मेरठ : 7 घंटे तक घर में रहा तेंदुआ, खौफ के वो साढ़े 5 घंटे; कमरे में फंसे लोगों को दीवार तोड़कर निकाला, थमी रहीं सांसें-Videp
मेरठ के कसेरूखेड़ा में आज उस वक्त हड़कंप मच गया जब दिनदहाड़े एक घर में तेंदुआ घुस आया। जब परिवार कमरे के अंदर था तभी तेंदुआ घर के बरामदे में पहुंच गया। इसी बीच डीएफओ राजेश कुमार रेस्क्यू टीम के साथ मौके पर पहुंचे और बरामदे के सामने जाल लगा दिया। एक पिंजरा भी लगाया गया। दोपहर डेढ़ बजे शोर के कारण तेंदुए ने बाहर निकलने की कोशिश की। इसमें अंगद नामक युवक पंजे के वार से घायल हो गया। खून से लथपथ अंगद को जिला अस्पताल ले जाया गया।
Apr 13, 2024, 23:13 IST
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मेरठ में शनिवार सुबह 11.30 बजे एक घर में तेंदुआ घुस गया। करीब 7 घंटे तक घर के एक कमरे में बैठाए रखा। इस दौरान बगल के कमरे में 5 लोग बंद थे। इनमें दो बच्चे भी शामिल थे। जिस कमरे में पांचों लोग थे, उसके दरवाजे पर कुंडी नहीं लगी थी। खुद को बचाने के लिए लोग हाथों से दरवाजे बंद करते रहे। सूचना मिलने पर पुलिस और वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची और घर को चारों तरफ से जाल से घेर लिया। उधर, इलाके में तेंदुआ होने की खबर से लोगों में दहशत फैल गई। शाम साढ़े छह बजे वन विभाग की टीम को सफलता मिली और तेंदुए को पिंजरे में कैद कर लिया गया।READ ALSO:-मेरठ : कैंट इलाके में घर में घुसा तेंदुआ, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, मचा हड़ंकप, एक दिन पहले सामने आया था Video
पांच घंटे बाद दीवार तोड़कर कमरे में बंद वृद्धा, बच्चे और पति-पत्नी को बाहर निकाला गया। इस दौरान छतों और सड़कों पर सैकड़ों लोग लाठी-डंडे लेकर मौजूद थे. महिलाएं और बच्चे भी छतों से नजारा देखते रहे।
सुबह मंदिर के पास तेंदुआ देखा
कसेरूखेड़ा कब्रिस्तान के पास ऊंची बस्ती है। पास ही मारवाड़ी मोहल्ले में बाल्मीकि मंदिर के पास सुबह आठ बजे तेंदुआ देखा गया। स्थानीय निवासी विजय कुमार ने बताया कि उन्होंने मस्जिद वाली गली में खन्ना के घर की छत पर बनी टंकी के पीछे से तेंदुए को निकलते देखा। इसके बाद सूचना पर पुलिस और फिर वन विभाग की टीम पहुंची। मोहल्ले में तेंदुए की सूचना मिलने पर युवा लाठी-डंडे लेकर गलियों और छतों पर पहुंच गए।
घर की छत से घर के बरामदे में छलांग लगा दी
रेस्क्यू में बाधा बन रही भीड़ को हटाने के लिए कई बार पुलिस को माइक से अनाउंसमेंट करना पड़ा। तेंदुआ घरों की छतों से होता हुआ निरंजन के घर के बरामदे में कूद गया। मकान में किरायेदार रहते हैं। निगार सिनेमा के कर्मचारी 40 वर्षीय ललित अपनी पत्नी अंजू, मां विमला, 11 वर्षीय बेटी वीरा और बेटे मानव के साथ रहते हैं। बेटा मानव स्कूल गया था। यहां किराएदार प्रेम और अशोक भी रहते हैं। उनके निकलने का रास्ता बरामदे के बाहर है। जबकि ललित को बाहर जाने के लिए बरामदे से होकर जाना पड़ता है। कार बरामदे में खड़ी थी।
रेस्क्यू में बाधा बन रही भीड़ को हटाने के लिए कई बार पुलिस को माइक से अनाउंसमेंट करना पड़ा। तेंदुआ घरों की छतों से होता हुआ निरंजन के घर के बरामदे में कूद गया। मकान में किरायेदार रहते हैं। निगार सिनेमा के कर्मचारी 40 वर्षीय ललित अपनी पत्नी अंजू, मां विमला, 11 वर्षीय बेटी वीरा और बेटे मानव के साथ रहते हैं। बेटा मानव स्कूल गया था। यहां किराएदार प्रेम और अशोक भी रहते हैं। उनके निकलने का रास्ता बरामदे के बाहर है। जबकि ललित को बाहर जाने के लिए बरामदे से होकर जाना पड़ता है। कार बरामदे में खड़ी थी।
