UP : विद्युत नियामक आयोग ने कहा-बिजली चोरी में छूट देना ठीक नहीं, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के आदेश को किया खारिज

कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन निदेशक मंडल द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया था कि चार किलोवाट तक के घरेलू व व्यवसायिक बिजली चोरी के मामले, जिनमें बकाया राशि लंबित है और बिजली चोरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज है, उनसे सादे कागज पर सहमति ले ली जाए कि भविष्य में जो भी निर्णय होगा, वह मान्य होगा। इसके बाद उन्हें कनेक्शन दिया जाए। पावर कारपोरेशन निदेशक मंडल के इस आदेश को विद्युत नियामक आयोग ने खारिज कर दिया था।
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Uttar Pradesh State Electricity Consumer Council
कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन निदेशक मंडल की ओर से प्रस्ताव पारित किया गया था कि चार किलोवाट तक के घरेलू व व्यवसायिक बिजली चोरी के मामलों में, जहां बकाया चल रहा है और बिजली चोरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज है, उनसे सादे कागज पर सहमति ले ली जाए कि भविष्य में जो भी निर्णय होगा, वह मान्य होगा। इसके बाद उन्हें कनेक्शन दिया जाए। पावर कारपोरेशन निदेशक मंडल के इस आदेश को विद्युत नियामक आयोग ने खारिज कर दिया था। आयोग ने कहा था कि 1910 के एक्ट में बिजली चोरी को लेकर प्रावधान था। विद्युत अधिनियम 2003 में इसे और सख्त कर दिया गया। इससे साफ है कि बिजली चोरी में छूट देना सही नहीं है। READ ALSO:-UP : अतीक अहमद के बेटे उमर को CBI कोर्ट से जमानत मिली, लेकिन अभी भी नहीं आ सकेगा जेल से बाहर....

 

इस बीच 14 अक्टूबर को पावर कारपोरेशन ने आयोग से अनुमति लिए बिना ही पूरे उत्तर प्रदेश में आदेश लागू कर दिया कि चार किलोवाट तक की बिजली चोरी के मामलों में सादे कागज पर हलफनामा लिए बिना यानी राजस्व निर्धारण किए बिना यानी बकाया जमा किए बिना कनेक्शन दे दिया जाए। 

 

इसके विरोध में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष एवं राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने 15 अक्टूबर को विद्युत नियामक आयोग में विरोध प्रस्ताव दाखिल किया। पावर कारपोरेशन के निदेशक मंडल के आदेश को असंवैधानिक करार देते हुए कहा गया कि यह विद्युत अधिनियम 2003 एवं विद्युत वितरण संहिता का उल्लंघन है। 

 

विद्युत नियामक आयोग की पूर्ण पीठ ने निर्णय दिया कि पावर कारपोरेशन के निदेशक मंडल द्वारा विद्युत चोरी के संबंध में पारित प्रस्ताव नियम विरुद्ध है। पावर कारपोरेशन का प्रस्ताव विद्युत अधिनियम 2003 एवं विद्युत वितरण संहिता 2005 के प्रावधानों का उल्लंघन है। इसलिए पावर कारपोरेशन का आदेश किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसे अस्वीकृत किया जाता है। 

 

विद्युत नियामक आयोग ने अपने विस्तृत आदेश में विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए कहा कि विद्युत चोरी पर कानून बहुत सख्त है। इसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन या संशोधन नहीं किया जा सकता है। विद्युत चोरी के मामले में राजस्व मूल्यांकन जमा होने तक नया कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है। राजस्व मूल्यांकन भी लंबित है और यह कानून सभी जानते हैं कि जिस परिसर पर बकाया है, वहां विद्युत कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है। 

 KINATIC

ऐसे में पावर कारपोरेशन का प्रस्ताव विद्युत चोरी पर कानून का पूर्ण उल्लंघन है। विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्णय दिए जाने के बाद पावर कारपोरेशन में हड़कंप मच गया, क्योंकि यह आदेश पावर कारपोरेशन के निदेशक मंडल द्वारा पारित किया गया था। यदि निदेशक मंडल को विद्युत चोरी जैसे महत्वपूर्ण कानून की जानकारी नहीं है, तो आने वाले समय में निदेशक मंडल के आदेशों की समीक्षा किया जाना निश्चित रूप से आवश्यक है।
SONU

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