वीडियो : बेटे मां के शव को मोटरसाइकिल पर बांधकर ले गए 80 किमी दूर गांव, मेडिकल कॉलेज में नहीं मिली एम्बुलेंस, बेटे बोले- लापरवाही से गई मां की जान
मध्य प्रदेश के शहडोल स्थित मेडिकल कॉलेज में महिला की मौत के बाद बेबस बेटों को अपनी मां का शव मोटरसाइकिल से 80 किलोमीटर दूर गांव ले जाना पड़ा।
Mon, 1 Aug 2022
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शहडोल/भोपाल : मध्य प्रदेश में एक दिल दहला देने वाली घटना की यह तस्वीर शहडोल जिले से सामने आई है। मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान जब एक महिला की मौत हो गई तो परिवार वालों के पास इतना पैसा भी नहीं था कि वह वाहन किराए पर लेकर शव को गांव ले जा सके। जब निजी वाहनों से बात की, तो उन्होंने 5000 रुपये मांगे, हमारे पास इतने पैसे नहीं थे। लाचार बेटों को अपनी मां के शव को मोटरसाइकिल पर बांधकर 80 किमी दूर अपने गांव ले जाना पड़ा।Read Also:- मुज़फ्फरनगर : फरमानी नाज ने 'हर हर शंभू' गाने को इस्लाम के खिलाफ बोलने वाले कट्टरपंथियों को दिया ऐसा जवाब, चारों और हो रही तारीफ
इसलिए 100 रुपये का लकड़ी का स्लैब खरीदा और शव को बांधकर बाइक से अपने गांव ले गए। इधर, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वीडियो ट्वीट कर शिवराज सरकार पर निशाना साधा है।
यह है मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के 18 वर्ष के विकास की शर्मनाक तस्वीर…
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 1, 2022
यह है प्रदेश का स्वास्थ्य सिस्टम..
शहडोल में एक महिला की मौत के बाद शव वाहन ना मिलने पर , बेटा माँ के शव को 80 किमी दूर पटिये पर बांधकर बाइक से लेकर गया। pic.twitter.com/IRUVdfKEmV
शहडोल मेडिकल कॉलेज का ये वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। दोनों भाइयों ने शव को कंबल में लपेटा। इसके बाद बाइक पर लकड़ी का स्लैब रखा, जिससे मां की लाश बंधी थी। एक भाई बाइक पर सवार हुआ तो दूसरा पीछे बैठ कर शव को थामने लगा। किसी तरह दोनों शहडोल से 80 किलोमीटर दूर अनूपपुर जिले के गोदारू गांव पहुंचे।
सुंदर यादव ने कहा, मां जयमंत्री यादव के सीने में तकलीफ होने पर उन्हें शहडोल जिला अस्पताल ले गए थे। नर्सों ने एक इंजेक्शन और एक बोतल लगा दी, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। शनिवार रात 11 बजे जयमंत्री को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। दोपहर करीब 2.40 बजे उनकी मौत हो गई।
अस्पताल अधीक्षक नागेंद्र सिंह ने कहा, मेडिकल कॉलेज में न तो एंबुलेंस की सुविधा है और न ही शव वाहन। दो एंबुलेंस दी गई हैं, जिनके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही है। यह सुविधा मरीजों को रजिस्ट्रेशन के बाद ही दी जाएगी।
मेडिकल कॉलेज के डीन मिलिंद शिरालकर का कहना है कि वार्ड बॉय ने मृतक के परिजनों से शव ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था के बारे में पूछा था। उन्होंने कहा कि हमारे पास व्यवस्था है। परिजनों ने अस्पताल स्टाफ व प्रबंधन से शव वाहन की मांग नहीं की। अगर कोई मांग होती, तो हम निश्चित रूप से हर संभव तरीके से सहयोग करते।
