बेरोजगारी की पीड़ा से टूटे युवक ने LinkedIn पर लिखा ‘मौत का संदेश', तीन साल से नौकरी की तलाश में भटकने का दर्द छलका
बड़े शहरों में नौकरी खोने और बेरोजगारी का दर्द किस हद तक इंसान को अंदर से तोड़ सकता है, यह वही समझ सकता है जो दर-दर भटकने की तकलीफ से गुजरा हो। इंटरव्यू में बार-बार रिजेक्ट होना, कंपनियों की अनदेखी और हर बार उम्मीद टूटने का दर्द झेल रहे बेंगलुरु के प्रशांत हरिदास ने अपनी भावनाएं LinkedIn पर साझा कीं, लेकिन उनके ‘मौत के संदेश’ जैसी पोस्ट ने पूरे इंटरनेट जगत को झकझोर कर रख दिया।
Apr 5, 2025, 00:00 IST
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बड़े शहरों में रहने और अचानक नौकरी चले जाने का दर्द किसी भी इंसान को अंदर से तोड़ सकता है। बेंगलुरु, जिसे भारत की सिलिकॉन वैली और आईटी हब के नाम से जाना जाता है, से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसने सोशल मीडिया पर कई लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। यहां प्रशांत हरिदास नामक एक युवक ने तीन साल से नौकरी की तलाश में भटकने के बाद अपनी निराशा को व्यक्त करने के लिए लिंक्डइन पर एक अनोखा तरीका अपनाया।
प्रशांत हरिदास ने लिंक्डइन पर अपनी 'मौत का संदेश' पोस्ट किया, जिसने इंटरनेट जगत में सनसनी फैला दी। हालांकि, यह कोई वास्तविक मृत्यु की खबर नहीं थी, बल्कि उनकी गहरी निराशा और हताशा का प्रतीक था। अपनी इस पोस्ट में प्रशांत ने न केवल अपनी बेरोजगारी का दर्द बयां किया, बल्कि यह भी बताया कि उन्होंने अपनी स्किल्स को बेहतर बनाने और खुद को निखारने के लिए कितना प्रयास किया, लेकिन फिर भी उन्हें किसी कंपनी में नौकरी नहीं मिल पाई। उन्होंने बताया कि वे पिछले तीन सालों से बेरोजगार और 'अलग-थलग' महसूस कर रहे हैं। प्रशांत ने यह भी लिखा कि उन्होंने खुद को बेहतर बनाने पर काफी पैसा खर्च किया, लेकिन फिर भी संभावित नियोक्ताओं ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया।READ ALSO:-
प्रशांत की इस पोस्ट में उनकी निजी जिंदगी और रिश्तों पर पड़े नकारात्मक प्रभाव का भी दर्द झलकता है। उन्होंने बताया कि इस लंबे संघर्ष के कारण उनकी पर्सनल लाइफ और रिश्ते भी काफी प्रभावित हुए हैं। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह आत्महत्या जैसा कोई कदम नहीं उठाने जा रहे हैं, बल्कि सिर्फ अपनी भावनाओं को साझा कर रहे हैं।
अपनी पोस्ट में प्रशांत ने लिखा, 'थैंक यू लिंक्डइन हर चीज के लिए। थैंक यू इंडस्ट्री लीडर्स, मुझे ‘घोस्ट’ करने और अनदेखा करने के लिए। थैंक यू, मुझे सेल्फ-ग्रूमिंग पर पैसा खर्च करवाने के लिए ताकि आप मुझे फिर भी नजरअंदाज कर सकें। मेरे पोस्ट और बकवास के लिए माफी। मुझे पता है कि इस पोस्ट के कारण कोई भी मुझे काम पर नहीं रखेगा, चाहे मैं कितना भी अच्छा क्यों न हूं या मुझे कितनी भी सिफारिशें क्यों न मिली हों।' इसके साथ ही उन्होंने अपनी एक तस्वीर भी शेयर की, जिसके ऊपर बड़े अक्षरों में 'Rest in Peace' (RIP) लिखा था, जो किसी मृत्यु की सूचना जैसा लग रहा था।
प्रशांत ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, 'मैं खुद को मार नहीं रहा हूं। अभी बहुत कुछ करना बाकी है। नए खाने का स्वाद लेना है, नई जगहें घूमनी हैं। बस नौकरी खोजने और जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिशें अब मर चुकी हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि करीब तीन साल से बेरोजगार और अकेले रहना बहुत कठिन है। उन्होंने चांदनी बीएस और चानू से माफी मांगते हुए लिखा, 'चांदनी बीएस, चानू, अगर मैंने आपको दुख पहुंचाया है तो माफी चाहता हूं; मैंने वाकई हर संभव कोशिश की और नौकरी की भीख भी मांगी ताकि मैं आपके साथ रह सकूं, लेकिन मुझे नौकरी नहीं मिल पाई। मुझे माफ करें।'
प्रशांत की इस भावुक पोस्ट पर सोशल मीडिया पर सैकड़ों लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं और उनकी हिम्मत बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें नौकरी ढूंढने में मदद करने की पेशकश भी की। कई यूजर्स ने उनके दर्द को समझा और अपनी सहानुभूति व्यक्त की। एक यूजर ने लिखा कि वह उनकी तकलीफ समझ सकता है और उन्हें हिम्मत नहीं हारने की सलाह दी। एक अन्य यूजर ने कहा कि कोविड महामारी के बाद से जॉब मार्केट बदल गया है और उन्होंने प्रशांत को अपने नेटवर्क से मदद करने की पेशकश की।
प्रशांत हरिदास की यह पोस्ट सिर्फ उनकी व्यक्तिगत कहानी नहीं है, बल्कि यह भारत के उन हजारों-लाखों युवाओं की वास्तविकता को दर्शाती है जो योग्य और अनुभवी होने के बावजूद आज भी अच्छी नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कई यूजर्स ने इस बात पर भी निराशा जताई कि कंपनियां इंटरव्यू के बाद उम्मीदवारों को कोई जवाब नहीं देती हैं, जिससे बेरोजगार लोग और भी अधिक मानसिक रूप से परेशान होते हैं।
