मेरठ: फर्जी नौकरी देने वाले कॉल सेंटर का भंडाफोड़, एसटीएफ ने किया तीन को गिरफ्तार, बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर पैसे ऐंठते थे

एसटीएफ ने फर्जी नौकरी देने वाले कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है। एसटीएफ ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है।
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उत्तर प्रदेश के मेरठ में कॉल सेंटर पर नौकरी का झांसा देकर बेरोजगारों से ठगी का मामला सामने आया है। शुक्रवार को एसटीएफ (STF) और मेडिकल थाना पुलिस ने मिलकर मेरठ शास्त्री नगर भूतनाथ चौराहा के पास एक कॉल सेंटर को पकड़ा है। यहां टीम ने 3 लड़कों को गिरफ्तार किया है। जो नौकरी दिलाने का झांसा देकर पैसे मांगते थे। पुलिस गिरफ्तार तीनों युवकों से पूछताछ कर रही है।Read Also:-अब नहीं चलेगी ऑटो और टेक कंपनियों की मनमानी , इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल मोबाइल और टेलीकॉम कम्पनी को भी दिखानी होगी एक्सपायरी डेट.....
पुलिस ने मौके से जिन तीन युवकों को पकड़ा है उनके नाम रंजन, मोहित और नारायणकेला हैं। इसमें रंजन पुत्र हरिनंदन कोलाब रोड मुजफ्फरपुर बिहार का रहने वाला है। वर्तमान में शास्त्रीनगर मेरठ में रह रहे हैं। दूसरा शास्त्री नगर मेरठ निवासी संजीव केला का पुत्र नारायण केला और मेरठ के भोला का झाल निवासी नरेश शर्मा का पुत्र मोहित शर्मा है। कई दिनों से पुलिस को मुखबिर से कॉल सेंटर में नौकरी के नाम पर ठगी की जानकारी मिल रही थी। पुलिस मौके की तलाश कर रही थी। शुक्रवार को मेडिकल थाना पुलिस और एसटीएफ (STF) ने मिलकर इस कॉल सेंटर का राज खोल दिया।
दो महीने पहले बदला कार्यालय
ये लोग हर 2 महीने में अपना दफ्तर बदलते थे ताकि फर्जी नौकरी देने वाला कॉल सेंटर पुलिस की नजर में न आ सके। दो महीने पहले उन्होंने शास्त्री नगर भूतनाथ चौराहा के पास कार्यालय शिफ्ट कर लिया था। इससे पहले यह कॉल सेंटर तेजगढ़ी के एक परिसर में चलता था।
कॉल सेंटर में युवक बेरोजगारों को फोन कर नौकरी दिलाने का झांसा देते थे। निजी कंपनियों, सरकारी विभागों से लेकर मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी दिलाने का वादा करता था। रेलवे, पुलिस, सेना से लेकर हर विभाग और कंपनी में नौकरी दिलाने की बात कहकर पैसा खाते में ट्रांसफर करवाते थे। इसमें चपरासी से लेकर मुनीम, सेल्स, क्लर्क, मास्टर से लेकर अफसर तक हर पद पर नौकरी दिलाने की बात कर पैसे वसूलते थे और इंडियन अथॉरिटी में नौकरी तक की बात करते थे। पुलिस बैंक खातों की भी जांच कर रही है।
डाक व विभाग के मुताबिक कॉल सेंटर पर बेरोजगारों से पैसे वसूले जाते थे। सरकारी विभाग में नौकरी की दर प्राइवेट नौकरी से ज्यादा थी। एक हजार रुपये से लेकर लाखों रुपये तक का रेट तय था। वह नौकरी के समान दर वसूल करता था। सरकारी नौकरी चाहिए थी तो उसका रेट अलग था। प्राइवेट कंपनी का जॉब रेट अलग है।
पुलिस के मुताबिक पहले ये लोग बेरोजगार युवकों को फोन कर नौकरी का ऑफर देते थे। इसके बाद प्रोसेसिंग के नाम पर उनसे खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए गए। और पूछताछ जारी है। बताया जा रहा है कि इन लोगों ने दो महीने पहले ही किराए पर दुकान लेकर यहां अपना कार्यालय खोला है। हालांकि दुकान मालिक ने दुकान देते समय कोई पुलिस वेरिफिकेशन भी नहीं कराया।
नौकरी दिलाने के नाम पर अब तक हजारों लोगों से ठगी हो चुकी है। लेकिन आज तक किसी ने उनके खिलाफ शिकायत नहीं की है। पुलिस ने मुखबिर के आधार पर ही इन्हें पकड़ लिया। गिरफ्तार युवकों के पास से 3 लैपटॉप, 1 डेस्कटॉप, 11 मोबाइल फोन, 18 सिम कार्ड, 3 डोंगल, 9 एटीएम कार्ड और 1 बैंक पास बुक, चेक बुक, रजिस्टर बरामद किया गया है। 
बताया जा रहा है कि गिरोह का सरगना अनुज पुनिया है। जो ऑनलाइन जॉब पोर्टल से डेटा खरीद कर नौकरी दिलाने के नाम पर हर बेरोजगार से अलग-अलग बैंक खातों में 3 हजार रुपये की मांग करता था। फिर ये लोग खाते से पैसा निकाल कर अपने रिश्तेदारों के खाते में जमा करा देते थे। 
एएसपी एसटीएफ बृजेश सिंह का कहना है कि गिरफ्तार तीनों युवक मेरठ में 2020 से फर्जी नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोगों से ठगी कर रहे थे। हर माह करीब 75 युवकों से ठगी करते थे। पहले नौकरी का झांसा देकर लोगों को बुलाते थे और फिर उनसे रंगदारी वसूलते थे।
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