मेरठ : पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. मैराजुद्दीन अहमद का निधन, 10 जनवरी को किया था दिल्ली एम्स में भर्ती, आज शाम ली एम्स में अंतिम सांस
उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. मैराजुद्दीन अहमद का आज निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। उन्हें 10 जनवरी को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था।
Jan 11, 2025, 21:14 IST
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समाजवादी पार्टी सरकार में सिंचाई मंत्री रहे कांग्रेस के डॉक्टर मैराजुद्दीन अहमद का शनिवार को दिल्ली में निधन हो गया। 10 जनवरी को तबीयत खराब होने पर परिजनों ने उन्हें नई दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया था। जहां इलाज के दौरान शनिवार को शाम करीब चार बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। पूर्व कैबिनेट मंत्री के निधन की खबर पर लोग दुख जता रहे हैं। REEAD ALSO:-मेरठ : तांत्रिक ने तंत्र क्रिया के नाम पर 17 साल की नाबालिग लड़की को अगवा कर 6 लाख कैश और जूलरी भी ले कर भागा
चौधरी अजित सिंह के खिलाफ लड़ा था चुनाव
रालोद के प्रदेश महासचिव आतिर रिजवी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. मैराजुद्दीन अहमद ने राजनीतिक व सामाजिक जीवन में बड़ा योगदान दिया है। उनके निधन से पूरे राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र में शोक की लहर है। डॉ. अहमद सरल, विनम्र व जनता के हितों के लिए समर्पित व्यक्ति थे।
रालोद के प्रदेश महासचिव आतिर रिजवी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. मैराजुद्दीन अहमद ने राजनीतिक व सामाजिक जीवन में बड़ा योगदान दिया है। उनके निधन से पूरे राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र में शोक की लहर है। डॉ. अहमद सरल, विनम्र व जनता के हितों के लिए समर्पित व्यक्ति थे।
सपा शासनकाल में डॉक्टर मैराजुद्दीन को सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण मंत्री बनाया गया था। डॉ. मैराजुद्दीन को तब रालोद कोटे से मंत्री बनाया गया था। एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह के खिलाफ बागपत लोकसभा से चुनाव भी लड़ा था।
हाल ही में छोड़ा था रालोद
18 अक्टूबर 2024 को डॉ. मैराजुद्दीन अहमद ने रालोद को अलविदा कह दिया था, उस समय वह रालोद के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर कार्यरत थे। डॉ. मैराजुद्दीन ने पार्टी को अलविदा कहते ही रालोद प्रमुख व केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत चौधरी पर हमला बोलते नजर आए थे। तब उन्होंने जयंत चौधरी पर मुसलमानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था। हालांकि कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्हें अभी तक पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली थी। पूर्व कैबिनेट मंत्री उत्तर प्रदेश के चर्चित कविता हत्याकांड में भी सुर्खियों में रहे थे।
18 अक्टूबर 2024 को डॉ. मैराजुद्दीन अहमद ने रालोद को अलविदा कह दिया था, उस समय वह रालोद के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर कार्यरत थे। डॉ. मैराजुद्दीन ने पार्टी को अलविदा कहते ही रालोद प्रमुख व केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत चौधरी पर हमला बोलते नजर आए थे। तब उन्होंने जयंत चौधरी पर मुसलमानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था। हालांकि कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्हें अभी तक पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली थी। पूर्व कैबिनेट मंत्री उत्तर प्रदेश के चर्चित कविता हत्याकांड में भी सुर्खियों में रहे थे।
कांग्रेस से शुरू किया था राजनीतिक सफर
मैराजुद्दीन ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से ही की थी। शुरुआत में वह कई सालों तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे। 1983 में डॉ. मैराजुद्दीन ने कांग्रेस के टिकट पर सरधना विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
मैराजुद्दीन ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से ही की थी। शुरुआत में वह कई सालों तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे। 1983 में डॉ. मैराजुद्दीन ने कांग्रेस के टिकट पर सरधना विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
वरिष्ठ पत्रकार सादाब रिजवी बताते हैं कि पूर्व मंत्री ने समाजवादी पार्टी से बागपत लोकसभा से चुनाव लड़ा था। हालांकि वह जीत नहीं सके थे लेकिन वोटों के ध्रुवीकरण के कारण पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह को हार का सामना करना पड़ा था। बाद में उन्होंने सपा छोड़ दी और रालोद में शामिल हो गए।
मुलायम सिंह की सरकार में रहे मंत्री
रालोद में शामिल होने के बाद डॉ. मेराजुद्दीन को 2003 में निर्यात निगम का चेयरमैन बनाया गया। इसके बाद मुलायम सिंह यादव की सरकार में वे प्रदेश के बाढ़ एवं सिंचाई मंत्री बने। जयंत चौधरी जब रालोद में शामिल हुए तो वे चुप थे, लेकिन बाद में यूपी में उपचुनाव से पहले वे नाराज होकर पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। वे खुद को चौधरी चरण सिंह का अनुयायी बताते थे।
रालोद में शामिल होने के बाद डॉ. मेराजुद्दीन को 2003 में निर्यात निगम का चेयरमैन बनाया गया। इसके बाद मुलायम सिंह यादव की सरकार में वे प्रदेश के बाढ़ एवं सिंचाई मंत्री बने। जयंत चौधरी जब रालोद में शामिल हुए तो वे चुप थे, लेकिन बाद में यूपी में उपचुनाव से पहले वे नाराज होकर पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। वे खुद को चौधरी चरण सिंह का अनुयायी बताते थे।