पुलिस हिरासत से फरार चल रहे ढाई लाख के इनामी डॉन बदन सिंह बद्दो ने एक बार फिर सोशल मीडिया पर अपनी दस्तक दी है। ऐसे में सोशल मीडिया से लेकर शहर के आम लोगों में इसकी चर्चा तेज हो गई है। जहां डीजीपी उसे जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का दावा कर रहे हैं वहीं बदन सिंह बेखौफ होकर फेसबुक पर पोस्ट डाल रहा है।
अपनी पोस्ट में बदन सिंह ने यूपी पुलिस के कुछ पूर्व अधिकारियों के साथ ही मेरठ शहर के कुछ बड़े लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जिन्हें हम आप तक उसी के लिखे शब्दों में (शब्दों और व्याकरण की त्रुटियों को ठीक कर) पहुंचा रहे हैं। पोस्ट बड़ी होने के कारण हम इसे अलग-अलग पार्ट में प्रकाशित कर रहे हैं ताकि आपको इसे पढ़ने में आसानी हो।
चेकमेट नाम की पोस्ट का तीसरा पैराग्राफ
बदन सिंह ने अपनी पोस्ट में वर्ष 2003 का जिक्र किया है। जिसमें बताया कि ब्रजलाल उस वक्त मेरठ के एसएसपी हुआ करते थे। बद्दो ने लिखा कि उस वक्त मनोरंजन के लिए वीसीआर और सीडी प्लेयर काफी बड़ी चीज मानी जाती थी। जिन्हें किराए पर देने का काम रोमी नाम का शख्स करता था। पुलिस विभाग में जहां भी सीडी प्लेयर या वीसीआर लगाया जाता तो वह रोमी ही लगाता था, इसके चलते पुलिस में उसकी अच्छी उठबैठ थी। इसी के चलते एसएसपी ब्रजलाल से रोमी की अच्छी दोस्ती हो गई।
बद्दो ने लिखा कि रोमी उस वक्त केबल टीवी का भी काम किया करता था। जिसका फैलाव कुछ गलियों में ही था। जिससे उसे 25 हजार रुपये की आमदनी हो जाया करती थी। परंतु उसकी सोच करोड़ों रुपये कामने की की थी। उसी पता था कि आने वाला दशक केबल कारोबार का ही है। चूंकि मेरठ में काफी अलग-अलग कारोबारी केबल का काम कर रहे थे। रोमी इस केबल कारोबार पर कब्जा चाहता था, इस के लिए उसे ताकत की जरूरत थी। जिसके लिए उसने एसएसपी ब्रजलाल से बात की और आईपीएस ब्रजलाल को अपने कारोबार में पार्टर बनाया ।
पुलिस के सामने कारोबारियों ने रोमी को पीटा
पूरी प्लानिंग के तहत पूरे मेरठ के केबल कारोबारियों की बैठक पुलिस ने सदर बाजार थाने में कराई। सीओ सदर और रोमी ने मिलकर सभी केबल कारोबारियों पर दबाव बनाया। व्यापारियों से कहा गया कि केबल का पूरा काम वह रोमी के हवाले कर दें। खुली धमकी दी कि रोमी ही यह केबल कारोबार करेगा। जिस पर व्यापारी बिफर गए। उन्होंने सीओ के सामने ही रोमियों जमकर पीटा और जलील किया। पुलिस का दबाव रोमी की प्लानिंग में फेल हो गया। अब आईपीएस ब्रजलाल को भी लग गया था कि व्यापारियों को मौत का डर दिखाना होगा।
उस बाद ब्रजलाल ने उत्तरी भारत के डॉन कहने जाने वाले रविंद्र सिंह भूरा को अपने कारोबार में पार्टर बना लिया। याद हो कि (रोमी ने मीडिया को उस वक्त बयान दिया था कि कोई मेरा किसी माफिया से संबंध साबित करके दिखा दे।) दूसरी ओर केबल कारोबारियों ने रविंद्र भूरा के प्रतिद्वंदि माने जाने वाले माफिया डॉन सुशील सिंह के मुख्य आदमी भूपेंद्र बाफर को पार्टर बना लिया था। जिससे भूपेंद्र बाफर का कब्जा हो गया। इस सब से रोमी ब्रजलाल ग्रुप को बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी।
