पाकिस्तान में है 'वैष्णो देवी' जैसा मंदिर, रास्ता है अमरनाथ से भी कठिन, दुनिया भर से आते हैं श्रद्धालु दर्शन के लिए, देखें Video
क्या आप पाकिस्तान के हिंगलाज माता मंदिर के बारे में जानते हैं, यहां नवरात्रि के दौरान बहुत भीड़ होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां माता के सिर का एक भाग गिरा था। मुस्लिम लोग इसे हज मानते हैं। कई बार आरती के दौरान मुस्लिम लोग हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं।
Apr 11, 2024, 00:00 IST
|
क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में एक ऐसा मंदिर है जिसकी यात्रा अमरनाथ से भी ज्यादा कठिन है। इसके बावजूद यहां दोनों नवरात्रियों में सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। दुनिया के अलग-अलग देशों से लोग यहां हिंगलाज माता के दर्शन के लिए आते हैं। हिंगलाज मंदिर दुनिया के 51 शक्तिपीठों में से एक है। नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में वैसे ही पूजा की जाती है जैसे भारत के मंदिरों में की जाती है। यह मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है।Read also:-मेरठ : 'जिनकी गर्मी शांत हो चुकी, उसे गर्म मत होने देना', CM योगी ने माफियाओं के लिए कही ये बात
हिंगलाज मंदिर के संबंध में मान्यताएं
हिंगलाज मंदिर हिंगोल नदी के तट पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सती ने अपने पिता के अपमान से दुखी होकर खुद को हवनकुंड में समर्पित कर दिया था। पत्नी वियोग से क्रोधित होकर भगवान शिव सती के शव को कंधे पर उठाकर तांडव करने लगे। भगवान शिव को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने चक्र घुमाकर सती के 51 टुकड़े कर दिये। जहां-जहां माता के शरीर के टुकड़े गिरे, उस स्थान का नाम शक्तिपीठ पड़ गया। सती के शरीर का पहला भाग यानि सिर किरथर पर्वत पर गिरा। इसे हिंगलाज मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसका उल्लेख शिव पुराण से लेकर कालिका पुराण तक में मिलता है।
हिंगलाज मंदिर हिंगोल नदी के तट पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सती ने अपने पिता के अपमान से दुखी होकर खुद को हवनकुंड में समर्पित कर दिया था। पत्नी वियोग से क्रोधित होकर भगवान शिव सती के शव को कंधे पर उठाकर तांडव करने लगे। भगवान शिव को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने चक्र घुमाकर सती के 51 टुकड़े कर दिये। जहां-जहां माता के शरीर के टुकड़े गिरे, उस स्थान का नाम शक्तिपीठ पड़ गया। सती के शरीर का पहला भाग यानि सिर किरथर पर्वत पर गिरा। इसे हिंगलाज मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसका उल्लेख शिव पुराण से लेकर कालिका पुराण तक में मिलता है।
अमरनाथ से भी कठिन क्यों है हिंगलाज महारानी की यात्रा?
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसकी यात्रा अमरनाथ से भी ज्यादा कठिन है। यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। यही कारण है कि यहां लोग 30-40 लोगों के समूह में ही यात्रा करते हैं। कोई भी यात्री 4 बार रुककर 55 किलोमीटर पैदल चलने के बाद हिंगलाज पहुंचता है। आपको बता दें कि 2007 से पहले यहां पहुंचने के लिए 200 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। इसमें 2 से 3 महीने लग जाते थे।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसकी यात्रा अमरनाथ से भी ज्यादा कठिन है। यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। यही कारण है कि यहां लोग 30-40 लोगों के समूह में ही यात्रा करते हैं। कोई भी यात्री 4 बार रुककर 55 किलोमीटर पैदल चलने के बाद हिंगलाज पहुंचता है। आपको बता दें कि 2007 से पहले यहां पहुंचने के लिए 200 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। इसमें 2 से 3 महीने लग जाते थे।
पाकिस्तान के मुसलमान इस मंदिर को हज मानते हैं।
हिंगलाज महारानी का यह मंदिर पाकिस्तान के सबसे बड़े हिंदू बहुल इलाके में स्थित है। यहां हिंदू-मुसलमान में कोई अंतर नहीं है। पाकिस्तान के मुस्लिम लोग इसे हज मानते हैं। कई बार आरती के दौरान मुस्लिम लोग हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं।
हिंगलाज महारानी का यह मंदिर पाकिस्तान के सबसे बड़े हिंदू बहुल इलाके में स्थित है। यहां हिंदू-मुसलमान में कोई अंतर नहीं है। पाकिस्तान के मुस्लिम लोग इसे हज मानते हैं। कई बार आरती के दौरान मुस्लिम लोग हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं।