मॉब लिंचिंग और बच्चियों से गैंगरेप में मौत की सज़ा, लड़की की फोटो वायरल करने पर 7 साल की सज़ा... नए बिल में किस अपराध के लिए कितनी सज़ा?

मोदी सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में बड़े कानूनी बदलावों का ऐलान किया।  देश के आपराधिक कानून में बदलाव किये गये हैं। IPC, CRPC और एविडेंस एक्ट में अंग्रेजों की गुलामी खत्म कर दी गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बिल पेश कर इसकी घोषणा की। 
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भारत सरकार ने ब्रिटिश शासन के दौरान बनी भारतीय दंड संहिता यानी इंडियन पीनल कोड में बदलाव करने का फैसला किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में तीन ऐसे बिल पेश किए, जिनसे कई कानून बदल जाएंगे, कई कानून खत्म हो जाएंगे और कई नए कानून बनेंगे। एक तरह से आप कह सकते हैं कि ये बिल भविष्य के भारत में सज़ा और न्याय के क़ानून की नई परिभाषा तय करेंगे। इन तीन विधेयकों के नाम भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 हैं।READ ALSO:-कर्ज लेना हुआ महंगा, देश के 3 इन बड़े सरकारी बैंकों ने बढ़ाई ब्याज दरें, आपका लोन हो जाएगा महंगा!
इन तीनों विधेयकों को लोकसभा में पेश करने के बाद चर्चा के लिए स्थायी समिति के पास भेज दिया गया। बिल के मुताबिक, IPC को अब भारतीय न्यायिक संहिता कहा जाएगा। आपको बता दें कि देश में ब्रिटिश शासन के दौरान 1862 में भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 लागू की गई थी, जिसे अब भारतीय न्याय संहिता 2023 नाम देने का प्रस्ताव है।

 


इसी तरह, दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) 1973 को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 से बदलने का प्रस्ताव है। CRPC को 1882 में लागू किया गया था, बाद में 1892 और 1973 में बदलाव किए गए। अब इसका पूरा नाम ही बदल रहा है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 में पेश किया गया है।

 

वैसे तो इन तीनों कानूनों में कई बदलाव प्रस्तावित हैं, लेकिन कई ऐसे बड़े बदलाव भी हैं, जिन पर कई सालों से विचार किया जा रहा था। जिसका जिक्र करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि...

 

  • कानून में बदलाव से राजद्रोह कानून पूरी तरह खत्म हो जाएगा। आपको बता दें कि ये एक बड़ा बदलाव होगा, क्योंकि समय-समय पर इस पर सवाल उठते रहे हैं।  सुप्रीम कोर्ट में भी इस कानून को रद्द करने की मांग की गई है।
  • इसके अलावा मॉब लिंचिंग पर भी कानून का प्रावधान है। मॉब लिंचिंग के दोषियों के लिए 7 साल से लेकर उम्रकैद और मौत की सजा तक का प्रावधान है। 
  • सामूहिक दुष्कर्म के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है।
  • 18 साल से कम उम्र की लड़कियों से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। 
  • गलत पहचान बताकर शादी करने वाले को 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
  • 7 साल से ज्यादा की सजा वाले मामलों में फॉरेंसिक रिपोर्ट जरूरी होगी। 
  • चेन और मोबाइल स्नैचरों के लिए 10 साल से लेकर उम्रकैद तक का प्रावधान किया गया है। 
  • भगोड़े अपराधियों की अनुपस्थिति में भी सुनवाई का प्रावधान किया गया है।
  • इतना ही नहीं नए बदलाव में एक अहम बदलाव ये भी है कि लड़की की फोटो वायरल करने पर 3 साल की सजा होगी। इन बदलावों के अलावा कुछ ऐसे बदलाव भी प्रस्तावित हैं, जिनका असर आपको पुलिस जांच की प्रक्रिया में देखने को मिलेगा। 

