हाईटेक चुनाव प्रचार के नाम पर राजनीतिक दलों के लिए चोरी हो रहा आपका पर्सनल डाटा, सोशल मीडिया पर घूम रहे फर्जी लिंक्स

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election campaigning
Digital Election Campaigning: 2022 में उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर हैं। राजनीतिक दलों के लिए अब मैदान के साथ ही सोशल मीडिया भी प्रचार का एक बहुत बड़ा जरिया बन गया है। Whatsapp, facebook, Twitter समेत विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक दल जोर शेर से एक्टिव हैं और अपना प्रचार कर रहे हैं। हालांकि सोशल मीडिया पर प्रमोशन के लिए पार्टियां डिजिटल कम्युनिकेशन से जुड़ी तमाम एजेंसियों का सहारा ले रही हैं, लेकिन हाईटेक चुनावी प्रचार के लिए ये कंपनियां सोशल मीडिया के जरिए आम लोगों की प्राइवेसी में सेंध लगाकर डेटा चोरी कर रही हैं।

 

जी हां, दरअसल यह कंपनियां राजनीतिक पार्टियों की जरूरतों के हिसाब से राज्यवार, जिलावार और विधानसभा क्षेत्रवार लोगों के मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी और पोस्टल एड्रेस जुटा रही हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि इन कंपनियों तक खुद ही अपना डेटा भेजने वाले लोग इस चाल-फरेब से पूरी तरह अनजान हैं और नासमझी में डेटा की चोरी में इन कंपनियों और सायबर ठगों की मदद भी कर रहे हैं। Read Also : Bajaj Pulsar 250 Launched : कंपनी ने लॉन्च किए बजाज पल्सर 250 के दो मॉडल, कीमत बजट में है, वीडियो देखें

 

आम आदमी की प्राइवेसी के लिए गंभीर खतरा: संजय मिश्रा

नई दिल्ली स्थित तथ्य फोसेंरिसक के डायरेक्टर और सायबर एक्सपर्ट संजय मिश्रा के मुताबिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फ्री में लैपटॉप, सोलर पैनल, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और तत्काल पेटीएम कैश दिलाने जैसे लालच भरी लिंक के जाल में फंसकर हजारों लोग रोजाना अपनी प्राइवेसी खो रहे हैं और अपनी पूरी जानकारी इन कंपनियों और सायबर को मुहैया करा रहे हैं। वाट्सएप पर घूमने वाले फर्जी लिंक पर रजिस्ट्रेशन या कुछ आसान सवालों के जबाव वाले यह लिंक आम आदमी की प्राइवेसी के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं। बिना सोचे समझे हर दिन हजारों लोग इन लिंक को खुद तो खोलकर देखते ही हैं, बल्कि लालच में अंधे होकर दूसरों को भी फॉरवर्ड कर देते हैं। 

 

इलेक्शन और त्योहारों के समय ज्यादा सर्कुलेट होते हैं इस तरह के लिंक्स

संजय मिश्रा के मुताबिक इलेक्शन के समय पर इस तरह के लिंक्स बड़ी संख्या में सर्कुलेट होते हैं। दरअसल इलेक्शन की डिजिटल कैंपेनिंग के लिए राजनीतिक पार्टियों को बल्क में कॉन्सिटिटुएंसी वाइज लोगों को मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, एड्रेस की जरूरत होती है। ऐसे में डिजिटल मार्केटिंग एजेंसियां कमाई के लालच में इस तरह के लिंक्स के जरिये लोगों का डेटा चोरी करती हैं और फिर सोशल मीडिया पर राजनीतिक पार्टियों के प्रचार प्रसार करती हैं। वहीं त्योहारों के समय भी विभिन्न कंपनियों को अपने प्रोडक्ट के प्रचार प्रसार के लिए भी बल्क में डेटा की जरूरत होती है, ऐसे में त्योहारों के समय भी ऐसे लिंक्स बड़ी संख्या में सर्कुलेट होते हैं।

