प्रोपेगेंडा की राजनीति, एक आदमी का निमंत्रण, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में चारों शंकराचार्य क्यों नहीं होंगे शामिल, क्या दिए जा रहे तर्क
अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले रामलला के अभिषेक में चारों शंकराचार्य शामिल नहीं होंगे। चारों शंकराचार्यों के बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रहा है। इसमें चारों शंकराचार्यों के अपने-अपने तर्क हैं, लेकिन निशाना सीधे तौर पर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की रूपरेखा है। इनमें पुरी पीठ के शंकराचार्य के बयान पर कई लोग आपत्ति जता रहे हैं।
Jan 10, 2024, 14:24 IST
|
22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा है। भव्य कार्यक्रम हो रहा है और देश-विदेश से संत और अन्य गणमान्य लोग आ रहे हैं। उधर, चारों शंकराचार्यों ने इस कार्यक्रम की रूपरेखा पर सवाल उठाते हुए दूरी बना ली है। पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के बाद अब द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस कार्यक्रम का खुलकर विरोध किया। जबकि बाकी दो शंकराचार्यों ने अन्य माध्यमों से बयान देते हुए इस कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया है। READ ALSO:-UP : ये होगा गाजियाबाद का नया नाम, नगर निगम में प्रस्ताव पास, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लेंगे आखिरी फैसला
पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने आपत्तिजनक बयान देते हुए कहा कि वह इस कार्यक्रम में ताली बजाने नहीं जायेंगे। उन्हें अपने पद का घमंड नहीं है, लेकिन वे अपने पद की गरिमा जानते हैं। स्वामी निश्चलानंद समेत चारों शंकराचार्यों के बयान का वीडियो इस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें सबके अपने-अपने तर्क हैं। वीडियो में निश्चलानंद साफ कह रहे हैं कि उन्हें रामलला के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का निमंत्रण मिला है, लेकिन इसमें उन्हें सिर्फ एक आदमी के साथ आने को कहा गया है।
Unity between @RSSorg @BJP4India and Hindu Sanatan Dharma is impossible. #RSS considers Ram as a great man. We Sanatanis consider Ram as God. #RSS is atheist. Of the four Shankaracharyas, Nischalananda Ji Maharaj of Puri has rejected #RamMandir inauguration by @narendramodi.… pic.twitter.com/FbrDRWF3Zi
— @Misra_Amaresh (@misra_amaresh) January 4, 2024
अगर उन्हें 100 लोगों के साथ आने का न्योता भी दिया जाता तो भी वह इस समारोह में नहीं जाते। इसी वीडियो में वह कह रहे हैं कि मोदी के लिए वहां प्रतिमा को छूना और उनके लिए खड़े होकर ताली बजाना और जयकार करना संभव नहीं है। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि पहले वह भगवती सीता को अपनी बड़ी बहन मानते थे, लेकिन वह खुद छोटी बहन बनना पसंद करती हैं। इनका रिश्ता कोई नहीं तोड़ सकता। ऐसे में अयोध्या से कोई परहेज हो ही नहीं सकता।
उधर, हिंदू महासभा उत्तर प्रदेश ने श्रृंगेरी मठ के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी भारती तीर्थ के हवाले से एक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया है। इस वीडियो में दावा किया गया है कि शंकराचार्य रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जा रहे हैं। कहा गया है कि यह लोकसभा चुनाव से पहले हिंदू समाज को मूर्ख बनाने और दुष्प्रचार करने का भारतीय जनता पार्टी प्रायोजित कार्यक्रम है। इसी क्रम में ज्योतिर्थि पीठ के शंकराचार्य स्वामी अवि मुक्तेश्वरा नंद का एक वीडियो भी सामने आया है।
इस वीडियो को कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने फेसबुक पर पोस्ट किया है। इस वीडियो में शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा की पद्धति पर सवाल उठा रहे हैं। वह कह रहे हैं कि यह कार्यक्रम राम मंदिर के बारे में नहीं, बल्कि वोटों के बारे में है। वहीं, शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती का कहना है कि पौष के अशुभ माह में प्राण प्रतिष्ठा का कोई औचित्य नहीं है। यह सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक हितों की पूर्ति कर रहा है।