परिवार दहशत में आ गया
ललित ने बताया कि 10 बजे के करीब उसने दरवाजे के पीछे से तेंदुए को देखा। पूरा परिवार डर गया। घर के अन्य लोग तो बाहर आ गए लेकिन उनका परिवार कमरे में ही बंद रहा। मोहल्ले के लोगों के फोन आने लगे। उसने तुरंत कमजोर लकड़ी के दरवाजे के सामने एक लोहे की अलमारी रख दी। कॉलोनी के लोगों ने वन कर्मियों के साथ मिलकर बरामदे में जाल लगा दिया।
ललित ने बताया कि 10 बजे के करीब उसने दरवाजे के पीछे से तेंदुए को देखा। पूरा परिवार डर गया। घर के अन्य लोग तो बाहर आ गए लेकिन उनका परिवार कमरे में ही बंद रहा। मोहल्ले के लोगों के फोन आने लगे। उसने तुरंत कमजोर लकड़ी के दरवाजे के सामने एक लोहे की अलमारी रख दी। कॉलोनी के लोगों ने वन कर्मियों के साथ मिलकर बरामदे में जाल लगा दिया।
दीवार में तोड़ कर परिवार को बाहर निकाला गया
ललित के परिवार को कमरे में बंद कर दिया गया। उसी समय कालेनी के लोगों ने निरंजन के घर से सटे बनवारी के घर में छेनी-हथौड़ी से छेद कर दिया। पांच घंटे बाद परिवार को बाहर निकाला गया। इसी दौरान 70 वर्षीय विमला बेहोश हो गयी। लोगों ने किसी तरह उन्हें उठाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। डर और भूख से परिवार का बुरा हाल था।
ललित के परिवार को कमरे में बंद कर दिया गया। उसी समय कालेनी के लोगों ने निरंजन के घर से सटे बनवारी के घर में छेनी-हथौड़ी से छेद कर दिया। पांच घंटे बाद परिवार को बाहर निकाला गया। इसी दौरान 70 वर्षीय विमला बेहोश हो गयी। लोगों ने किसी तरह उन्हें उठाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। डर और भूख से परिवार का बुरा हाल था।
छत और दीवारों में छेद करके तेंदुए को हरकत में लाने की कोशिश की गई
तेंदुआ टीन शेड के नीचे खड़ी कार के पीछे छिपा हुआ था। सामने जाल के बाहर डॉ. आरके सिंह और वन्य जीव रक्षक कमलेश ट्रैंकुलाइज गन से निशाना साध रहे थे। कई बार पटाखे फोड़े गए और शोर मचाया गया लेकिन तेंदुआ नहीं हिला। बगल के दो और मकानों की दीवारों और सीमेंट की छत में छेद कर तेंदुए को उकसाने की कोशिश की गई। सीमेंट शीट की छत में छेद कर पानी की बौछार छोड़ दी गई। मुर्गे को भी लालच दिया गया।
तेंदुआ टीन शेड के नीचे खड़ी कार के पीछे छिपा हुआ था। सामने जाल के बाहर डॉ. आरके सिंह और वन्य जीव रक्षक कमलेश ट्रैंकुलाइज गन से निशाना साध रहे थे। कई बार पटाखे फोड़े गए और शोर मचाया गया लेकिन तेंदुआ नहीं हिला। बगल के दो और मकानों की दीवारों और सीमेंट की छत में छेद कर तेंदुए को उकसाने की कोशिश की गई। सीमेंट शीट की छत में छेद कर पानी की बौछार छोड़ दी गई। मुर्गे को भी लालच दिया गया।
ट्रंकुलाइज शाट लगते ही वह उछल पड़ा और पिंजरे में बंद किया
6:15 बजे शांत बैठा तेंदुआ गुर्राने लगा और चहलकदमी करने लगा। इसके बाद ही उसे ट्रंकुलाइज किया जा सका। गोली लगते ही वह उछल पड़ा और बाहर निकलने की कोशिश करने लगा लेकिन इंजेक्शन के असर से वह निढाल हो गया। जिसके बाद उसे पिंजरे में डाल दिया गया।
6:15 बजे शांत बैठा तेंदुआ गुर्राने लगा और चहलकदमी करने लगा। इसके बाद ही उसे ट्रंकुलाइज किया जा सका। गोली लगते ही वह उछल पड़ा और बाहर निकलने की कोशिश करने लगा लेकिन इंजेक्शन के असर से वह निढाल हो गया। जिसके बाद उसे पिंजरे में डाल दिया गया।
डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि बचाये गये नर तेंदुए की उम्र साढ़े तीन से चार साल है। ये पूरी तरह से स्वस्थ्य है। इसका वजन करीब 70 किलो है। इसे शिवालिक के जंगल में छोड़ा जाएगा।