सरकार जल्द शुरू करेगी जीपीएस (GPS) आधारित टोलिंग प्रणाली, जितना चलेगा वाहन उतने ही पैसे देने होंगे
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि जीपीएस (GPS) आधारित टोलिंग सिस्टम शुरू होने के बाद लोगों को हाईवे की दूरी के हिसाब से टोल देना होगा। इससे टोल कलेक्शन बूथों पर लगने वाले जाम से भी राहत मिलेगी।
Feb 22, 2024, 16:25 IST
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जीपीएस आधारित टोल सिस्टम: अगर आप भी अपनी कार से हाईवे पर सफर करते रहते हैं तो यह खबर आपके काम की है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जल्द ही हाईवे पर टोल कलेक्शन सिस्टम बदलने की बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही नेशनल हाईवे पर जीपीएस आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू करने के लिए टेंडर जारी करेगी। नितिन गडकरी ने यह भी कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लाया गया जीपीएस-आधारित टोल सिस्टम सफल रहा है। सरकार जल्द ही नया टोल कलेक्शन सिस्टम लॉन्च करने के लिए टेंडर जारी करेगी। READ ALSO:-जल्द ही WhatsApp पर अब नहीं ले पाएंगे प्रोफाइल फोटो का स्क्रीनशॉट, बीटा टेस्टर्स के लिए रोलआउट
जीपीएस (GPS) से पता चलेगी कितनी दूरी?
उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का मकसद ट्रैफिक भीड़ को कम करना है। इसके लॉन्च होने के बाद वाहन चालकों से उनके द्वारा तय की गई दूरी के लिए टोल शुल्क लिया जाएगा। फिलहाल वाहनों को रोककर टोल देने से जाम लग जाता है। कभी-कभी पूरी दूरी तय न होने पर भी पूरी टोल राशि चुकानी पड़ती है। जीपीएस (GPS) आधारित टोलिंग सिस्टम शुरू होने से वाहनों में लगे जीपीएस (GPS) से पता चल सकेगा कि आपने कितनी दूरी तय की है? यानी आपको गाड़ी रोकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का मकसद ट्रैफिक भीड़ को कम करना है। इसके लॉन्च होने के बाद वाहन चालकों से उनके द्वारा तय की गई दूरी के लिए टोल शुल्क लिया जाएगा। फिलहाल वाहनों को रोककर टोल देने से जाम लग जाता है। कभी-कभी पूरी दूरी तय न होने पर भी पूरी टोल राशि चुकानी पड़ती है। जीपीएस (GPS) आधारित टोलिंग सिस्टम शुरू होने से वाहनों में लगे जीपीएस (GPS) से पता चल सकेगा कि आपने कितनी दूरी तय की है? यानी आपको गाड़ी रोकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
नई व्यवस्था लागू करने के लिए परीक्षण हुआ पूरा
इसका दूसरा फायदा यह होगा कि आप जितनी दूरी तय करेंगे, उतना ही टोल चुकाना होगा। पहले सभी को पूरे रास्ते के लिए एक समान टोल देना पड़ता था। सरकार ने इस व्यवस्था को लागू करने के लिए परीक्षण कर लिया है। परीक्षण में वाहनों की नंबर प्लेट पहचानने वाले कैमरों का उपयोग किया गया। टेस्टिंग के दौरान देखा गया कि ये कैमरे गाड़ियों पर लगे नंबर प्लेट को रीड करेंगे और उनका रिकॉर्ड रखेंगे और तय की गई दूरी के हिसाब से टोल वसूल करेंगे।
इसका दूसरा फायदा यह होगा कि आप जितनी दूरी तय करेंगे, उतना ही टोल चुकाना होगा। पहले सभी को पूरे रास्ते के लिए एक समान टोल देना पड़ता था। सरकार ने इस व्यवस्था को लागू करने के लिए परीक्षण कर लिया है। परीक्षण में वाहनों की नंबर प्लेट पहचानने वाले कैमरों का उपयोग किया गया। टेस्टिंग के दौरान देखा गया कि ये कैमरे गाड़ियों पर लगे नंबर प्लेट को रीड करेंगे और उनका रिकॉर्ड रखेंगे और तय की गई दूरी के हिसाब से टोल वसूल करेंगे।
फरवरी की शुरुआत में भी सरकार ने कहा था कि वह राजमार्गों पर वाहनों में लगे जीपीएस (GPS) के जरिए टोल वसूलने की व्यवस्था लागू करेगी। इसके लिए एक विशेषज्ञ की भी नियुक्ति की गयी है। पहले वाहनों को टोल प्लाजा पर काफी देर तक इंतजार करना पड़ता था। 2018-19 में वाहनों को औसतन 8 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। लेकिन 2020-21 और 2021-22 में फास्टैग आने के बाद यह समय घटकर सिर्फ 47 सेकेंड रह गया। हालाँकि, कुछ शहरी टोल प्लाजा के आसपास पीक आवर्स के दौरान टोल प्लाजा पर कुछ देरी होती है।
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