मेरठ: सोते समय मौत के आगोश में समाया पूरा परिवार, कमरे में अंगीठी जली मिली, मरने वालों में एक 4 साल की बच्ची भी
मेरठ के टीपीनगर थाना क्षेत्र के शंभूनगर में शनिवार की देर रात फाइनेंस कंपनी के मालिक की कोठी में दम घुटने से नौकर दंपती की चार साल की बेटी समेत मौत हो गई।
Jan 2, 2023, 14:29 IST
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मेरठ में एक बड़ी घटना हुई है। साल 2022 की आखिरी रात एक परिवार की जिंदगी की आखिरी रात साबित हुई। मेरठ के टीपीनगर में 4 साल की बच्ची समेत माता-पिता की सोते समय मौत हो गई। कारण का खुलासा बंद कमरे में अंगीठी जलाने से हुआ। कमरे में ऑक्सीजन लेवल कम होने से दम घुट गया।Read Also:-बेहद दर्दनाक : कार सवार युवकों ने युवती को मारी टक्कर, लड़की को 10 KM तक घसीटा; हड्डियां हुईं चकनाचूर, निर्वस्त्र मिला शव
मेरठ के टीपीनगर इलाके में रहते हैं उद्यमी आलोक बंसल। नेपाली नौकर चंदर अपनी पत्नी राधा और 4 साल की बेटी अंजलि के साथ उनके घर के ऊपर छत पर एक कमरे में रहता था। वह चौमाला कैलाली नेपाल की रहने वाला था। 31 दिसंबर की रात चंदर अपने परिवार के साथ कमरे में अंगीठी जलाकर सोया था। एक जनवरी को जब नौकर का परिवार दोपहर तक बाहर नहीं आया तो गृहस्वामी चंदर को देखने कमरे में गया।
दरवाजा अंदर से बंद था
आलोक बंसल व घर के अन्य लोग जब चंदर को देखने गए तो कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। जब कोई हलचल नहीं हुई तो उसने दरवाजा तोड़ा और चंदर को अपनी पत्नी के साथ अंदर मृत पाया। कमरा धुएँ से भरा हुआ था। चंदर की 4 साल की बेटी अंजलि बिस्तर पर बेहोश पड़ी थी।
आलोक बंसल व घर के अन्य लोग जब चंदर को देखने गए तो कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। जब कोई हलचल नहीं हुई तो उसने दरवाजा तोड़ा और चंदर को अपनी पत्नी के साथ अंदर मृत पाया। कमरा धुएँ से भरा हुआ था। चंदर की 4 साल की बेटी अंजलि बिस्तर पर बेहोश पड़ी थी।
आनन फानन में बंसल परिवार ने टीपीनगर थाने को सूचना दी। पुलिस बच्ची को इलाज के लिए केएमसी अस्पताल ले गई। अस्पताल में भर्ती कराते ही बच्ची की भी मौत हो गई। पुलिस ने तीनों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। डॉक्टरों ने बताया कि शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से बच्ची की मौत हुई है. वहीं, हादसे की जानकारी पुलिस ने चंदर के परिजनों को दे दी है।
अलाव की लकड़ी, कोयले के कमरे में रखी
बंसल परिवार ने बताया कि आलोक बंसल 31 दिसंबर को घर से बाहर थे। घर पर बेटे और परिवार के अन्य सदस्यों, दोस्तों ने मिलकर पार्टी की। न्यू ईयर सेलिब्रेशन देर रात तक चलता रहा। जश्न में बोन फायर भी किया गया।
बंसल परिवार ने बताया कि आलोक बंसल 31 दिसंबर को घर से बाहर थे। घर पर बेटे और परिवार के अन्य सदस्यों, दोस्तों ने मिलकर पार्टी की। न्यू ईयर सेलिब्रेशन देर रात तक चलता रहा। जश्न में बोन फायर भी किया गया।
चंदर, उनकी पत्नी राधा कार्यक्रम में लोगों के लिए खाना बनाने में व्यस्त थे। देर रात तक घर में पार्टी चलती रही। रात 12 बजे के बाद बंसल परिवार की पार्टी खत्म हुई। इसलिए चंदर अलाव में जली लकड़ी और कोयले को ऊपर छत पर अपने कमरे में ले आया।
कमरे में धुंआ भर गया था
वह कमरा जहां चंदर अपने परिवार के साथ रहता था। उस कमरे में कहीं भी वेंटिलेटर नहीं था। चंदर अलाव की बची हुई लकड़ी और कोयला लाकर अपने कमरे में रख लिया। ठंड का अहसास न हो इसके लिए दरवाजा बंद कर कमरे को सील कर दिया। रात भर कमरे में धुआं भर गया। धुएं के कारण कमरे में ऑक्सीजन कम हो गई, कार्बन का स्तर बढ़ गया और चंदर और उनकी पत्नी की मौत हो गई। छोटी बच्ची को अस्पताल लाया गया, जहां वह दो घंटे तक जिंदगी के लिए संघर्ष करती रही। उनके शरीर में ऑक्सीजन लेवल भी खत्म हो गया था। डॉक्टर भी उसे नहीं बचा सके।
