बिजनौर के 100 गांवों में गुलदार की दहशत, हमले के बचने के लिए मुखौटा पहनकर निकल रहे ग्रामीण
चेहरे पर नकाब, हाथों में लाठी-डंडे और कुल्हाड़ी, एक-दूसरे के कंधे से कंधा मिलाकर घर से बाहर निकलते लोग। यह किसी डकैत गिरोह की कहानी नहीं, बल्कि बिजनौर के गांवों में तेंदुए के खौफ की कहानी है।
Mar 4, 2025, 17:37 IST
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उत्तर प्रदेश के बिजनौर में तेंदुओं को चकमा देने के लिए नया तरीका ईजाद किया गया है। किसान और मजदूर सिर के पीछे मास्क पहनकर खेतों में काम कर रहे हैं। वन विभाग के प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) का कहना है कि तेंदुआ पीछे से घात लगाकर हमला करता है। मास्क देखकर हमलावर तेंदुआ को यह भ्रम हो जाता है कि कोई इंसान उसे देख रहा है। इसीलिए उन्होंने यह तरीका ईजाद किया है। READ ALSO:-मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक पुलिस ने की कार्रवाई, 6 दोपहिया वाहनों के काटे सवा लाख रुपये के चालान
बिजनौर वन विभाग की ओर से अब तक दस हजार मास्क बांटे जा चुके हैं। बिजनौर में तेंदुओं की बढ़ती संख्या और ग्रामीणों पर हमलों के चलते वन विभाग ने मास्क कॉन्सेप्ट लागू किया है। गन्ना बहुल बिजनौर जिले में पिछले तीन सालों में गन्ने के खेतों में रहने वाले तेंदुओं के हमलों में तीस से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 200 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं।
500-600 तेंदुओं का डेरा
गांवों में 100 पिंजरे लगाए गए हैं और करीब 112 तेंदुओं को पकड़कर जंगल और चिड़ियाघरों में छोड़ा जा चुका है। खेतों से 30 से ज्यादा तेंदुए के बच्चे भी बरामद किए गए हैं। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार बिजनौर जिले में गन्ने के खेतों में 500 से 600 तेंदुए डेरा जमाए हुए हैं। तेंदुओं की अधिकता के कारण बिजनौर के 100 गांवों को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है।
गांवों में 100 पिंजरे लगाए गए हैं और करीब 112 तेंदुओं को पकड़कर जंगल और चिड़ियाघरों में छोड़ा जा चुका है। खेतों से 30 से ज्यादा तेंदुए के बच्चे भी बरामद किए गए हैं। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार बिजनौर जिले में गन्ने के खेतों में 500 से 600 तेंदुए डेरा जमाए हुए हैं। तेंदुओं की अधिकता के कारण बिजनौर के 100 गांवों को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है।
100 स्वयंसेवी टीमें कर रही हैं
गश्त वन विभाग की टीमें गांव-गांव में जागरूकता अभियान चला रही हैं। वाहनों में लाउडस्पीकर लगाकर ग्रामीणों को तेंदुओं से बचाव के सुझाव दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही थर्मल ड्रोन से भी तेंदुओं का पता लगाया जा रहा है। बिजनौर के प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) ज्ञान सिंह ने बताया कि बिजनौर के 100 गांवों को संवेदनशील घोषित कर तीन सेक्टरों में बांटा गया है। वन कर्मियों की बीस टीमें और 100 स्वयंसेवी दिन-रात गश्त कर रहे हैं।
गश्त वन विभाग की टीमें गांव-गांव में जागरूकता अभियान चला रही हैं। वाहनों में लाउडस्पीकर लगाकर ग्रामीणों को तेंदुओं से बचाव के सुझाव दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही थर्मल ड्रोन से भी तेंदुओं का पता लगाया जा रहा है। बिजनौर के प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) ज्ञान सिंह ने बताया कि बिजनौर के 100 गांवों को संवेदनशील घोषित कर तीन सेक्टरों में बांटा गया है। वन कर्मियों की बीस टीमें और 100 स्वयंसेवी दिन-रात गश्त कर रहे हैं।
जंगलों और राष्ट्रीय उद्यानों से घिरा है
बिजनौर तीन तरफ से जंगलों और राष्ट्रीय उद्यानों से घिरा हुआ है। एक तरफ राजाजी पार्क है तो दूसरी तरफ जिम कॉर्बेट पार्क और अमनगढ़ टाइगर पार्क है। इसके अलावा हस्तिनापुर वन्यजीव अभ्यारण्य भी है। इन पार्कों से तेंदुए गन्ने के खेतों में रहने लगते हैं। इसलिए तेंदुओं की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। वन विभाग ने तेंदुओं से बचाव के लिए एडवाइजरी भी जारी की है। किसी भी घटना की सूचना मिलने पर त्वरित प्रतिक्रिया दल मदद के लिए पहुंच जाता है।
बिजनौर तीन तरफ से जंगलों और राष्ट्रीय उद्यानों से घिरा हुआ है। एक तरफ राजाजी पार्क है तो दूसरी तरफ जिम कॉर्बेट पार्क और अमनगढ़ टाइगर पार्क है। इसके अलावा हस्तिनापुर वन्यजीव अभ्यारण्य भी है। इन पार्कों से तेंदुए गन्ने के खेतों में रहने लगते हैं। इसलिए तेंदुओं की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। वन विभाग ने तेंदुओं से बचाव के लिए एडवाइजरी भी जारी की है। किसी भी घटना की सूचना मिलने पर त्वरित प्रतिक्रिया दल मदद के लिए पहुंच जाता है।
- तेंदुए का व्यवहार: तेंदुओं का पीछे से हमला करने का व्यवहार इस उपाय को प्रभावी बनाता है।
- मास्क का प्रभाव: मास्क तेंदुओं को भ्रमित करता है, जिससे वे हमला करने से हिचकिचाते हैं।
- वन विभाग की पहल: वन विभाग द्वारा 10,000 मास्क का वितरण और जागरूकता अभियान सराहनीय हैं।
- तेंदुओं की संख्या: बिजनौर में 500-600 तेंदुओं की अनुमानित संख्या चिंताजनक है।
- संवेदनशील क्षेत्र: 100 गांवों को संवेदनशील घोषित किया गया है, जो खतरे की गंभीरता को दर्शाता है।
- वन विभाग के प्रयास: गश्त, जागरूकता अभियान, थर्मल ड्रोन का उपयोग और त्वरित प्रतिक्रिया दल की तैनाती सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं।
- भौगोलिक कारण: जंगलों और राष्ट्रीय उद्यानों से घिरे होने के कारण तेंदुओं की संख्या में वृद्धि हुई है।
यह खबर वन्यजीव संघर्ष और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता को उजागर करती है। यह महत्वपूर्ण है कि वन विभाग और स्थानीय समुदाय मिलकर तेंदुओं और मनुष्यों के बीच संघर्ष को कम करने के लिए दीर्घकालिक समाधान खोजें।