अयोध्या राम मदिर में प्राण प्रतिष्ठा पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में दायर हुई जनहित याचिका,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा सनातन धर्म की प्रक्रिया के खिलाफ है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर रोक लगाने की मांग की गई। कहा गया है कि शंकराचार्य भी इसके विरोध प्रदर्शन में हैं। पौष माह में धार्मिक कार्य नहीं होते।
Updated: Jan 17, 2024, 22:56 IST
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अयोध्या में होने वाले रामलला के अभिषेक को लेकर पूरा देश उत्साहित है। लोग इस ऐतिहासिक दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। 22 जनवरी को लेकर अयोध्या में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। इस मुद्दे को लेकर जमकर राजनीति भी हो रही है। पहले सिर्फ विपक्षी राजनीतिक दल और शंकराचार्य ही इस पर सवाल उठा रहे थे, वहीं अब आम लोग भी प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सवाल उठा रहे हैं। READ ALSO:-जगन्नाथ मंदिर हेरिटेज कॉरिडोर का उद्घाटन आज, 943 करोड़ रुपये की लागत से हुआ तैयार, आइए जानते है इन प्वाइंट से इसके बारे में
राम मंदिर के अभिषेक से पहले ही ये मामला अब कोर्ट पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। याचिका में 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में राम लला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव पर रोक लगाने की मांग की गई है। जानकारी के मुताबिक, यह याचिका भोला दास नाम के शख्स ने दायर की है, जो गाजियाबाद (उतार प्रदेश) का रहने वाला है।
'पौष माह में नहीं होते धार्मिक कार्यक्रम'
याचिकाकर्ता भोला दास का कहना है कि इन दिनों पौष माह चल रहा है और हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष माह में कोई भी धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता है, ऐसे में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट को इस पर रोक लगानी चाहिए। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि मंदिर अभी निर्माणाधीन है, मंदिर पूरी तरह से नहीं बना है, इसलिए भगवान को वहां स्थापित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा सनातन परंपरा से असंगत होगी।
याचिकाकर्ता भोला दास का कहना है कि इन दिनों पौष माह चल रहा है और हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष माह में कोई भी धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता है, ऐसे में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट को इस पर रोक लगानी चाहिए। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि मंदिर अभी निर्माणाधीन है, मंदिर पूरी तरह से नहीं बना है, इसलिए भगवान को वहां स्थापित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा सनातन परंपरा से असंगत होगी।
'चुनावी फायदे के लिए अधूरे मंदिर का अभिषेक कर रही है BJP'
भोला दास ने अपनी याचिका में शंकराचार्य का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर शंकराचार्यों ने भी आपत्ति जताई है। उन्होंने अधूरे मंदिर में मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करने पर भी नाराजगी जताई है। ऐसे में इस कार्यक्रम को फिलहाल रोक देना चाहिए। इतना ही नहीं याचिकाकर्ता भोला दास ने याचिका में BJP पर भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि BJP राम मंदिर पर राजनीति कर रही है। आगामी लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ के लिए पार्टी अधूरे मंदिर में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन कर रही है।
भोला दास ने अपनी याचिका में शंकराचार्य का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर शंकराचार्यों ने भी आपत्ति जताई है। उन्होंने अधूरे मंदिर में मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करने पर भी नाराजगी जताई है। ऐसे में इस कार्यक्रम को फिलहाल रोक देना चाहिए। इतना ही नहीं याचिकाकर्ता भोला दास ने याचिका में BJP पर भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि BJP राम मंदिर पर राजनीति कर रही है। आगामी लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ के लिए पार्टी अधूरे मंदिर में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन कर रही है।
शंकराचार्य ने भी नाराजगी जाहिर की है
आपको बता दें कि पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने भी राम मंदिर की पवित्रता पर सवाल उठाए थे। चारों शंकराचार्यों ने कार्यक्रम में हिस्सा न लेने का फैसला किया है। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने कहा था कि रामलला की प्रतिष्ठा शास्त्रीय विधि से नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त के अनुसार ही करनी चाहिए, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि भगवान की मूर्ति को कौन स्पर्श करेगा और कौन नहीं, प्रतिष्ठा कौन करेगा और कौन नहीं। इसके साथ ही शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए थे।
आपको बता दें कि पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने भी राम मंदिर की पवित्रता पर सवाल उठाए थे। चारों शंकराचार्यों ने कार्यक्रम में हिस्सा न लेने का फैसला किया है। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने कहा था कि रामलला की प्रतिष्ठा शास्त्रीय विधि से नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त के अनुसार ही करनी चाहिए, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि भगवान की मूर्ति को कौन स्पर्श करेगा और कौन नहीं, प्रतिष्ठा कौन करेगा और कौन नहीं। इसके साथ ही शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए थे।
विपक्षी दल भी इस पर सवाल उठा रहे हैं
विपक्षी दल शुरू से ही इस मुद्दे पर BJP पर हमलावर रहे हैं। कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी, समाजवादी पार्टी समेत सभी पार्टियों का कहना है कि BJP लोकसभा चुनाव में फायदा लेने के लिए राम मंदिर का इस्तेमाल कर रही है। वहीं, शिवसेना सांसद संजय राउत (उद्धव गुट) ने तो यहां तक कह दिया था कि BJP ने भगवान राम का अपहरण कर लिया है। उन्होंने यह भी कहा था कि जिस तरह से BJP राम के नाम पर राजनीति कर रही है, वह दिन दूर नहीं जब वह भगवान राम को अयोध्या से BJP उम्मीदवार घोषित करेगी।
विपक्षी दल शुरू से ही इस मुद्दे पर BJP पर हमलावर रहे हैं। कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी, समाजवादी पार्टी समेत सभी पार्टियों का कहना है कि BJP लोकसभा चुनाव में फायदा लेने के लिए राम मंदिर का इस्तेमाल कर रही है। वहीं, शिवसेना सांसद संजय राउत (उद्धव गुट) ने तो यहां तक कह दिया था कि BJP ने भगवान राम का अपहरण कर लिया है। उन्होंने यह भी कहा था कि जिस तरह से BJP राम के नाम पर राजनीति कर रही है, वह दिन दूर नहीं जब वह भगवान राम को अयोध्या से BJP उम्मीदवार घोषित करेगी।