के रूप में शिक्षा और रोजगार प्रदान किए जाएं, न कि ऐसे बिल। उन्होंने देश में हो रही हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि जो गोलियां लोगों की छाती पर मारी जा रही हैं, उसे बंद किया जाना चाहिए।READ ALSO:-सहारनपुर में टला बड़ा रेल हादसा, पटरी से उतरने से बची देहरादून-दिल्ली जनशताब्दी एक्सप्रेस, 50 मीटर ट्रैक क्षतिग्रस्त

 

इमरान मसूद ने एक अप्रत्याशित बयान देते हुए कहा कि वह भी रामजी के वंशज हैं और उन्होंने मांग की कि उन्हें राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल किया जाए। उनके इस बयान ने सदन में कुछ देर के लिए सबका ध्यान आकर्षित किया।

 

सांसद मसूद ने मुसलमानों की वक्फ संपत्तियों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नजर मुसलमानों की वक्फ की जमीनों पर है और वह किसी न किसी तरीके से इन पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहती है। उन्होंने कहा कि वक्फ बिल का मसौदा तैयार करने वाले लोगों को भी इस कानून की बारीकियों के बारे में पूरी जानकारी नहीं है।

 

उन्होंने वक्फ की जमीनों पर कब्जे के नियमों में बदलाव का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि पहले वक्फ की जमीनों पर गैर-जमानती कब्जा होता था, लेकिन अब इसे जमानती धाराओं में लाया गया है। मसूद ने आशंका जताई कि सरकार इस बदलाव के माध्यम से वक्फ की जमीनों पर कब्जे को और बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वक्फ को मुसलमान अच्छी तरह से जानते और समझते हैं।

 

सांसद ने वक्फ के मुद्दों को हल करने के लिए गठित की गई कमेटी की संरचना पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि इस कमेटी में 13 सदस्यों में से 11 सदस्य गैर-मुस्लिम होंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या किसी अन्य धर्म के ट्रस्ट में गैर-धार्मिक व्यक्ति को सदस्य के रूप में रखा जाता है? उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में मुसलमानों को न्याय कैसे मिलेगा, जब उनके धार्मिक मामलों से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय गैर-मुस्लिम सदस्यों द्वारा लिए जाएंगे।

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इमरान मसूद ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने देश में सामाजिक समानता की बात की थी। उन्होंने जोर दिया कि देश में केवल राजनीतिक लोकतंत्र ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि सामाजिक लोकतंत्र की भी स्थापना जरूरी है।

 

सांसद ने उत्तर प्रदेश में वक्फ की जमीनों पर सरकारी कब्जे के मामलों को भी उठाया। उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में लगभग 78 प्रतिशत वक्फ की जमीनों को सरकारी संपत्ति बता दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इसी तरह कर्नाटक में भी कई वक्फ जमीनों पर सरकार ने कब्जा कर लिया था। इमरान मसूद के इन बयानों से लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा और भी गरमा गई।
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