साइबर क्राइम से निपटने के लिए ASTR बना सरकार का हथियार, निष्क्रिय हुए लाखों सिम कार्ड

SIM Card Fraud: सरकार ने साइबर क्राइम पर शिकंजा कसने के लिए आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस-फेस रिकॉग्निशन इनेबल्ड सिस्टम- ASTR को हथियार बनाया है। इससे साइबर अपराध में इस्तेमाल हुए सिम की डिटेल्स निकाली जाती है। 
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साइबर क्राइम की रोकथाम सिम कार्ड साइबर क्राइम की पहली कड़ी है। फर्जी सिम पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने आधुनिक तकनीक को हथियार बनाया है। आठ लाख से ज्यादा फर्जी सिम निष्क्रिय कर दिए गए हैं। एजेंसियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फेस रिकॉग्निशन इनेबल्ड टेलीकॉम सिम सब्सक्राइबर वेरिफिकेशन सिस्टम (ASTR) से निगरानी कर रही हैं ताकि साइबर अपराधी लोगों के बैंक खाते, क्रेडिट कार्ड या पेमेंट वॉलेट को लूट न सकें।Read Also:-काम की खबर : बैंक में पैसा नहीं है तो बार-बार एटीएम (ATM) का प्रयोग न करें, नहीं तो लगेगा चार्ज,1 मई से नियम बदल रहे हैं

 

साइबर क्राइम का गढ़ कहे जाने वाले जामताड़ा, मेवात और पुरुलिया से ASTR सिस्टम के जरिए की जाने वाली हर संदिग्ध कॉल पर एजेंसियां नजर रख रही हैं। इन साइबर क्राइम स्पॉट के 8 लाख से ज्यादा फर्जी सिम को डिएक्टिवेट किया जा चुका है, क्योंकि लेटेस्ट सिस्टम से एजेंसियों को चंद पलों में पता चल जाता है कि सिम स्वैप है या नकली।Read Also:-काम की खबर : मोबाइल नंबर को बचत बैंक खाते से कैसे लिंक करें, यह चरण-दर-चरण तरीका है

 

हरियाणा के मेवात में ASTR पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया है। जहां 16.70 लाख सिम डिटेल और सरकारी आईडी कार्ड डिटेल का मिलान किया गया। वहीं, करीब 5 लाख सिम निष्क्रिय कर दिए गए हैं।

 

एएसटीआर (ASTR) कैसे काम करता है?
ट्राई के मुताबिक देश में 114.36 करोड़ मोबाइल यूजर्स हैं। एएसटीआर (ASTR) में जिन-जिन जगहों पर शिकायतें आई हैं, वहां से सभी मोबाइल यूजर्स के फोटो, फॉर्म, दस्तावेज फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक से स्कैन किए गए हैं।

 

स्कैन करने के बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए सिम डिटेल्स और सरकारी आईडी कार्ड्स की डिटेल्स का मिलान किया जाता है। (इसके अलावा अगर सिम लेने में किसी दस्तावेज का इस्तेमाल किया गया है तो उसका मिलान किया जाता है)

 

मैचिंग फोटो, जन्म तिथि, पिता का नाम, पता, हस्ताक्षर में पाई गई विसंगति के आधार पर एजेंसियां आगे बढ़ती हैं। सिम की वास्तविकता को सत्यापित करने के लिए विवरण मिलान प्रक्रिया में कुछ ही क्षण लगते हैं।

 

किसी भी सिम से आपराधिक गतिविधि होने पर तत्काल मिलान के साथ सभी दस्तावेजों का डिजिटल विवरण एजेंसियों को भेज दिया जाता है। एजेंसियां संबंधित राज्यों की पुलिस को सक्रिय करती हैं। सत्यापन पूरा होने तक सिम अक्षम है। इसके साथ ही सिस्टम यह भी जानकारी देता है कि संबंधित सिम का इस्तेमाल कितने फोन में किया गया है।

 

अपराधियों का डाटा तैयार किया जा रहा है
सॉफ्टवेयर में सभी सिम यूजर्स के सिम फॉर्म, दस्तावेज और फोटो रिकॉर्ड किए जाते हैं। देशभर के अपराधियों का डाटा तैयार होने के बाद उनके डाटा को इस सॉफ्टवेयर में मर्ज किया जाएगा। नई सिम प्राप्त करने में ऑनलाइन सत्यापन के लिए प्रदान किए गए वीडियो और दस्तावेजों द्वारा एआई सक्षम सॉफ़्टवेयर की और पुष्टि की जाती है।

 

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
साइबर क्राइम के खिलाफ कानूनी और तकनीकी मामलों के विशेषज्ञ पवन दुग्गल के मुताबिक, मान लीजिए कि आपको तुरंत निवेश या पैसा ट्रांसफर करने के लिए कॉल आती है। आप इसकी सूचना ऑनलाइन राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCCRP), पुलिस, स्थानीय साइबर इकाई, बैंक साइबर इकाई या स्थानीय पुलिस को दें।

 

केंद्रीय गृह मंत्रालय के एनसीसीआरपी (NCCRP) से सभी राज्यों की साइबर इकाइयां, बैंक और अन्य संस्थान जुड़े हुए हैं। यह जानकारी मिलते ही एएसटीआर (ASTR) की मदद से सिम की सच्चाई जानने के बाद सबसे पहले संबंधित सिम को डिएक्टिवेट किया जाता है। इसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू की जाती है। कई मामलों में ASTR के जरिए सरकार साइबर फ्रॉड होने से पहले ही सिम को डीएक्टिवेट करने में सफल रही है.

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कानून की दृष्टि से सरकार द्वारा लोगों की सहमति के बिना उनका विवरण एकत्र करना और उनका सरकारी पहचान पत्रों से मिलान करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है। शायद यही वजह है कि सरकार इस कामयाबी को सार्वजनिक नहीं कर रही है। जानकारों की मानें तो किसी भी व्यवस्था के लिए नियम-कायदों का होना जरूरी है। इस तकनीक का उपयोग करने से पहले कानूनी आधार स्पष्ट होना चाहिए।
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