UPI: भारत की डिजिटल क्रांति का चेहरा, अब बन गई है करोड़ों लोगों की रोजमर्रा की आदत
FIDE CEO सुजित नायर का विस्तृत विश्लेषण: कैसे UPI ने बदला भुगतान का तरीका, ONDC से छोटे व्यवसायों को मिल रही नई आजादी, और भारत का डिजिटल मॉडल बन रहा है दुनिया के लिए प्रेरणा
Apr 15, 2025, 07:05 IST
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आज भारत में डिजिटल भुगतान की क्रांति अपने चरम पर है। चाहे आप किसी छोटे दुकानदार को पैसे दे रहे हों, चाय वाले को QR कोड स्कैन कर रहे हों, या सब्जीवाले से भीम ऐप के माध्यम से भुगतान कर रहे हों, यह अब केवल एक आधुनिक तकनीक नहीं रह गई है, बल्कि भारत के करोड़ों लोगों की दैनिक जीवनशैली का एक अभिन्न अंग बन चुकी है। UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) ने जिस तेजी और सहजता से भारत के भुगतान परिदृश्य को बदला है, वह अभूतपूर्व है। इस डिजिटल क्रांति के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से चर्चा करते हुए फाउंडेशन फॉर इंटरऑपरेबिलिटी इन डिजिटल इकोनॉमी (FIDE) के CEO और सह-संस्थापक सुजित नायर ने कई महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं।READ ALSO:-ग्रेटर नोएडा वेस्ट: शाहबेरी मार्ग चौड़ीकरण में देरी, 2 लाख लोग जाम से परेशान! अब मई तक का इंतज़ार
कार्नेगी ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट के दौरान एएनआई के साथ एक विशेष साक्षात्कार में सुजित नायर ने UPI के व्यापक प्रभाव पर विस्तार से बात की। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि UPI अब मात्र एक तकनीकी उपकरण नहीं रह गया है, बल्कि यह भारत के नागरिकों की रोजमर्रा की आदत में शुमार हो गया है। नायर ने बताया कि आज लगभग 50 करोड़ भारतीय UPI और अन्य डिजिटल भुगतान प्रणालियों का सक्रिय रूप से उपयोग कर रहे हैं, जो न केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित है, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में भी तेजी से फैल रहा है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत ने एक दूरदर्शी सोच के साथ यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है ताकि बड़ी संख्या में लोगों को, खासकर उन लोगों को जो अब तक औपचारिक वित्तीय प्रणाली से वंचित थे, उन्हें डिजिटल सेवाओं से जोड़ा जा सके। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र की कंपनियां और समाज के विभिन्न वर्ग मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे आम नागरिकों और छोटे व्यापारियों तक भी डिजिटल भुगतान की सुविधा आसानी से पहुंच रही है। इसका सीधा अर्थ है कि अब टेक्नोलॉजी केवल बड़े शहरों या आर्थिक रूप से संपन्न लोगों तक ही सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग की पहुंच में आ चुकी है।
UPI no more a technology, it's a population-scale habit: Sujit Nair, CEO and Co-Founder FIDE
— ANI Digital (@ani_digital) April 12, 2025
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सुजित नायर ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह एक ऐसा आधारभूत ढांचा है जो लोगों और व्यवसायों को केंद्र में रखता है और उन्हें औपचारिक अर्थव्यवस्था में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आवश्यक अवसर, विकल्प और पहुंच प्रदान करता है। DPI के कारण पूरे बाजार का दायरा व्यापक हो रहा है और इससे सभी हितधारकों को समान रूप से लाभ मिल रहा है। इस संदर्भ में, नायर ने विशेष रूप से ONDC (ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स) का उल्लेख किया, जिसे उन्होंने एक महत्वपूर्ण डिजिटल सार्वजनिक प्लेटफॉर्म बताया। उन्होंने समझाया कि ONDC एक ऐसा खुला नेटवर्क है जो दुकानदारों, ड्राइवरों और अन्य छोटे स्तर के सेवा प्रदाताओं जैसे लोगों को अधिक अधिकार, अधिक भागीदारी और अधिक स्वतंत्रता प्रदान कर रहा है, जिससे वे अपनी सेवाओं को सीधे ग्राहकों तक पहुंचा सकें।
ONDC की कार्यप्रणाली को विस्तार से बताते हुए नायर ने कहा कि यह कोई एक विशिष्ट कंपनी या ऐप नहीं है, बल्कि एक ऐसा खुला और विकेन्द्रीकृत नेटवर्क है जिसमें कोई भी व्यक्ति या व्यवसाय अपनी मर्जी से जुड़ सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि छोटे दुकानदारों और ड्राइवरों जैसे लोगों को अब किसी मध्यस्थ या किसी विशेष ऐप पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है। वे सीधे ग्राहकों से जुड़ सकते हैं, जिससे उन्हें न केवल अपने व्यापार को बढ़ाने का अवसर मिलता है, बल्कि वे अब सामाजिक और आर्थिक रूप से भी अधिक सशक्त महसूस कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने बताया कि एक ड्राइवर अब ONDC के माध्यम से आसानी से ग्राहक ढूंढ सकता है और साथ ही वह पहले जिन वित्तीय सेवाओं जैसे कि लोन और बीमा तक पहुंचने में कठिनाई महसूस करता था, अब वह भी उसके लिए सुलभ हो गई हैं।
भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) की सफलता को देखते हुए, सुजित नायर ने कहा कि यह अब दुनिया भर के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया है। विशेष रूप से G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने अपने इस डिजिटल मॉडल को अत्यंत प्रभावी ढंग से दुनिया के सामने प्रस्तुत किया, जिससे कई देश प्रभावित हुए। भारत ने आधार और UPI के मजबूत आधार पर एक ऐसा डिजिटल सिस्टम तैयार किया है जो न केवल कुशल है बल्कि समावेशी भी है। इस सफलता को देखते हुए, भारत ने कई देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते किए हैं ताकि वे भी इस डिजिटल सिस्टम का लाभ उठा सकें। नायर ने नाइजीरिया, मलावी, पापुआ न्यू गिनी और मोरक्को जैसे देशों का विशेष रूप से उल्लेख किया, जो भारत के डिजिटल मॉडल को अपनाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। हालांकि, नायर ने यह भी स्वीकार किया कि इस तकनीक को व्यापक रूप से अपनाने में कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे कि डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना, तकनीकी समस्याओं का समाधान करना और देश के कुछ दुर्गम हिस्सों में लोगों तक डिजिटल पहुंच को बढ़ाना। फिर भी, भारत का मुख्य उद्देश्य न केवल अपने नागरिकों को इस तकनीक का लाभ पहुंचाना है, बल्कि दूसरे देशों को भी इस डिजिटल क्रांति का हिस्सा बनने में मदद करना है।
निष्कर्षतः, सुजित नायर का यह विस्तृत विश्लेषण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि UPI और DPI ने भारत में एक अभूतपूर्व डिजिटल क्रांति ला दी है। UPI अब केवल एक भुगतान का तरीका नहीं है, बल्कि यह करोड़ों भारतीयों की रोजमर्रा की जिंदगी का एक अभिन्न अंग बन गया है। ONDC जैसे प्लेटफॉर्म छोटे व्यवसायों को नई ऊंचाइयां छूने का अवसर दे रहे हैं, और भारत का डिजिटल मॉडल अब दुनिया के अन्य देशों के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण बन रहा है। यह डिजिटल क्रांति न केवल भारत को आर्थिक रूप से मजबूत कर रही है, बल्कि सामाजिक समावेश को भी बढ़ावा दे रही है।
