Smog Tower in Noida: अब सुधरेगी नोएडा की आबोहवा! शुरू हुआ UP का पहला स्मॉग टावर

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Smog Tower in Noida
Smog Tower in Noida: देश की राजधानी दिल्ली और उससे सटे एनसीआर के इलाकों में प्रदूषण के कारण लोगाें का दम घुट रहा है। प्रदूषण के खतरे को देखते हुए स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए हैं, जबकि कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम दिया गया है। वहीं कई जगहों पर निर्माण कार्य व औद्योगिक गतिविधियों को भी बंद कर दिया गया है। उधर सुप्रीम कोर्ट भी प्रदूषण के मुद्दे पर सख्त रवैया अपना रही है और सरकारों को कड़ी फटकार लगाते हुए प्रदूषण को जल्द से जल्द प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय करने को कह रही है। 

 

DND Flyover-Film City और 1 किमी दायरे की आबोहवा नहीं होगी खराब

इस बीच उत्तर प्रदेश के नोएडा में प्रदेश पहला स्मॉग टावर शुरू हो गया है। इस स्मॉग टावर से DND Flyover-Film Cityऔर करीब एक किमी दायरे में आने वाले नोएडा 14 सेक्टर्स की आबोहवा खराब नहीं होगी। यह दिल्ली एनसीआर का दूसरा जबकि नोएडा का पहला एयर पॉल्यूशन कंट्रोल टावर है, जो अब शुरू हो गया है। इसके परिणाम यदि संतोषजनक आए तो नोएडा के दूसरे इलाकों में भी इस तरह के स्मॉग टावर लगाए जाएंगे। Read Also : UP में नहीं बंद होंगे स्कूल-कॉलेज, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वापस लिया आदेश

 

ऐसा है स्मॉग टावर

सबसे खास बात टावर की ऊंचाई है। यह टावर करीब बीस मीटर ऊंचा है और ये 400 मीटर रेडियस में हवा को साफ करने का काम करेगा। इसकी क्षमता 80 हजार घन मीटर प्रति घंटा है। ये टॉवर 2.5 पीएम तक को फिल्टर करने का काम करता है। यह टावर प्रदूषित हवा को खींचकर फिल्टर कर साफ हवा देगा। इस टावर के लग जाने के पास इसके आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को सांस लेने में तकलीफ, गले में खराश  व आंखों में जलन की समस्या से राहत मिल जाएगी। Read Also: Pollution: अभिभावक ध्यान दें! मेरठ के 150 स्कूलों ने स्टूडेंट्स के लिए जारी की एडवाइजरी

 

ऐसे काम करेगा Smog Tower

बता दें कि इस स्मॉग टावर को तैयार करने के लिए BHEL ने खर्चा किया है वहीं जमीन नोएडा अथॉरिटी की तरफ से दी गई है। यह दो तरीके से हवा को साफ करेगा। पहला प्लीटेड फिल्टर के जरिए जो इस टॉवर में 48 लगे हैं दूसरा कार्बन फिल्टर की मदद से जो 32 लगाए गए है। इसका ऊपरी हिस्सा बहार की दूषित हवा को अंदर खींचता है। टावर के चारों दिशाओं में बनी चार कैनोपी के सहारे दूषित हवा फिल्टर तक पहुंचती है। जहां हवा में प्रदूषण के कणों को बाहर कर छनी हुई हवा टावर में लगे बड़े-बड़े पंखों के सहारे बाहर निकलती है। टावर में मौजूद ऑटोमेटेड सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्वीजीशन प्रणाली वायु की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग करेगी।

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