उत्तर प्रदेश के 17 लाख छात्रों को बड़ी राहत, जानें क्या है मदरसा एक्ट जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया नोटिस

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट को रद्द करने का फैसला सुनाया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट को चुनौती देने की मांग वाली याचिकाओं पर कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार समेत अन्य सभी पक्षों को नोटिस जारी करती है। जवाब 30 जून 2024 को या उससे पहले दाखिल करना होगा। 
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MADRSA
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट को रद्द करने का फैसला सुनाया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार समेत अन्य सभी पक्षों को नोटिस जारी करती है। जवाब 30 जून 2024 को या उससे पहले दाखिल किया जाना चाहिए।READ ALSO:-BJP की नुक्कड़ सभा में कार्यकर्ता ने किया फायर, मचा हड़कंप-मंच पर मौजूद थे दो विधायक;

 

इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 16 हजार मदरसों की मान्यता खत्म करने का फैसला किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी कर दिया है। हाई कोर्ट के आदेश को मदरसा अजीजिया इजाजुतुल उलूम के प्रबंधक अंजुम कादरी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जानिए क्या है मदरसा एक्ट जिसके कारण उत्तर प्रदेश में हंगामा मचा हुआ है। 

 


उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के अनुसार तथानिया (high school), फौकानिया (Junior high schoo) में कुल 14677 मदरसे हैं जबकि आलिया (Junior high schoo) में कुल 4536 मदरसे हैं। 22 मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए। मदरसा एक्ट 2004 को असंवैधानिक घोषित कर दिया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है और नोटिस जारी किया है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 22 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों पर नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हाई कोर्ट के फैसले का असर 17 लाख छात्रों पर पड़ेगा और छात्रों को दूसरे स्कूल में ट्रांसफर करने का निर्देश देना उचित नहीं है।

 

आखिर क्या है मदरसा एक्ट? (मदरसा एक्ट क्या है?)
मदरसा बोर्ड अधिनियम 2004 मदरसों की शिक्षा व्यवस्था और प्रबंधन के लिए बनाया गया था। इस अधिनियम के तहत मदरसों के छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में समायोजित करने की दिशा में कई प्रावधान हैं। इसके माध्यम से पूरे उत्तर प्रदेश में मदरसों की स्थापना, मान्यता, पाठ्यक्रम और प्रशासन के लिए एक रूपरेखा प्रदान की गई। मदरसा अधिनियम के तहत, न्यूनतम मानकों को पूरा करने पर मदरसों को बोर्ड द्वारा मान्यता दी जाती थी। इस कानून के तहत मान्यता प्राप्त मदरसों को सरकारी सहायता भी प्रदान की गई।

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हालांकि, हाल ही में जब सरकार ने मदरसों का सर्वे कराया तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। यह पता चला कि अधिकांश एमआरडी अवैध हैं और इस बात का कोई स्पष्ट और संतोषजनक उत्तर नहीं मिल सका कि उन्हें धन कहाँ से मिलता है।

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जब उच्च न्यायालय ने अधिनियम रद्द किया तो उसने क्या कहा था?
मदरसा एक्ट को असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन बताते हुए याचिका दायर की गई थी। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट को रद्द करते हुए कहा था कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि मदरसा में पढ़ने वाले छात्रों के लिए आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त संख्या में अतिरिक्त सीटें बनाई जाएं और यदि आवश्यक हो तो पर्याप्त संख्या में नए स्कूल खोले जाएं। राज्य सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों का नामांकन मान्यता प्राप्त स्कूलों में हो।
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