 

सायबर फ्रॉड के भी हो सकते हैं शिकार

संजय मिश्रा के मुताबिक इस तरह के लिंक्स के जरिये ये एजेंसियां लोगों का निजी डेटा जैसे मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, आईपी एड्रेस, लोकेशन और यहां तक की मोबाइल की गैलरी व कॉन्टेक्ट लिस्ट तक को चुरा लेती हैं। इसके अलावा कुछ लिंक्स लोगों से सरकारी योजनाओं के लिए रजिस्ट्रेशन के नाम पर थोड़ा बहुत पेमेंट भी करा लेते हैं। इससे वे फर्जी तरीके से पैसा तो एठते ही हैं साथ ही पेमेंट की जानकारी जैसे क्रेडिट या डेबिट कार्ड डिटेल आदि भी सेव कर लेते हैं। इससे व्यक्ति बड़े साइबर फ्रॉड का शिकार भी हो सकता है।

 

ये लिंक जो इन दिनों सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हैं

1. प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में अपने परिवार का नाम जोड़े और पाएं 12 हजार रुपए का चेक फ्री। आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2018 है। यहां से करे आवेदन। कृपया इस मैसेज को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और सारे ग्रुप्स में शेयर करे ताकि सभी गरीब परिवार को इस योजना का लाभ मिल सके।
http://Sarkari-yojana.club/आवास-योजना/

 

2. लैपटॉप वितरण योजना 2021: भारत का हर आदमी होगा डिजिटल, क्योंकि मोदी जी दे रहे हैं इस 15 अगस्त को फ्री लैपटॉप। 10 हजार लोगों को फ्री में दिए जाएंगे लैपटॉप। आज ही अपना नाम लिस्ट में रजिस्टर करवाएं -
http://laptop-yojna.india-govt.com

 

3. जल्दी से ओपन करो इसको, सिर्फ 4 क्वेश्चन का सही सही जवाब देने पर मिल रहा है 1000 रुपए का पेटीएम कैश। मेरे को मिल गया है, तुम भी ट्रॉई करो। -
http://paytm.quiz-reward.co.in

 

4.  अब हर घर होगा रोशन - सौर एंव उर्जा विभाग , भारत सरकार। अपना रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरे और अपनी नजदीकी तहसील से अपना सौर पैनल
 बिल्कुल फ्री प्राप्त करें। भारत सरकार द्वारा बांटे जा रहे हैं सोलर पैनल जल्दी यहां रजिस्टर करें।    
http://Free-Solar-Pannel.org/Registration

 

5. प्रधानमंत्री रामबाण सुरक्षा योजना : मैंने तो 4000 रूपये प्रधानमंत्री रामबाण सुरक्षा योजना से प्राप्त कर लिए, आप  भी अभी रजिस्ट्रेशन करें।
प्रधानमंत्री रामबाण सुरक्षा योजना के लिए रजिस्ट्रेशन हो रहा है, इस योजना के अंतर्गत सभी युवाओं को 4000 रूपये की मदद राशि मिलेगी। नीचे दी गयी लिंक से अभी रजिस्ट्रेशन करें
https://pm-rambaan--suraksha--yojnaa.blogspot.com/

 

6. Pinsu ने आपके लिए कुछ खास भेजा है
नीचे दी गई ब्लू लाइन को क्लिक करें
http://wish.kshare.in/?bl=Pinsu

 