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सरकार द्वारा पेश किये गये विधेयकों में यह प्रावधान किया गया है
  • जीरो FIR को 15 दिन के अंदर संबंधित थाने में भेजना होगा। जीरो FIR वह है जिसे आप कहीं भी करा सकते हैं, इसके लिए घटना वाले थाने में जाने की जरूरत नहीं है। उदाहरण के तौर पर आपके साथ कोई घटना दिल्ली में हुई है और आप गाजियाबाद में रहते हैं तो आप गाजियाबाद में ही जीरो FIR करा सकते हैं। 
  • अगर पुलिस किसी व्यक्ति को हिरासत में लेती है या गिरफ्तार करती है तो उसे परिवार को लिखित में सूचित करना होगा।
  • पुलिस को किसी भी मामले की स्टेटस रिपोर्ट 90 दिन में देनी होगी। यानी ये बताना होगा कि जांच कहां तक पहुंची है। 
  • अब पुलिस को 90 दिन में चार्जशीट दाखिल करनी होगी।
  • जरूरत पड़ने पर कोर्ट किसी भी मामले में 90 दिन का समय और दे सकती है, यानी 180 दिन के अंदर आरोप पत्र दाखिल करना जरूरी होगा।
  • हर हाल में बहस पूरी होने के बाद 30 दिन के अंदर फैसला देना होगा। 
  • फैसला आने के बाद 7 दिन के अंदर इसे ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा। 
  • इन तीनों बिलों को पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2019 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जो कानून अंग्रेजों ने बनाया था, उसे आज के  मुताबिक आज का कानून बनाया जाएगा। इस पर व्यापक चर्चा हुई है। सभी उच्च न्यायालयों, विश्वविद्यालयों, सर्वोच्च न्यायालय, आईएएस, आईपीएस, राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, सांसदों, विधायकों, विधि विश्वविद्यालयों आदि को उनकी राय लेने के लिए लिखा गया है। इसके बाद वह ये बिल लेकर आये हैं। 475 गुलामी के प्रतीक चिन्हों को समाप्त किया गया। इससे लोगों को न्याय मिलने में आसानी होगी। 

 

राजद्रोह की धारा 124ए खत्म कर दी गई
नए बिल में राजद्रोह की धारा 124ए को खत्म कर दिया गया है, जो देश में सत्तारूढ़ सरकारों के खिलाफ अभिव्यक्ति या विरोध जताने वालों पर आपराधिक कार्रवाई और सजा देती थी। लेकिन इस विधेयक में भारतीय न्यायिक संहिता की धारा 150 में प्रस्तावित किया गया है कि किसी भी व्यक्ति या संस्था का कोई भी कार्य, जिससे विभाजन होने की संभावना हो या देश की अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े, सशस्त्र विद्रोह हो या ऐसी कोई छिपी हुई गतिविधि हो, जो सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकती हो। और देश की अखंडता को बढ़ावा देता है या अलगाववादी भावना को बढ़ावा देता है और देश की अखंडता, एकता और संप्रभुता को खतरे में डालता है या चोट पहुंचाता है, ऐसी स्थिति में धारा 150 के तहत आजीवन कारावास या 7 साल की कैद होगी।

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सरकार ने ब्रिटिश काल में लगी राजद्रोह की धारा को हटा दिया है, क्योंकि इस धारा का इस्तेमाल केंद्र या राज्य सरकार द्वारा सरकार के खिलाफ कोई कार्रवाई करने या व्यक्त करने के लिए किया जाता था, जबकि धारा 150 में देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को शामिल किया गया है। नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों पर ही आपराधिक मुकदमा चलाकर जेल भेजा जाएगा।

 

वैसे, आज पेश किए गए बिलों में कुछ दिलचस्प बदलाव भी हुए। भारतीय फिल्मों में मौत की सजा के लिए आपने अक्सर जज को ये कहते हुए सुना होगा कि 'ताजीरात-ए-हिंद' की धारा 302 के तहत दोषी को मौत की सजा दी जाती है। लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धारा 302 के तहत हत्या नहीं बल्कि स्नैचिंग का अपराध होगा. पहले इसमें हत्या का मुकदमा चलता था, अब स्नैचिंग का अपराध। यानी राह चलते किसी के गले से चेन, घड़ी, मोबाइल, बैग जैसी चीजें छीनने पर धारा 302 के तहत ही सुनवाई होगी। 
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