रविेंद्र भूरा ने फोन कर कहा- रोमी और ब्रजलाल आपसे (बददो) मिलने आ रहे हैं
बदन सिंह अपनी पोस्ट में लिखता है कि इस पूरे मामले में ब्रजलाल रोमी को मुंह की खाने के बाद मुझे रविंद्र सिंह भूरा का फोन आया कि ब्रजलाल और रोमी आपसे मिलने आ रहे हैं। समय रात के करीब 11 बजा होगा। एक स्कूटर पर हेल्मेट लगाए रोमी और ब्रजलाल(जिसका वजन 125 किग्रा. रहा होगा) मेरे घर आ गए। उस वक्त रोमी की स्कूटर की ही हैसियत थी। जबकि उस वक्त मेरा ट्रांसपोर्ट कंपनी थी जिसमें 107 ट्रक थे, लग्जरी कारें, शराब का कारोबार, रियल एस्टेट में बड़ा हिसाब था। अब देखों (रोमी उस वक्त प्रिंट मीडिया से कहता था कि बदन मुझसे गुंडा टैक्स मांगता है।
ब्रजलाल ने कहा कि आप अपने हिसाब से भूपेद्र बाफर ग्रुप का काम कल तक बंद कराओ। ये आपके लिए छोटा सा काम है। ब्रजलाल थोड़ा धीमी आवाज में बेशर्मी के साथ बोला कि जो काम पुलिस या सरकारें नहीं करा सकती हैं वह काम माफिया डाॅन करा सकते हैं। इस वार्ता के दौरान रोमी बेचारा, गरीब से बना हुआ बैठा रहा। इतना ही नहीं, रोमी ने मुझे पंजाबी होने का वास्ता देते हुए कहा कि हम दोनों पंजाबी हैं। इस समय कल क्या करना है इस सब की पूरी प्लानिंग बनाई गई। ब्रजलाल ने कहा कि मेरठ से लेकर लखनऊ तक पुलिस विभाग की जो मदद है वह आपके फेवर में मिलेगी।
अगले दिन ज्यादातर गलियों में केबल काट दिए गए
अगले दिन की सुबह कई सौ लोगोें की भीड़ ने भूपेंद्र बाफर पक्ष के कारोबारियों के केबल काट दिए। इतना ही नहीं, उनकी केबल से जुड़ी हर चीज पर कब्जा कर लिया गया, उनके आदमियों के साथ मारपीट की गई। जब वह लोग घटना के समय पुलिस को फोन कर रहे थे तो 100 नंबर घनघनाते ही रहे, पर रिसीव नहीं हुए। थानों में पुलिस होने के बावजूद वह थाने से बाहर नहीं निकले। कुल मिलाकर रोमी ब्रजलाल का केबल कारोबार पर कब्जा हो गया। उस समय केबल कारोबार से करीब 1 करोड़ रुपये महीनें की आमदनी थी।
कंपनी के अधिकार मुफ्त में ही लिखवाना चाहते थे रोमी, ब्रजलाल
अब कब्जे के बाद कंपनी के अधिकार लिखवाने के लिए होटल क्रिस्टल पेलेस के रेस्टोरेंट में बैठक रखी गई। जिसमें भूपेंद्र बाफर ग्रुप के लोग, सादी वर्दी में एसपी और मैं पहुंचा था। वहां भूपेंद्र बाफर की कंपनी के अधिकार लिखवा लिए गए। इतना ही नहीं, करोड़ों की कंपनी को वह मुफ्त में लिखवाना चाहते थे। उसके लिए मैना कहा कि सात लाख रुपये इन्हें दे दो । परंतु रोमी और ब्रजलाल इसमें भी खुश नहीं थे, वह चाहते थे कि बिल्कुल फ्री में ही उन्हें कंपनी मिल जाए। इस बात को मानने से मैंने मना कर दिया। मुझे उस समय की हैरान कर देने वाली बात भी याद है जब बैठक के दौरान रेस्टोरेंट का 6500 रुपये का बिल बना तो रोमी को वह भी देते में जोर पड़ रहा था। वह रेस्टोरेंट का बिल भी मैंने ही पे किया। उस वक्त रोमी की इतनी ही हैसियत थी...
अभी हमने इस खबर में बदन सिंह की पोस्ट का दूसरा हिस्सा ही प्रकाशित किया है, क्योंकि यह पोस्ट बहुत बड़ी है। हम अगली कुछ खबरों में बद्दो की पूरी पोस्ट उसी के लिखे शब्दों में प्रकाशित करेंगे।