5 महीने की तीरा को लगना है 22 करोड़ का इंजेक्शन, 16 करोड़ लोगों ने जुटाए, 6 करोड़ टैक्स PM ने किया माफ

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5 महीने की एक बच्ची तीरा जो स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी (SMA) जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है। तीरा को Zolgensma नाम का एक इंजेक्शन लगना है और यदि समय पर इंजेक्शन नहीं लगा तो वह महज 13 महीने और जिंदा रह पाएगी। तीरा को लगने वाला यह इंजेक्शन अमेरिका से मंगवाया जाना है और इसकी कीमत 16 करोड़ रुपये है, कस्टम ड्यूटी और GST लगकर इसकी कीमत 22 करोड़ रुपये हो जाती है।

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ऐसे तीरा के माता पिता के लिए यह इंजेक्शन खरीदना नामुमकिन है, लेकिन देशवासियों और भारत सरकार की बदौलत तीरा के जिंदा रहने की उम्मीद बढ़ गई है। तीरा के माता-पिता ने सोशल मीडिया पर क्राउड फंडिंग के जरिए ₹16 करोड़ जुटा लिए जबकि भारत सरकार ने इंजेक्शन पर लगने वाले टैक्स के 6 करोड़ रुपये माफ कर दिए। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इंजेक्शन पर टैक्स माफी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में चिट्‌ठी लिखी थी, जिसपर तत्काल संज्ञान लेते हुए PM नरेंद्र मोदी ने टैक्स माफ कर दिया।

Zolgensma इंजेक्शन की कीमत क्यों है ₹16 करोड़, कैसे करता है काम और कितना है असरदार; जानें सब कुछ

तीरा कामत को 13 जनवरी को मुंबई के SRCC चिल्ड्रन हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। उसके एक फेफड़े ने काम करना बंद कर दिया था, इसके बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। इंजेक्शन नहीं लगने पर बच्ची बमुश्किल 13 महीने और जिंदा रहती।

क्राउड फंडिंग से जमा किए 16 करोड़ रुपए
तीरा के पिता मिहिर IT कंपनी में जॉब करते हैं। मां प्रियंका फ्रीलांस इलेस्ट्रेटर (किसी बात को चित्रों से समझाना) हैं। ऐसे में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पेज बनाया और इस पर क्राउड फंडिंग शुरू कर दी। यहां से उन्होंने अब तक करीब 16 करोड़ रुपए इकट्‌ठा कर लिए हैं। अब उम्मीद है कि जल्द ही इंजेक्शन खरीदा जा सकेगा।

क्या है SMA बीमारी?
स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी (SMA) बीमारी हो तो शरीर में प्रोटीन बनाने वाला जीन नहीं होता। इससे मांसपेशियां और तंत्रिकाएं (Nerves) खत्म होने लगती हैं। दिमाग की मांसपेशियों की एक्टिविटी भी कम होने लगती है। चूंकि मस्तिष्क से सभी मांसपेशियां संचालित होती हैं, इसलिए सांस लेने और भोजन चबाने तक में दिक्कत होने लगती है। SMA कई तरह की होती है, लेकिन इसमें Type 1 सबसे गंभीर है।

दूध पीने पर भी दम घुटता था
पिता मिहिर ने बताया कि तीरा का जन्म हॉस्पिटल में ही हुआ। वह घर आई तो सब कुछ ठीक था, लेकिन जल्दी ही स्थिति बदलने लगी। मां का दूध पीते वक्त तीरा का दम घुटने लगता था। शरीर में पानी की कमी होने लगती थी। एक बार तो कुछ सेकंड के लिए उसकी सांस थम गई थी। पोलियो वैक्सीन पिलाने के दौरान भी उसकी सांसें रुक जाती थीं। डॉक्टरों की सलाह पर बच्ची को न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाया गया तब उसकी बीमारी का पता चला।

क्यों इतना महंगा है ये इंजेक्शन

ब्रिटेन में स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी रोग से सबसे ज्यादा बच्चे पीड़ित हैं, लेकिन वहां इसकी दवा नहीं बनती है। इस इंजेक्शन का नाम Zolgensma है। ब्रिटेन में इस इंजेक्शन को इलाज के लिए अमेरिका, जर्मनी और जापान से मंगाया जाता है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज को Zolgensma इंजेक्शन सिर्फ एक ही बार दिया जाता है, इसी वजह से यह इतनी महंगी है क्योंकि जोलगेनेस्मा उन तीन जीन थैरेपी में से एक है जिसे यूरोप में इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है।

तीन साल पहले तक इस बीमारी का इलाज भी संभव नहीं था, लेकिन 2017 में काफी रिसर्च और टेस्टिंग के बाद सफलता मिली और इंजेक्शन का उत्पादन शुरू किया गया। साल 2017 में 15 बच्चों को यह दवा दी गई थी जिसके बाद सभी 20 हफ्तों से ज्यादा दिनों तक जीवित रहे थे।

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