उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के नाम हिंदी के साथ-साथ अब उर्दू में भी लिखे जाएंगे, सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश जारी
उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के नाम अब हिंदी के साथ-साथ उर्दू में भी लिखे जाएंगे। इस संबंध में निदेशक स्वास्थ्य केंद्र की ओर से राज्य के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
Updated: Sep 9, 2022, 17:28 IST
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उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के नाम अब हिंदी के साथ उर्दू में भी लिखे जाएंगे। ये निर्देश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को जारी किए गए हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण विभाग के सभी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने नाम की तख्तियों पर अपना नाम हिंदी के साथ-साथ उर्दू में भी लिखें।Read Also;-UP: अब उपभोक्ताओं को मोबाइल पर मिलेगी बिजली से जुड़ी सभी जानकारी, ऐसे अपडेट होगा मोबाइल नंबर
उन्नाव निवासी मोहम्मद हारून नाम के व्यक्ति ने पत्र लिखकर शिकायत की थी कि दूसरी राजभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त होने के बावजूद यूपी के विभिन्न विभागों में इसका पालन नहीं किया जा रहा है. पत्र में इसका पालन न करने की शिकायत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में भी की गई थी। इसके बाद राज्य के निदेशक स्वास्थ्य केंद्र डॉ. शैलेश द्वारा शासनादेश का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं.
बता दें कि इस शासनादेश के बाद उत्तर प्रदेश के सभी 167 सरकारी जिला अस्पतालों, 873 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) और 2934 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के नाम हिंदी के साथ-साथ उर्दू में भी लिखे जाएंगे। इसके साथ ही विभाग के अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी अपनी नेम प्लेट पर अपना नाम हिंदी के साथ-साथ उर्दू में भी लिखेंगे।
भाषा विभाग द्वारा 1989 में अधिसूचना जारी की गई थी।
गौरतलब है कि 7 अक्टूबर 1989 को भाषा विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया था। इस संबंध में 19 नवंबर 1990 को शासनादेश जारी किया गया था। बीच में इसका पालन करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। लेकिन इसका सख्ती से पालन नहीं हो रहा था। अब एक बार फिर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में निर्देश जारी किया है।
गौरतलब है कि 7 अक्टूबर 1989 को भाषा विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया था। इस संबंध में 19 नवंबर 1990 को शासनादेश जारी किया गया था। बीच में इसका पालन करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। लेकिन इसका सख्ती से पालन नहीं हो रहा था। अब एक बार फिर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में निर्देश जारी किया है।