मेरठ: मेट्रो की सभी ट्रेन आपरेटर महिलाएं होंगी, बीटेक और इंजीनियरिंग की छात्राओं को मिलेगा कैंपस प्लेसमेंट....

उत्तर प्रदेश का मेरठ जिला महिला सशक्तिकरण की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाने जा रहा है। अब मेरठ शहर में सभी मेट्रो ट्रेन ऑपरेटर महिलाएं होंगी। इसका संचालन जून 2025 से शुरू होने की संभावना है। बीटेक और अन्य इंजीनियरिंग स्नातक छात्रों का चयन कैंपस प्लेसमेंट के जरिए किया जाएगा, जिसमें स्थानीय महिला उम्मीदवारों को वरीयता दी जाएगी।
 
उत्तर प्रदेश की मेरठ मेट्रो अब महिला सशक्तिकरण की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाने जा रही है। शहर में मेट्रो की सभी ट्रेन ऑपरेटर (चालक) महिलाएं होंगी। जून 2025 से इसके चालू होने की संभावना है।READ ALSO:-UP : वंदे भारत को हरी झंडी दिखाते वक्त हादसा; प्लेटफॉर्म पर भीड़-सामने ट्रेन, अचानक लगा धक्का और पटरी गिरीं BJP विधायक!

 

सराय काले खां से मोदीपुरम तक रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर के एक ही ट्रैक पर अत्याधुनिक मेट्रो ट्रेनें 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी। इसी ट्रैक पर नमो भारत ट्रेनें भी 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी। मेरठ शहर के 23 किलोमीटर के हिस्से में 13 स्टेशनों पर मेट्रो ट्रेनों का संचालन किया जाएगा।READ ALSO:-UP : सड़क पर पड़ी थी कफन में लिपटी 'लाश', अचानक उठ खड़ी हुई 'लाश' और करने लगी डांस, सच्चाई सामने आई तो पहुंचा जेल-देखें Video

अन्य शहरों की मेट्रो से बिलकुल अलग 
तीन कोच की कुल 15 ट्रेनें चलेंगी, एक ट्रेन में 700 यात्री बैठ सकेंगे। वैसे तो इसमें कई ऐसी खूबियां हैं, जो देश के अलग-अलग शहरों में संचालित मेट्रो ट्रेनों से अलग हैं, लेकिन इसकी एक खूबी यह होगी कि इन ट्रेनों की सभी ट्रेन ऑपरेटर महिलाएं होंगी। इसके लिए कैंपस प्लेसमेंट के जरिए बीटेक और अन्य इंजीनियरिंग स्नातक छात्रों का चयन किया जाएगा। स्थानीय महिला अभ्यर्थियों को वरीयता दी जाएगी।

 

देश की पहली सेमी हाई स्पीड रीजनल रैपिड रेल यानी नमो भारत ट्रेन में अधिकांश चालक महिलाएं हैं और गाजियाबाद, मोदीनगर और मुरादनगर की रहने वाली हैं।

 

एनसीआरटीसी (NCRTC) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पुनीत वत्स ने बताया कि नमो भारत ट्रेन के शुभारंभ के समय प्रधानमंत्री ने महिला सशक्तीकरण का संदेश दिया था। उसमें भी अधिकांश ट्रेन ऑपरेटर महिलाएं ही थीं। मेरठ मेट्रो के लिए भी यही पहल की गई थी।

 

पहले चलाती हैं वर्चुअल ट्रेन
ट्रेन ऑपरेटर के पद पर चयनित होने के बाद महिलाओं को तीन-चार महीने की ट्रेनिंग दी जाती है। उन्हें कॉरिडोर, ट्रेन और उसके उपकरणों के बारे में पूरी तकनीकी जानकारी दी जाती है। सिम्युलेटर मशीन के जरिए वर्चुअल ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें प्रशिक्षु एक कमरे में बैठा होता है, लेकिन उसे ऐसा लगता है जैसे वह वास्तव में ट्रेन चला रहा है।

 

वास्तविक परिस्थिति के हिसाब से अलग-अलग चरणों में ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद दुहाई डिपो में असली ट्रेन चलाकर ट्रेनिंग दी जाती है। जब डिपो में असली ट्रेन चलाने का अनुभव हो जाता है तो उसे कुछ सप्ताह के लिए प्रशिक्षु के तौर पर तैनात किया जाता है।