अदालत के हस्तक्षेप से 2 महिला कांस्टेबलों की लिंग (Gender) परिवर्तन की मांग को मिली मंजूरी, जानिए क्या है पूरा मामला

गोंडा में तैनात महिला कांस्टेबल नेहा सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 18 अगस्त के अपने आदेश में उत्तरप्रदेश के DGP को नेहा सिंह की याचिका पर फैसला लेने को कहा था और 2 महीनों के अंदर फैसला लेकर उच्च न्यायालय में एक रिपोर्ट दाखिल करनेको कहा था। 
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UP POLICE
उत्तर प्रदेश पुलिस ने दो महिला कांस्टेबलों की लिंग परिवर्तन की अनुमति की मांग को स्वीकार करने का फैसला किया है। महिला सिपाहियों की लिंग परिवर्तन की मांग को मंजूरी देने की प्रक्रिया DGP कार्यालय ने शुरू कर दी है। मंजूरी के लिए दोनों महिला कांस्टेबलों का मेडिकल परीक्षण कराया गया है।READ ALSO:-सड़क पर आपस में भिड़ गई BJP महिला कार्यकर्ता, जमकर हुई मारपीट और चले घूसे और थप्पड़, देखें Video

 

इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली महिला कांस्टेबल नेहा सिंह चौहान की दो मेडिकल जांच हो चुकी हैं। नेहा सिंह का मेडिकल टेस्ट लखनऊ के SGPGI और King George मेडिकल यूनिवर्सिटी में हुआ है, जबकि दूसरी महिला कांस्टेबल अनामिका सिंह का मेडिकल टेस्ट KGMU में हुआ है। हालांकि, अभी दोनों सिपाहियों की मेडिकल जांच रिपोर्ट आनी बाकी है। मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद दोनों महिला कांस्टेबलों को लिंग परिवर्तन की मंजूरी मिल जाएगी। 

 

महिला सिपाहियों ने मेडिकल परीक्षण कराने की जानकारी अपने वकील को दे दी है। लिंग परिवर्तन की अनुमति की मांग को लेकर महिला कांस्टेबल नेहा सिंह चौहान की ओर से दायर याचिका पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन दोपहर बाद जज के नहीं बैठने के कारण सुनवाई टल गई। अब इस मामले में सुनवाई 23 नवंबर को होगी। 23 नवंबर को होने वाली सुनवाई में उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल कर कोर्ट को फैसले की जानकारी देनी होगी। 

 

उत्तर प्रदेश सरकार की इस बारे में नियमावली बनाए जाने के बारे में भी अदालत को जानकारी देनी होगी। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने DGP को महिला कांस्टेबल की अर्जी पर फैसला लेने का आदेश दिया था। इस के साथ ही  उत्तर प्रदेश सरकार से इस संबंध में नियम बनाने को भी कहा। मुख्य सचिव और DGP द्वारा कोई कदम नहीं उठाने पर हाई कोर्ट ने भी नाराजगी जताई थी। मामले की सुनवाई जस्टिस अजित कुमार की एकलपीठ में हो रही है। 

 

गोंडा में तैनात महिला कांस्टेबल नेहा सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 18 अगस्त के अपने आदेश में उत्तर प्रदेश के DGP को नेहा सिंह की याचिका पर फैसला लेने को कहा था और 2 के अंदर फैसला लेने को भी कहा था।  महीनों और उच्च न्यायालय में एक रिपोर्ट दाखिल करें। था। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आधार पर राज्य में नियम बनाने का भी आदेश दिया गया। हाई कोर्ट ने 18 अगस्त के अपने आदेश में कहा था कि लिंग परिवर्तन संवैधानिक अधिकार है। यदि आधुनिक समाज में किसी व्यक्ति को अपनी पहचान बदलने के इस अधिकार से वंचित कर दिया जाए तो इसे जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर सिंड्रोम ही कहा जाएगा।

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कोर्ट ने कहा है कि कभी-कभी ऐसी समस्या बेहद घातक हो सकती है क्योंकि ऐसा व्यक्ति खान-पान संबंधी विकार, चिंता, अवसाद, नकारात्मक छवि और अपनी यौन शारीरिक रचना के प्रति नापसंदगी से पीड़ित हो सकता है। यदि मनोवैज्ञानिक उपाय ऐसे संकट को कम करने में विफल होते हैं, तो सर्जिकल हस्तक्षेप पर विचार किया जाना चाहिए। महिला कांस्टेबल नेहा सिंह की ओर से कोर्ट में कहा गया कि वह जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित है, जिसके कारण वह खुद को को एक पुरुष के रूप में पहचानती है। वह लिंग परिवर्तन सर्जरी कराना चाहती है। इसके लिए उन्होंने 11 मार्च को DGP कार्यालय में अर्जी दाखिल की थी, लेकिन उनकी अर्जी पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। 

 

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में लिंग पहचान को व्यक्ति की गरिमा का अभिन्न अंग माना गया है। कोर्ट ने कहा था कि अगर उत्तर प्रदेश में ऐसा कोई नियम नहीं है तो राज्य को केंद्रीय कानून के मुताबिक कानून बनाना चाहिए। 
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