शारदीय नवरात्रि 2021: इस समय करें कलश स्थापना, जाने मां दुर्गा की पूजन विधि व अन्य जरूरी बातें
Oct 6, 2021, 18:17 IST
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Navratri Will Be Of 8 Days Due To Decay Of Chaturthi Tithi : पितृ पक्ष के समाप्त होते ही मां दुर्गा के आगमन (Maa Durga Welcome) की तैयारी शुरू हो गई है। 7 अक्टूबर यानि गुरुवार से शारदीय नवरात्र (First Navratri Will Be On 7th October) की शुरुआत हो जाएगी। इस बार मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आएंगी और उनकी वापसी हाथी की सवारी पर होगी जो स्त्री शक्ति को बलवान व ऊर्जावान बनाने का प्रतीक है।
शुभ नहीं माना जाता पालकी में आना
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद मनोज तिवारी के मुताबिक इस साल नवरात्र (Navratri ) गुरुवार से प्रारंभ हो रहे हैं। चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग बन रहा है। जो आत्मिक उन्नति के लिए बहुत ही अच्छा होगा। इसलिए घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त में करना श्रेष्ठ रहेगा। वहीं मां दुर्गा गुरुवार को आ रही हैं इसलिए उनकी सवारी पालकी होगी। मां दुर्गा पालकी या डोली से आएंगी और हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी। माता का पालकी में आगमन आमजनों और देश दुनिया के लिए शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि माता के डोली के आगमन से दुनिया के कई देशों में बड़ी राजनीतिक हलचल होगी। इसके साथ ही प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, तूफान, बाढ़ आदि से जन धन की हानि होने की आशंका रहेगी।
वाहन का होता है बहुत महत्व
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद मनोज तिवारी के अनुसार नवरात्रि में माता के वाहन का भी बड़ा महत्व रहता है। देवी भागवत पुराण में श्लोक है कि शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च डोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता। गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे। नौकायां सर्वसिद्धि स्यात डोलायां मरण ध्रुवम्। Read Also : Shardiya Navratri 2021: इस नवरात्रि आठ दिनों में ही होगी आदिशक्ति के नौ रूपों की पूजा
इस बार आठ दिन तक रहेगे नवरात्र (Navratri Start Date)
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद मनोज तिवारी ने बताया कि शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह पूरा करने वाले भक्तों को मांग विशेष फल प्रदान करती हैं। इस वर्ष चतुर्थी तिथि का क्षय होने के कारण नवरात्र आठ दिनों के ही होंगे। नवें दिन विसर्जन का योग बन रहा है। दरअसल इस साल पितृ पक्ष में एक दिन की वृद्धि हुई, जिसके कारण नवरात्रि नौ की बजाय आठ ही दिन तक रहेंगे। इसके अलावा तृतीया और चतुर्थी तिथि एक ही साथ होने के कारण 07 अक्टूबर से शुरू हो रहे नवरात्र 14 अक्टूबर को संपन्न हो जाएंगे, जबकि विजयादशमी का त्योहार 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
इन आठ दिनों के दौरान मां के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाएगी। पहले दिन घटस्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा होगी। वहीं तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ होने से चंद्रघण्टा माता और कुष्मांडा माता की आराधना एक साथ होगी।
चार बार रवि योग
नवरात्र में चार बार रवि योग बन रहा है, यह योग उन्नति और समृद्धि देता है। शारदीय नवरात्र की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में होगी। नवमी पर भी सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग रहेगा। नवरात्र में वाहन, आभूषण, वस्त्र, रत्न, भवन, भूमि या अन्य किसी भी तरह की खरीदारी करना शुभता प्रदान करता है। इसी प्रकार नवरात्र में नए कामों की शुरुआत करना भी श्रेष्ठ होता है।
ये दो तिथियां एक ही दिन (Navratri)
तृतीया तिथि 9 अक्टूबर, शनिवार प्रात: 07:48 तक रहेगी। इसके बाद चतुर्थी तिथि आरंभ हो जाएगी, जो कि अगले दिन यानि 10 अक्टूबर प्रात: 05:00 तक रहेगी।
इस मुहूर्त में करे घट स्थापना (Navratri Kalash Sthapana Muhurat 2021)
नवरात्रि में घट स्थापना या कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ समय प्रात: 06:17 से प्रात: 07:07 तक ही है। कलश स्थापना 07 अक्टूबर, गुरुवार को ही की जाएगी।
इन सामग्री से करे पूजा (Navratri Puja Samagri List)
मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी वाला जटायुक्त नारियल, दुर्गासप्तंशती किताब, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, पंच मेवा, घी, लोबान, गुग्गुल, लौंग, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब, कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर और हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल रेशमी, चूड़ियां, सिंदूर, आम के पत्ते, लाल वस्त्र, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, अगरबत्ती, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम, मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी, तेल, फूल, फूलों का हार, पान, सुपारीए लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई
मां दुर्गा की पूजन विधि (Navratri Puja Vidhi 2021)
नवरात्रि के दिन सबसे पहले नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ पानी से स्नान कर लें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा घर में कलश स्थापना के स्थान पर दीपक जलाएं। अब मां दुर्गा को अर्घ्य दें। इसके बाद माता रानी को श्रृंगार का सामान, अक्षत और सिंदूर चढ़ाएं। अब मां दुर्गा को फल और मिठाई का भोग लगाएं। धूप, अगरबत्ती से माता रानी की आरती उतारें और अंत में दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
घटस्थापना कैसे करें
- नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं।
- स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद कलश को पूजा घर में रखें।
- मिट्टी के घड़े के गले में पवित्र धागा बांधे
- अब कलश को मिट्टी और अनाज के बीज की एक परत से भरें।
- कलश में पवित्र जल भरकर उसमें सुपारी, गंध, अक्षत, दूर्वा घास और सिक्के डालें।
- कलश के मुख पर एक नारियल रखें।
- कलश को आम के पत्तों से सजाएं।
- मंत्रों का जाप करें।
- कलश को फूल, फल, धूप और दीया अर्पित करें।
- देवी महात्म्यम का पाठ करें।