वह कमरा जहां चंदर अपने परिवार के साथ रहता था। उस कमरे में कहीं भी वेंटिलेटर नहीं था। चंदर अलाव की बची हुई लकड़ी और कोयला लाकर अपने कमरे में रख लिया। ठंड का अहसास न हो इसके लिए दरवाजा बंद कर कमरे को सील कर दिया। रात भर कमरे में धुआं भर गया। धुएं के कारण कमरे में ऑक्सीजन कम हो गई, कार्बन का स्तर बढ़ गया और चंदर और उनकी पत्नी की मौत हो गई। छोटी बच्ची को अस्पताल लाया गया, जहां वह दो घंटे तक जिंदगी के लिए संघर्ष करती रही। उनके शरीर में ऑक्सीजन लेवल भी खत्म हो गया था। डॉक्टर भी उसे नहीं बचा सके।
31 दिसंबर को बच्ची ने अपना बर्थडे सेलिब्रेट किया
परिवार के तीनों सदस्यों की एक साथ मौत एक बड़ा हादसा है। इससे भी ज्यादा दुख 4 साल की अंजलि का है जिसने 31 दिसंबर की रात को 3 साल पूरे कर अपना चौथा जन्मदिन मनाया। वो भी नहीं बच सकी। 31 दिसंबर को अंजलि का बर्थडे भी था। जब चंदर के मालिक बंसल परिवार की न्यू ईयर पार्टी खत्म हो गई। इसके बाद चंदर ने अपनी बेटी अंजलि का बर्थडे भी कमरे में सेलिब्रेट किया।
परिवार के तीनों सदस्यों की एक साथ मौत एक बड़ा हादसा है। इससे भी ज्यादा दुख 4 साल की अंजलि का है जिसने 31 दिसंबर की रात को 3 साल पूरे कर अपना चौथा जन्मदिन मनाया। वो भी नहीं बच सकी। 31 दिसंबर को अंजलि का बर्थडे भी था। जब चंदर के मालिक बंसल परिवार की न्यू ईयर पार्टी खत्म हो गई। इसके बाद चंदर ने अपनी बेटी अंजलि का बर्थडे भी कमरे में सेलिब्रेट किया।
रात दो बजे तक चंदर, उसकी पत्नी और बेटी कमरे में ही बर्थडे मनाते रहे। रात 2 बजे के बाद ही दोनों परिवार सो पाए। मासूम अंजलि 2 घंटे तक अस्पताल में तड़पती रही। मम्मी-मम्मी बार-बार चिल्लाती रहीं और आखिर में उनकी भी सांसें टूट गईं। वेंटिलेटर पर रखे जाने के बाद भी अंजलि की जान नहीं बची।
नौकरानी ने आवाज लगाई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला
बंसल परिवार ने पुलिस को बताया कि 31 दिसंबर को घर में जश्न था। 3 बजे के बाद ही सभी सो गए। इसलिए सुबह जल्दी ना उठे। घर में और भी नौकर हैं जो काम करते हैं। लेकिन 1 जनवरी को जब चंदर और उसकी पत्नी दोपहर तक भी काम पर नहीं आए तो घर की एक और नौकरानी उन्हें देखने ऊपर गई।
बंसल परिवार ने पुलिस को बताया कि 31 दिसंबर को घर में जश्न था। 3 बजे के बाद ही सभी सो गए। इसलिए सुबह जल्दी ना उठे। घर में और भी नौकर हैं जो काम करते हैं। लेकिन 1 जनवरी को जब चंदर और उसकी पत्नी दोपहर तक भी काम पर नहीं आए तो घर की एक और नौकरानी उन्हें देखने ऊपर गई।
दूसरी नौकरानी ने पुकारा तो कोई उत्तर नहीं मिला। बाद में दूसरे लोगो को बुलाकर कमरे के बाहर लगे जाल को तोड़ा गया। जब वह दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुए तो चंदर और उसकी पत्नी मृत पड़े थे जबकि बेटी अंजलि तड़प रही थी। मकान मालिक ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।
बंद कमरे में आग, हीटर, अंगीठी, जलाना मृत्यु को इनविटेशन
ठंड से बचने के लिए अगर कोई रूम हीटर चलाकर या आग जलाकर रात भर कमरे में सोता है तो यह सीधे तौर पर जान के लिए खतरा है। बंद कमरे में धुआं भरने से ऑक्सीजन लेवल जीरो हो जाता है। कमरे में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ सकता है। इससे दम घुट सकता है। चेस्ट विशेषज्ञ डॉ. वीएन त्यागी के मुताबिक बंद कमरे में अगर कोयला जलाया जाए तो इससे वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है।
ठंड से बचने के लिए अगर कोई रूम हीटर चलाकर या आग जलाकर रात भर कमरे में सोता है तो यह सीधे तौर पर जान के लिए खतरा है। बंद कमरे में धुआं भरने से ऑक्सीजन लेवल जीरो हो जाता है। कमरे में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ सकता है। इससे दम घुट सकता है। चेस्ट विशेषज्ञ डॉ. वीएन त्यागी के मुताबिक बंद कमरे में अगर कोयला जलाया जाए तो इससे वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है।
यह गैस सीधे दिमाग पर असर करती है। यह सांस के जरिए शरीर के अंदर पहुंचती है। दिमाग पर असर पड़ने से कमरे में सोने वाला बेहोश हो सकता है। यह कार्बन खून में घुल जाता है और धीरे-धीरे ऑक्सीजन कम कर देता है। कार्बन मोनोऑक्साइड सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचती है और खून में मिल जाती है। इससे हीमोग्लोबिन का स्तर घट जाता है। इससे व्यक्ति की मौत हो जाती है।