वंदे भारत एक्सप्रेस को टक्कर देने आ गई है हाइड्रोजन ट्रेन, इतनी होगी इसकी स्पीड…हैरान रह जाएंगे आप! एक साथ 2500 यात्री करेंगे सफर
भारत में जल्द ही हाइड्रोजन ट्रेन चलने वाली है जो डीजल इंजन से कम प्रदूषण करेगी। यह ट्रेन हरियाणा के जींद से सोनीपत के रूट पर चलेगी और इसकी अधिकतम गति 110 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। यह ट्रेन दुनिया की सबसे बड़ी हाइड्रोजन ट्रेन होगी और इसकी क्षमता 2638 यात्रियों की होगी। इसके साथ ही यह ट्रेन पर्यावरण के अनुकूल भी होगी।
Dec 1, 2024, 00:00 IST
|
देश में डीजल इंजन से कम प्रदूषण फैलाने वाली हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की तैयारियां जोरों पर हैं। हरियाणा के जींद से सोनीपत तक का रूट और 110 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम स्पीड भी तय कर दी गई है। जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन के बाद भारत हाइड्रोजन ट्रेन चलाने वाला दुनिया का पांचवां देश बन जाएगा। READ ALSO:-UP : संभल में सुरक्षा कड़ी, बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध 10 दिसंबर तक बढ़ाया गया
हाइड्रोजन ईंधन वाली ट्रेन का डिजाइन लखनऊ स्थित रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) ने तैयार किया है। आरडीएसओ के एक अधिकारी ने बताया कि वंदे भारत ट्रेन को इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) चेन्नई में तैयार किया गया, जबकि हाइड्रोजन ईंधन वाली ट्रेन पर काम चल रहा है।
नाम हो सकता है नमो ग्रीन रेल माना जा रहा है कि देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का नाम नमो ग्रीन रेल हो सकता है, क्योंकि आरडीएसओ द्वारा लॉन्च किए गए मॉडल ट्रेन सेट पर नमो ग्रीन रेल लिखा हुआ है।
हालांकि हाइड्रोजन ट्रेन का आधिकारिक नाम अभी तय नहीं हुआ है। आरडीएसओ स्टेडियम परिसर में इनो रेल इंडिया 2024 प्रदर्शनी में ऑस्ट्रिया, जर्मनी, रूस, जापान समेत 150 से ज्यादा कंपनियों ने स्टॉल लगाए हैं।
इस दौरान उन्नत तकनीक और नवाचारों के आधार पर रेलवे के समृद्ध भविष्य पर भी चर्चा की गई। इसके साथ ही रेलवे की दक्षता, सुरक्षा और सुंदरता बढ़ाने के लिए नवीनतम विकास पर तीन दिवसीय चर्चा शुरू हो गई है।
प्रदर्शनी में हाई-स्पीड रेल, शहरी जनता, भारत में बुलेट और सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनें, यातायात अनुकूलन के लिए आधुनिक तकनीक, स्मार्ट रोलिंग स्टॉक जैसे विषयों पर सेमिनार और तकनीकी चर्चाएं हुईं।
हर दो साल में आयोजित होने वाले इस आयोजन का पहला संस्करण 2014 में आयोजित किया गया था। इस आयोजन में आरडीएसओ के साथ सीआईआई भी भागीदार है।
हाइड्रोजन ट्रेन की खासियतें
- 400 किलो हाइड्रोजन भरने की क्षमता
- 375 किलोमीटर के चार चक्कर लगेंगे
- सोनीपत से जींद की दूरी 89 किलोमीटर
- 8 कोच वाली ट्रेन दुनिया की सबसे बड़ी हाइड्रोजन ट्रेन होगी
- इसे 2,638 यात्रियों की क्षमता के साथ चलाया जाएगा
- 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रायल किया जाएगा
ट्रेनों में इवेंट रिकॉर्डर ब्लैक बॉक्स की तरह काम करेगा
वंदे भारत, मेट्रो और दूसरी आधुनिक ट्रेनों के दरवाजे ऑटोमेटिक हैं। लोकोमोटिव पायलट ट्रेन को रोकने के लिए ब्रेक लगाता है, पलक झपकते ही ब्रेक लग जाते हैं। इसी तरह इलेक्ट्रिक ट्रेनों में पेंटोग्राफ को बिजली की लाइन से जोड़ा जाता है, अगले स्टेशन की घोषणा आदि की जाती है, ये सारी गतिविधियां संचार प्रणाली के जरिए होती हैं।
वंदे भारत, मेट्रो और दूसरी आधुनिक ट्रेनों के दरवाजे ऑटोमेटिक हैं। लोकोमोटिव पायलट ट्रेन को रोकने के लिए ब्रेक लगाता है, पलक झपकते ही ब्रेक लग जाते हैं। इसी तरह इलेक्ट्रिक ट्रेनों में पेंटोग्राफ को बिजली की लाइन से जोड़ा जाता है, अगले स्टेशन की घोषणा आदि की जाती है, ये सारी गतिविधियां संचार प्रणाली के जरिए होती हैं।
जर्मन कंपनी डुगन ने एक कदम आगे बढ़कर इवेंट रिकॉर्डर भी तैयार किया है, जिसमें पायलट से लेकर कोच आदि तक ट्रेन की सारी गतिविधियां रिकॉर्ड होंगी। जैसे हवाई जहाज में ब्लैक बॉक्स किसी भी दुर्घटना का सबसे बड़ा गवाह होता है।
ड्यूगान के सेल्स और मार्केटिंग वाइस प्रेसिडेंट जीवित वशिष्ठ ने बताया कि यह एक जर्मन कंपनी है, जो ट्रेनों और यात्रियों की सुरक्षा के लिए नए संचार सिस्टम विकसित कर रही है।