Zolgensma इंजेक्शन की कीमत क्यों है ₹16 करोड़, कैसे करता है काम और कितना है असरदार; जानें सब कुछ
स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी (SMA) बीमारी से जूझ रही 5 महीने की बच्ची तीरा के जीने की उम्मीद बढ़ी है। बच्ची के इलाज के लिए 22 करोड़ रुपये (6 करोड़ रुपये टैक्स मिलाकर) का इंजेक्शन Zolgensma अमेरिका से मंगवाया गया है। इंजेक्शन के लिए 16 करोड़ रुपये जनता ने जुटा दिए जबकि 6 करोड़ रुपये टैक्स प्रधानमंत्री ने माफ कर दिया।
तीरा कामत को 13 जनवरी को मुंबई के SRCC चिल्ड्रन हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। उसके एक फेफड़े ने काम करना बंद कर दिया था, इसके बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। तीरा के बारे में ज्यादा जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
तीरा के बारे में सुनकर एक सवाल जो हर व्यक्ति के मन मे उठ रहा है वह यह है कि Zolgensma इंजेक्शन में ऐसा क्या है जो यह 16 करोड़ रुपये का है। चलिए हम आपको बताते हैं इस इंजेक्शन और इस बीमारी के बारे में...
क्या है Spinal Muscular Atrophy (SMA) बीमारी जिससे 5 महीने की तीरा जूझ रही है
स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी (SMA) एक न्यूरो मस्क्यूलर डिसऑर्डर है। यह एक जेनेटिक बीमारी है जो जीन में गड़बड़ी होने पर अगली पीढ़ी में पहुंचती है। बच्चे में यह डिसऑर्डर होने पर धीरे-धीरे उसका शरीर कमजोर पड़ने लगता है। वह चल फिर नहीं पता। शरीर की मांसपेशियों पर बच्चे का कंट्रोल खत्म होने लगता है इससे शरीर के कई हिस्सों में मूवमेंट नहीं हो पाता।
5 महीने की तीरा को लगना है 22 करोड़ का इंजेक्शन, 16 करोड़ लोगों ने जुटाए, 6 करोड़ टैक्स PM ने किया माफ
ऐसा होता क्यों है
स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी होने पर दिमाग की नर्व सेल्स और स्पाइनल कॉर्ड (रीढ़ की हड्डी) क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में ब्रेन मसल्स (दिमाग की मांसपेशियां) को कंट्रोल करने के लिए मैसेज भेजना धीरे-धीरे बंद करने लगता है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है बच्चे का खुद से हिलना-डुलना बंद हो जाता है।
इस बीमारी का अब तक कोई सटीक इलाज नहीं मिल सका है, सिर्फ दवाओं के जरिए इसका असर कम करने की कोशिश की जाती है। हालांकि, दावा किया जा रहा है कि Zolgensma इंजेक्शन के एक डोज से इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है।
5 तरह की होती है स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी
- टाइप-0: यह तब होती है जब बच्चा पेट में पल रहा होता है। जन्म से ही बच्चे में जोड़ों का दर्द रहता है। हालांकि, ऐसे मामले दुनिया में कम ही सामने आते हैं।
- टाइप-1: ऐसा होने पर बिना किसी की मदद से बच्चा सिर तक नहीं हिला पाता। हाथ-पैर ढीले रहते हैं। कुछ भी निगलने में भी दिक्कत आती है। तीरा इसी से जूझ रही है।
- टाइप-2: इसके मामले 6 से 18 महीने के बच्चे में सामने आते हैं। हाथ से ज्यादा असर पैरों पर दिखता है। नतीजा वो खड़े नहीं हो पाते।
- टाइप-3: 2-17 साल के लोगों में लक्षण दिखते हैं। टाइप-1 व 2 के मुकाबले बीमारी का असर कम दिखता है लेकिन भविष्य में व्हीलचेयर की जरूरत पड़ सकती है।
- टाइप-4: स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी का यह प्रकार वयस्कों में दिखता है। मांसपेशियां में कमजोर हो जाती है और सांस लेने में तकलीफ होती है। हाथ-पैरों पर असर दिखता है।
Zolgensma इंजेक्शन इतना महंगा क्यों है?
स्विटजरलैंड की कंपनी नोवार्टिस (Novartis) जोलगेन्स्मा (Zolgensma) इंजेक्शन तैयार करती है।इसे स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी से जूझने वाले 2 साल से कम उम्र के बच्चों को लगाया जाता है। कंपनी का दावा है कि यह इंजेक्शन एक तरह का जीन थैरेपी ट्रीटमेंट (Gene therapy treatment) है। जिसे एक बार लगाया जाता है।
नोवार्टिस कंपनी के सीईओ नरसिम्हन के मुताबिक, जीन थैरेपी मेडिकल जगत में एक बड़ी खोज है, यह थेरेपी लोगों के अंदर उम्मीद जगाती है कि एक डोज से पीढ़ियों तक पहुंचने वाली यह जानलेवा जेनेटिक बीमारी ठीक की जा सकती है।
इंजेक्शन के तीसरे चरण के ट्रायल का रिव्यू करने के बाद इंस्टीट्यूट फॉर क्लीनिकल एंड इकोनॉमिक (Institute for Clinical and Economic) ने इसकी कीमत 9 से 15 करोड़ रुपए के बीच तय की थी। जिसके बाद नोवार्टिस कंपनी ने इस इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपए रखी।
कैसे काम करता है यह इंजेक्शन?
स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी जिस जीन की खराबी के कारण होती है, Zolgensma इंजेक्शन उसे नए जीन से रिप्लेस करता है। ऐसा होने के बाद शरीर में दोबारा यह बीमारी नहीं होती, क्योंकि बच्चे के डीएनए में नया जीन शामिल हो जाता है।
कितना असरदार है Zolgensma?
इसका असर देखने के लिए स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी के 21 बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल किया गया। मार्च 2019 में इसके नतीजे आए। नतीजों के मुताबिक, 21 में से 10 बच्चे बिना किसी सपोर्ट बैठ पाए। यह पहली बार था जब इलाज के बाद बच्चे बिना स्पोर्ट के बैठ सके।
Zolgensma का इंजेक्शन विकल्प क्या है?
Drug.com के मुताबिक, Zolgensma का इंजेक्शन एक विकल्प है Spinraza। इसे एक साल में 4 बार लगवाया जाता है। पहले साल इसके लिए करीब 5 करोड़ रुपए चुकाने पड़ते हैं। इसके बाद हर साल करीब 2 करोड़ रुपए के इंजेक्शन लगते हैं। जो ताउम्र लगते हैं।
Khabreelal News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… हमारी कम्युनिटी ज्वाइन करे, पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें