मेरठ के कस्तूरबा विद्यालय से तीन छात्राएं लापता: प्रशासनिक लापरवाही उजागर, डीएम ने बनाई जांच कमेटी

सरूरपुर ब्लॉक के गांव भूनी स्थित कस्तूरबा विद्यालय से तीन छात्राओं के लापता होने की घटना ने जिले में हड़कंप मचा दिया है। इस गंभीर मामले में जिलाधिकारी डॉ. वी.के. ने जांच कमेटी गठित कर दी है, जबकि मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
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KASTURBA
सरूरपुर (मेरठ): सरूरपुर ब्लॉक के गांव भूनी स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से तीन छात्राओं के लापता होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस घटना के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और जिलाधिकारी डॉ. वीके सिंह ने तत्काल जांच कमेटी गठित कर दी है। इस पूरे प्रकरण की जांच रिपोर्ट मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को सौंपी जानी है, जिन्होंने लगभग अपनी जांच पूरी कर ली है।Read also:-भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार का निधन, 87 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस, देशभक्ति फिल्मों के लिए थे मशहूर, कल मुंबई में होगा अंतिम संस्कार

 

सीडीओ नूपुर गोयल द्वारा तैयार की गई जांच रिपोर्ट आज दोपहर दो बजे जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी, जिसके बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। जांच कमेटी में स्वयं सीडीओ नूपुर गोयल और अपर जिलाधिकारी (एडीएम) बलराम सिंह शामिल हैं।

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जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, वे विद्यालय प्रशासन और कुछ अधिकारियों की गंभीर लापरवाही को उजागर करते हैं। सीडीओ नूपुर गोयल ने बताया कि प्रारंभिक जांच के अनुसार, घटना लगभग दोपहर डेढ़ बजे की है। सबसे पहले इसकी जानकारी विद्यालय की वार्डन रीना को हुई, लेकिन उन्होंने इस घटना के बारे में किसी को भी सूचित नहीं किया।

 

वार्डन रीना ने घटना के लगभग डेढ़ घंटे बाद, यानी करीब तीन बजे, जिला समन्वय बालिका नेमपाल को इसकी जानकारी दी। नेमपाल सिंह ने भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और घटना को दबाए रखा। उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) आशा चौधरी को शाम 6 बजकर 30 मिनट पर घटना के बारे में बताया।

 

बीएसए आशा चौधरी ने भी एक बड़ी लापरवाही करते हुए घटना की सूचना सीडीओ को देने में अत्यधिक विलंब किया। उन्होंने सीडीओ को रात 9 बजकर 40 मिनट पर इस घटना की जानकारी दी। इसके तुरंत बाद सीडीओ ने जिलाधिकारी को सूचित किया, जिसके बाद तमाम आला अधिकारी तत्काल मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।

 

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि आखिर विद्यालय की वार्डन से लेकर बीएसए तक, इन सभी अधिकारियों ने इतनी गंभीर घटना को इतने लंबे समय तक क्यों दबाए रखा। जांच रिपोर्ट में बीएसए आशा चौधरी, जिला समन्वय बालिका नेमपाल सिंह और वार्डन रीना को सीधे तौर पर सवालों के घेरे में खड़ा किया गया है। जिलाधिकारी डॉ. वीके सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि जो भी अधिकारी इस लापरवाही में दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।

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इस बीच, सीसीटीवी फुटेज से कुछ अहम जानकारी मिली है। सीडीओ नूपुर गोयल ने बताया कि विद्यालय में लगे एक सीसीटीवी कैमरे में दो लड़कियां आराम से बाहर की ओर जाती हुई दिखाई दे रही हैं। फुटेज में उनके साथ कोई भी युवक नजर नहीं आ रहा है। पुलिस ने इस सीसीटीवी फुटेज को अपने कब्जे में ले लिया है और इसकी गहन जांच कर रही है ताकि लड़कियों के आगे के रास्ते और उनकी वर्तमान स्थिति के बारे में कोई सुराग मिल सके।

 

घटना की गंभीरता को देखते हुए, जिला प्रशासन ने जनपद के अन्य कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में भी सुरक्षा व्यवस्था और संचालन की जांच शुरू कर दी है। सीडीओ ने बताया कि जिले में कुल पांच कस्तूरबा विद्यालय हैं, जो मवाना, खरखोदा, सरूरपुर, सादर और परीक्षितगढ़ में स्थित हैं। इन सभी विद्यालयों में निरीक्षण के लिए जिला कृषि अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी और जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) की संयुक्त टीमें गठित करके भेजी गई हैं। यह टीमें विद्यालयों की सुरक्षा व्यवस्था, छात्राओं की उपस्थिति और अन्य व्यवस्थाओं का जायजा लेंगी ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।

 

फिलहाल, लापता छात्राओं की तलाश जारी है और पुलिस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आगे की जांच कर रही है। वहीं, जिला प्रशासन इस मामले में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी में है।
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