उत्तर भारत में कड़ाके की दांत कटकटाने वाली ठंड, मौसम वैज्ञानिकों ने बताई इसके पीछे की वजह, पिछले छह दिनों में हार्ट अटैक 83 और ब्रेन अटैक से 17 मौतें

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में ठंड इस कदर जानलेवा हो चुकी है कि पिछले छह दिनों में कानपुर में हार्ट अटैक से 83 मौतें हुईं जबकि ब्रेन अटैक से 17 मौतें यानी कुल 100 मौतें हो चुकी हैं। 
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देशभर में शीतलहर का प्रकोप जारी है। माइनस तापमान वाले पहाड़ी इलाकों को छोड़कर बीते 24 घंटे में देश के कई शहरों में तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से कम रहा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में ठंड इस कदर जानलेवा हो चुकी है कि पिछले छह दिनों में कानपुर में हार्ट अटैक से 83 मौतें हुईं जबकि ब्रेन अटैक से 17 मौतें यानी कुल 100 मौतें अब तक हो चुकी हैं। Read Also:-  उत्तर प्रदेश के 33 हजार से ज्यादा किसानों का कर्ज हुआ माफ, बिजली के बकाया बिलों में भी राहत, कृषि मंत्री ने किया ऐलान

 

मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक आने वाले दिनों में पारा और गिर सकता है। इस साल सूचनाओं की ठंडक कई पुराने रिकॉर्ड को ध्वस्त कर सकती है। देश की राजधानी दिल्ली शुक्रवार को शिमला, मसूरी से भी ज्यादा ठंडी रही। उत्तर भारत में इतनी ठंड क्यों पड़ती है? आइए जानते हैं इसके वैज्ञानिक कारण क्या होते...

 


सर्दी बढ़ने पर क्या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक?
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक इसकी एक बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है। मानवीय लापरवाही जलवायु परिवर्तन को प्रभावित करती है, जिसके कारण गर्मियों में भीषण गर्मी और सर्दियों में भीषण ठंड पड़ती है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक अगर जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए सख्त कदम नहीं उठाए गए तो मौसम में इस तरह के बदलाव देखने को मिलते रहेंगे।

 

अक्षांश रेखा से शीत ऋतु भी परिवर्तित होती है
भारत का एक बड़ा भाग उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। जिससे उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। वहीं इसका प्रमुख कारण अक्षांश रेखा भी है। आपको बता दें कि अक्षांश रेखा यानी अक्षांश और देशांतर रेखा यानी देशांतर का इस्तेमाल किसी देश की भौगोलिक स्थिति बताने के लिए किया जाता है। एक तरह से देशों का अक्षांश तय करता है कि वहां मौसम कैसा रहेगा। अक्षांश में आने वाले स्थानों पर शीत एवं हिमपात होना बहुत ही सामान्य है।

 

सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी में सर्दी का कितना योगदान है?
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सभी ग्रह अपनी कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। जिसके कारण सभी ग्रहों की कक्षा अलग-अलग होती है। पृथ्वी जिस अक्ष पर घूमती है वह अंडाकार आकार का है। जिससे कुछ समय के लिए पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी बढ़ जाती है। इस दौरान धरती ठंडी हो जाती है। इस समयान्तराल में सूर्य की किरणें पूरी तरह से पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाती हैं।

 

पश्चिमी विक्षोभ से चल रही ठंडी हवाएं
पश्चिमी विक्षोम से चलने वाली ठंडी हवाएं भी उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड का एक प्रमुख कारण मानी जाती हैं। जिसे लोग शीतलहर भी कहते हैं। पश्चिमी विक्षोम में नमी के कारण कई बार उत्तर भारत के इलाकों में सर्दी के मौसम में बारिश और ओलावृष्टि की घटनाएं भी होती हैं।

 

जानिए कपकपाती ठंड कब और क्यू पड़ती है?
एक न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, मौसम विशेषज्ञ ठंड के मौसम में सामान्य से कम तापमान पर नजर बनाए हुए हैं। ऐसे में यदि पारा सामान्य से 4 से 5 डिग्री कम दर्ज किया जाता है तो उसे ठंड का मौसम माना जाता है और अगर उसी तापमान में 6 से 7 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आती है तो उसे कड़ाके की ठंड कहा जाता है।

 

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