यूपी में बड़ा राजनीतिक खेल : 7 विधायक सपा में शामिल, BJP MLA भी साइकिल पर हुए सवार

 सपा के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की मौजूदगी में प्रदेश के 7 विधायकों ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन (Samajwadi Party) कर ली। इसमें भाजपा (BJP) के मौजूद विधायक राकेश राठौर भी शामिल है।

 
UP Assembly Election 2022 उत्तरप्रदेश में शनिवार को बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला है। दरअसल सपा के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की मौजूदगी में प्रदेश के 7 विधायकों ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन (Samajwadi Party) कर ली। बड़ी बात यह है कि इसमें भाजपा (BJP) के मौजूद विधायक राकेश राठौर भी सपा में शामिल हो गए हैं। इसके अलावा बसपा (BSP के बागी विधायक असलम राईनी, असलम चौधरी, मुजतबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद, हरगोविंद भार्गव, सुषमा पटेल शामिल हैं।

 

बता दें कि अब तक कई नेता सपा में शामिल हो चुके हैं। बसपा के बागी विधायकों ने सपा की सदस्यता ग्रहण करते मसय कहा कि बिना किसी कारण उन्हें निलंबित किया गया था। वे लंबे समय से पार्टी में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे। निलंबन के दौरान जितना सम्माम समाजवादी पार्टी की तरफ से उन्हें मिला उतना सम्मान कहीं नहीं मिला। सभी विधायकों ने कहा कि जनता बदलाव देखना चाहिती है और जनता की इच्छा का आदर करते हुए हम समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं। Read Also : शिवपाल ने दिए इस बड़ी पार्टी से गठबंधन के संकेत, कहा- अखिलेश नहीं माने तो उनसे चल रही है बात

 

BJP का सफाया होगा

विधायकों को सपा की सदस्यता ग्रहण कराते समय अखिलेश यादव ने कहा कि अभी और भी नेता हमारी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं, भाजपा सरकार से नेता और जनता दोनों ही दुखी है। भाजपा ने धोखा किया है, इस चुनाव में बीजेपी का सफाया होना तय हो चुका है। Read Also : हाईटेक चुनाव प्रचार के नाम पर राजनीतिक दलों के लिए चोरी हो रहा आपका पर्सनल डाटा, सोशल मीडिया पर घूम रहे फर्जी लिंक्स

 

अखिलेश ने कहा कि भाजा ने प्रदेश की जनता के साथ धोखा किया है। जनता से किए वादे पूरे नहीं किए, मंडियां बंद कर दीं। आज तक किसी भी पार्टी को बीजेपी से ज्यादा बहुमत नहीं मिला, लेकिन इसके बावजूद नौजवानों को बदले में लाठियां मिली। आज प्रदेश जिस तरह से चलाया जा रहा है उसमें आम लोगों से लेना देना नहीं है। कुछ मुट्ठी भर लोग एसी कमरों में फैसला लेते हैं। महंगाई की वजह से जनता बेहाल है, सरकार सिर्फ बातों के जरिए सुराज के सपने दिखा रही है। 

 

क्या कहते हैं जानकार

उधर राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चुनावों के समय पर इस तरह की टूट-फूट का राजनीतिक दलों पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है। इसका उदहारण हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुए चुनावों से लिया जा सकता है। यदि पार्टी में टूट फूट का असर पड़ता तो ममता बनर्जी कभी भी जीतकर नहीं आती। नेता सिर्फ अपने फायदे के लिए दल बदली करते हैं। जब चुनावी मौकों पर नेताओं और विधायकों को लगता है कि पार्टी से उन्हें टिकट नहीं मिलेगा तो वे इस तरह से दल बदलने का काम करते हैं, क्योंकि उन्हें अपना भविष्य खतरे में दिखाई पड़ता है। वहीं राजनीतिक दल दूसरे दल को कमजोर दिखाने के लिए दूसरी पार्टियों के नेताओं  को सम्मान के साथ शामिल करते हैं।