UP : धनुष-बाण के आकार का पहला ग्लास स्काई वॉक ब्रिज धर्मनगरी में बनकर तैयार, जानें इसकी खासियतें.....

उत्तर प्रदेश का पहला धनुषाकार ग्लास स्काई वॉक ब्रिज तुलसी जलप्रपात पर बनकर तैयार हो गया है। स्काई वॉक ब्रिज को पूरा करने में लगभग डेढ़ साल का समय लगा। इस पुल को बनाने में कुल 3.70 करोड़ रुपये की लागत आई है।  जानिए बिहार के ग्लास ब्रिज से ये कितना अलग है। 
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CHITRKOOT
बिहार के राजगीर में बने ग्लास ब्रिज की आपने कई तस्वीरें देखी होंगी। अब उत्तर प्रदेश में भी ऐसा ही ग्लास ब्रिज बनकर तैयार हो गया है। उत्तर प्रदेश का पहला ग्लास स्काई वॉक ब्रिज चित्रकूट के तुलसी में बनकर तैयार है। यह पुल भगवान राम के धनुष और बाण के आकार में बनाया गया है।READ ALSO:-पाकिस्तान में है 'वैष्णो देवी' जैसा मंदिर, रास्ता है अमरनाथ से भी कठिन, दुनिया भर से आते हैं श्रद्धालु दर्शन के लिए, देखें Video

यह स्थान पर्यटकों के लिए कब खोला जाएगा?
उत्तरप्रदेश का यह ग्लास स्काई वॉक ब्रिज लोकसभा चुनाव के बाद पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। इस पुल को बनाने में कुल 3.70 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस पुल के चारों ओर हर्बल गार्डन और रेस्तरां बनाए जा रहे हैं। यह भविष्य में इको टूरिज्म का बड़ा केंद्र होगा। आपको बता दें कि जिस झरने पर इसे बनाया गया था उसे शबरी झरना के नाम से जाना जाता था। बाद में इसका नाम बदलकर तुलसी झरना रख दिया गया।

 Chitrakoot all set to get an impressive Skywalk Destination!

फॉर्म कुछ इस प्रकार है
स्काई वॉक ब्रिज को पूरा करने में लगभग डेढ़ साल का समय लगा। धनुष-बाण के आकार में बने पुल में खाई (झरना) की ओर तीर की लंबाई 30 मीटर है। 12 मीटर तक लंबी लकड़ी की टाइलें, फिर 36 मिमी मोटा सख्त कांच। दोनों स्तंभों के बीच धनुष की चौड़ाई 35 मीटर है। पुल की भार क्षमता 500 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर है। पुल पर एक समय में 25 यात्री आ सकेंगे। वन एवं पर्यटन विभाग ने 3.71 करोड़ रुपये की लागत से पुल का निर्माण कराया है। इस पुल का निर्माण बिहार के राजगीर स्थित स्काई वॉक ब्रिज की तर्ज पर किया गया है। 

 KINATIC

ईको टूरिज्म सेंटर बनाया जाएगा
रानीपुर टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक एनपी सिंह और पर्यटन अधिकारी अनुपम श्रीवास्तव का कहना है कि यह स्थान ईको टूरिज्म का बड़ा केंद्र बनेगा। इसे इको-टूरिज्म का मुख्य केंद्र बनाने के लिए यहां रॉक और हर्बल गार्डन के साथ रेस्तरां भी बनाए जाएंगे। पुल का निर्माण वन एवं पर्यटन विभाग द्वारा किया गया है। पुल पर चलने के लिए आपको टिकट खरीदना होगा। इसका प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। पुल पर प्रवेश और निकास के लिए अलग-अलग रास्ते होंगे। पुल के पास जानवरों के आकार में घास का बगीचा, फव्वारा, शौचालय आदि का निर्माण किया जा रहा है। सुरक्षा के लिए पुल के पास चेनलिंक तार भी लगाया जा रहा है।

 

यह पुल 40 फीट की ऊंचाई पर बना है
यह कांच का पुल 40 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है। धनुष-बाण के आकार में बने इस पुल की लंबाई 25 मीटर है, जबकि दोनों खंभों के धनुष के बीच की चौड़ाई 35 मीटर है। जब लोग इस पुल पर चलेंगे तो उन्हें नीचे जंगल और चट्टानों से गिरते झरने का खूबसूरत नजारा दिखेगा।

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राजगीर का ग्लास ब्रिज 200 फीट की ऊंचाई पर बना है
आपको बता दें कि राजगीर के ग्लास ब्रिज पर चलते वक्त ऐसा महसूस होता है मानो पैरों के नीचे जमीन ही नहीं है। आपको बता दें कि यह पुल चीन के हांगझू की तर्ज पर बनाया गया है। इसकी ऊंचाई 200 फीट है, जो उत्तर प्रदेश के पुल से बहुत जयादा है। 
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