क्या होता है, जब इस तरह की लिंक आप खोलते हैं

स्टेप-1 : लिंक खुलते ही आपसे नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, राज्य, पिनकोड और फुल एड्रेस के बारे में पूछता है। पिनकोड के बजाए सीधे शहर या गांव का नाम भी पूछा जाता है।
स्टेप-2 : अगले स्टेप पर बढ़ते ही इसे वॉट्सएप पर 1 से लेकर 10 लोगों या किन्हीं 5 ग्रुप में शेयर करने को कहा जाता है। ताकि आप अपने दोस्त और रिश्तेदारों को भी इसका फायदा लेने के लिए ऐसा करने को कह सकें।
स्टेप-3 : जैसे ही आप तीसरे स्टेप पर पहुंचते हैं तो पूरी विंडो या तो सफेद हो जाती है, या फिर कोई अन्य विज्ञापन आपके सामने खुलता है। तब तक रजिस्ट्रेशन के लिए आपके द्वारा भरी गई जानकारी लिंक के सर्वर को जा चुकी होती हैं। इसके बाद आपके पास कोई ऑप्शन नहीं बचता है, सिवाय इसके कि आप मूर्ख बन चुके हैं, और आपने अपने मित्र और रिश्तेदारों को भी इसी तरह मूर्ख बनने के लिए प्रेरित कर दिया है।

 

कैसे समझें लिंक सेफ है या नहीं

 

अनसेफ यूआरएल

कोई भी लिंक खोलने से पहले यह चेक करें कि उसका हायपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (http) सिक्योर है या नहीं। यदि उसमें S आगे जुड़ा हो यानी https नहीं है तो समझ लीजिए लिंक प्राइवेसी और मालवेयर को लेकर सेफ नहीं हैं। इसके बाद देंखे कि लिंक के टेक्स्ट की स्पेलिंग सही या मिलती जुलती तो नहीं हैं। लिंक के टेक्स्ट के ऊपर एक्स्ट्रा डॉट या डेस या ऐरो जुड़ा है तो समझ लीजिए कि यह सुरक्षित नहीं हैं बल्कि इसमें ऐसी कोई प्रोग्रामिंग है जो आपके फोन से डेटा चुरा सकती है।

 

एनिमेटेड वीडियो और फोटो

अक्सर आपके मोबाइल पर त्योहारों और राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर रंगबिरंगी लाइट में झिलमिलाते फोटो या एनीमेटेड वीडियो आते हैं, इनके पीछे एक्सर कोई लिंक छिपी होती है, जो दिखाई नहीं देती, लेकिन इन्हें डाउनलोड करते ही वह एक्टिव हो जाती है, और आपके फोन का प्राइवेट डेटा लिंक के होस्ट की पहुंच में आ जाता है, ऐसे लिंक में एक छिपी हुई प्रोग्रामिंग होती है जो आपके फोन को लिंक के होस्ट का वर्चुअल सर्वर बना देती है।

 

कैसे बचें इस तरह के लिंक्स से

संजय मिश्रा के मुताबिक इस तरह की लिंक्स से बचने का सबसे बेहतर एक ही तरीका है कि हम सिर्फ उन्हीं लिंक्स पर क्लिक करें जिन्हें हम जानते हैं या जो वेबसाइट विश्वसनीय हैं, हालांकि इनके लिंक पर क्लिक करने से पहले स्पैलिंग और यूआरएल सही से चेक कर लें।इसके अलावा किसी भी अंजान वेबसाइट के लिंक पर क्लिक करने से बचें। 

 

राइट टू प्राइवेसी का सीधा उल्लंघन

इस तरह की लिंक के जरिए यूजर की करेंट लोकेशन और इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) एड्रेस ट्रेस हो रहा है, यह ये एजेंसियां यूजर की मूवमेंट को ट्रेस कर लेती है, जो राइट टू प्राइवेसी का सीधा उलंघन है।

 

कई देशों में फंडामेंटल राइट बन चुका है डेटा प्राइवेसी एक्ट

कई देशों में हाल ही में डेटा प्राइवेसी एक्ट लागू किया गया है, इस कानून के जरिए डेटा की प्राइवेसी को मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट) का दर्जा दिया गया हैं। लेकिन भारत में डेटा की प्राइवेसी को लेकर वर्तमान में न तो कोई कानून है, नहीं कोई स्टेटरी गाइडलाइन। इस कारण डेटा प्राइवेसी का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।

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