Aquapeya को बिसलेरी के ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ी झटका: उत्पादन और बिक्री पर रोक

 बॉम्बे हाई कोर्ट ने Aquapeya को उत्पादन और बिक्री रोकने का दिया आदेश, बिसलेरी ने ब्रांडिंग की नकल का लगाया था आरोप
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Bisleri Vs Aquapeya
भारतीय पैकेज्ड वॉटर इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण कानूनी घटनाक्रम सामने आया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में स्टार्टअप Aquapeya को बिसलेरी इंटरनेशनल के ट्रेडमार्क और कॉपीराइट उल्लंघन के मामले में बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने Aquapeya को तत्काल अपने उत्पादों का उत्पादन और बिक्री रोकने का आदेश जारी किया है। यह मामला बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण के महत्व को दर्शाता है।READ ALSO:-Motorola Edge 60 Fusion भारत में लॉन्च: दमदार फीचर्स और आकर्षक कीमत

 

मामले की शुरुआत:
Aquapeya, एक नया पैकेज्ड वॉटर ब्रांड, जिसने लोकप्रिय रियलिटी शो शार्क टैंक इंडिया के सीजन 4 में भाग लिया था, इस विवाद के केंद्र में है। जनवरी में प्रसारित हुए एक एपिसोड में, Aquapeya ने जज नमिता थापर और रितेश अग्रवाल से ₹70 लाख की फंडिंग हासिल की थी। इस निवेश के बदले में 3% इक्विटी और 1% रॉयल्टी का समझौता हुआ था, जिससे स्टार्टअप का मूल्यांकन ₹23.33 करोड़ हो गया था।

 

हालांकि, इस सफलता के कुछ ही समय बाद, फरवरी में पैकेज्ड वॉटर की दिग्गज कंपनी बिसलेरी इंटरनेशनल ने बॉम्बे हाई कोर्ट में Aquapeya की निर्माता कंपनी Natvits Beverages के खिलाफ ट्रेडमार्क और कॉपीराइट उल्लंघन का मुकदमा दायर कर दिया। बिसलेरी का मुख्य आरोप यह था कि Aquapeya का ट्रेडमार्क और उसकी पैकेजिंग उनके पंजीकृत ट्रेडमार्क से काफी मिलती-जुलती है, जिससे बाजार में उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा हो सकता है।

 

कोर्ट का फैसला:
बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद बिसलेरी इंटरनेशनल की याचिका को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने Aquapeya को तुरंत अपने उत्पादों की बिक्री और उत्पादन बंद करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ब्रांडों की बौद्धिक संपदा की रक्षा करना आवश्यक है और प्रतिस्पर्धी बाजार में नए खिलाड़ियों को स्थापित ब्रांडों की पहचान की नकल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

 

बिसलेरी की आपत्ति का कारण:
बिसलेरी भारत में पैकेज्ड वॉटर उद्योग का एक प्रमुख और प्रतिष्ठित ब्रांड है। कंपनी ने अपनी ब्रांड पहचान को कई दशकों में स्थापित किया है। बिसलेरी का आरोप था कि Aquapeya ने अपनी ब्रांडिंग और मार्केटिंग पहचान से मिलते-जुलते तत्वों को अपनाया है, जिससे उपभोक्ताओं को यह भ्रम हो सकता है कि Aquapeya का उत्पाद बिसलेरी का ही है या उससे संबंधित है। बिसलेरी ने विशेष रूप से Aquapeya की पैकेजिंग और ब्रांडिंग को अपनी ब्रांडिंग से काफी मिलता-जुलता बताया था।

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Aquapeya के लिए बड़ा नुकसान:
बॉम्बे हाई कोर्ट का यह आदेश Aquapeya के लिए एक बड़ा झटका है। कंपनी ने हाल ही में निवेशकों से महत्वपूर्ण धनराशि प्राप्त की थी और वह बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रही थी। कोर्ट के इस फैसले से Aquapeya की बाजार में विस्तार करने की योजना पर पानी फिर सकता है। यह मामला सभी नए व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है कि किसी भी उत्पाद या सेवा को लॉन्च करने से पहले बौद्धिक संपदा अधिकारों का सम्मान करना और उनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
SONU

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