मेरठ : 7 सीटों पर 100 दावेदार, लेकिन सपा में गुटबाजी बरकरार; चुनाव में कैसे लगेगी नैया पार

मेरठ समाजवादी पार्टी में लंबे समय से गुटबाजी हावी है। यह गुटबाजी कई बार सामने आ चुकी है। पार्टी के धरने हो या बैठकें मेरठ में सपा लंबे समय से कई गुटों में बंटी नजर आती है।

 | 
BREAKING : विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर अखिलेश यादव का बड़ा बयान
यूपी में 2022 विधानसभा चुनाव (2022 Assembly Elections) को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। समाजवादी पार्टी में भी टिकट को लेकर दावेदारों के बीच होड़ शुरू हो गई है। विधानसभा की एक-एक सीट के लिए कई-कई दावेदार दिखने लगे हैं। जिले के 7 विधानसभा सीटों पर 100 से ज्यादा नेताओं ने दावेदारी ठोंकी है। दावेदारी की लंबी सूची तैयार हो जाने के बाद अब सपा की तरफ से प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए पहले सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे एजेंसी टिकट मांगने वाले सभी दावेदारों की गोपनीय ढंग से जनता के बीच जाकर जमीनी हकीकत परख रही है। इसके बाद हर विधानसभा से तीन-तीन दावेदारों का पैनल तैयार किया जाएगा। इनमें से किसी एक के टिकट पर पार्टी का प्रदेशीय नेतृत्व मुहर लगाएगा।

 

whatsapp gif

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में क्षेत्र से अपना-अपना टिकट पक्का कराने के लिए लखनऊ (Lucknow) तक की दौड़ जारी है। टिकट के लिए विधानसभावार आवेदन प्रदेश नेतृत्व के पास लगातार पहुंच रहे हैं, जो पार्टी के लिए चिंता का सबब बनता जा रहा है, क्योंकि एक-एक सीट पर कई दावेदार आवेदन कर रहे है। सपा सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों के लिए सपा में करीब 5500 लोगों ने टिकट के लिए आवेदन किया है। अब सवाल ये उठता है कि जिन दावेदारों को टिकट नहीं मिल पाएगा, क्या वो पार्टी के साथ रहेंगे या पाला बदल कर पार्टी से बगावत कर देंगे। 

 

मेरठ में मोबाइल, टीवी, फ्रिज को किस्तों पर खरीदने के लिए संपर्क करें : अवंतिका इलेक्ट्रॉनिक्स : 9012696979

  

सपा का टिकट लेने वालों में होड़

मेरठ में सपा का टिकट हासिल करने वालों में होड़ लगी है। सभी विधानसभाओं से 100 दावेदार सामने आए हैं। सबसे ज्यादा दक्षिण विधानसभा सीट पर मारामारी है, यहां करीब 5 दावेदारों ने टिकट के लिए आवेदन किया है। यही हाल सरधना और हस्तिनापुर सीट का है। वहीं सबसे कम 2 आवेदन शहर सीट से आए हैं। 

 

पिछले चुनाव में ये थी स्थिति

पिछले विधानसभा चुनाव में जिले की 5 सीटों में पर भाजपा और सपा के बीच आमने-सामने की लड़ाई हुई थी, जबकि कांग्रेस से गठबंधन के कारण दो सीट (मेरठ दक्षिण और मेरठ कैंट) पर सपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था। हालांकि उस वक्त का सत्ताधारी रही समाजवादी पार्टी मेरठ की पांच में से भी एक सीट (मेरठ शहर विधानसभा) बहुत मुश्किल से बचा सकी थी। बाकी सीटों पर सपा को बुरी तरह हार का समाना करना पड़ा था। Read Also: यूपी चुनाव: मेरठ की 7 सीटों से टिकट के लिए कांग्रेस से 60 से ज्यादा दावेदार, सबसे ज्यादा आवेदन दक्षिण सीट से

 

2017 के चुनावों में किठौर, सिवालखास और सरधना सीट पर सपा के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे। जबकि हस्तिनापुर सीट पर सपा तीसरे नंबर पर रही थी, हालांकि पिछली बार हस्तिनापुर सीट पर दूसरे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशी इस बार सपा के साथ हैं और उन्होंने इस बार सपा से टिकट के लिए आवेदन भी किया है। जबकि मेरठ कैंट और मेरठ दक्षिण सीट पर सपा 10 साल बाद चुनाव लड़ने जा रही है, हालांकि इन दोनों ही सीटों पर लंबे समय से भाजपा का कब्जा है और इस बार भी भाजपा के मजबूत चुनाव प्रचार और क्षेत्र में दावोदारों के एक्टिव रहने से एक तरफा ही मुकाबला नजर आ रहा है। उधर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की बढ़ती सक्रियता भी समजावादी पार्टी के लिए बड़ा खतरा है। 

 

सरधना और सिवालखास में हो सकती है बगावत

वहीं इस बार विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल में गठबंधन रहेगा। चर्चा है कि वेस्ट यूपी की 45 सीट सपा रालोद के लिए छोड़ेगी। मेरठ की सिवालखास सीट रालोद के खाते में जाना तय है। दरअसल सिवालखास जाट बहुल क्षेत्र है, 2017 के विस चुनाव में भी रालोद प्रत्याशी यशवीर सिंह 19.84% (44710) मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। इसके अलावा मेरठ की सरधना सीट पर भी रालोद दावा कर रही हैं। ऐसे में अगर ये दो सीट रालोद के खाते में चली गईं तो यहां से टिकट का दावा ठोकने वाले सपा प्रत्याशियों को मासूसी हाथ लगेगीं। सरधना से दावा ठाेक रहे अतुल प्रधान पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं, जबकि सिवालखास सीट से मेरठ सपा जिलाध्यक्ष राजपाल और पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद दावेदारी कर रहे हैं। ऐसे में यदि सीटें रालोद के खाते में गईं तो जिले से बड़े नेता बगावत कर सकते हैं।

 

300 से अधिक सीटों पर जीत का दावा

गौरतलब है कि इससे पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने दावा किया था कि विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी 300 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करेगी। इसके साथ ही वह बीजेपी पर लगातार हमलावर रहे हैं। 

 

सपा में गुटबाजी हावी

मेरठ समाजवादी पार्टी में लंबे समय से गुटबाजी हावी है। यह गुटबाजी कई बार सामने आ चुकी है। पार्टी के धरने हो या बैठकें मेरठ में सपा लंबे समय से कई गुटों में बंटी नजर आती है। विरोध-प्रदर्शन करने भी सपा नेता एक मंच पर नहीं आते हैं। इसी गुटबाजी की वजह से स्थानीय नेता सपा हाईकमान की भी नाराजगी तक झेल चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद इनसभी में मनभेद ऐसे हैं जिसमें सुधार नहीं हो रहा है। जिला पंचायत और फिर ब्लॉक प्रमुख चुनाव में भी सपा की गुटबाजी खुलकर सामने आई थी जो पार्टी की करारी हार का कारण भी बनी थी। हाल ही में लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर हुए प्रदर्शन में भी कई वरिष्ठ सपा नेता नदारद रहे। 

 

डालूहेड़ा में सपा के सर्व समाज का समारोह हो या आजम खान को रिहा करने की मांग के लिए सपाइयों का प्रदर्शन पार्टी कभी एकजुट नहीं हुई। जिस कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष राजपाल और पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर नजर आते हैं उसमें पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद और पूर्व जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह शामिल नहीं होते। जिस कार्यक्रम में पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद, पूर्व जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह शामिल रहते हैं उसमें ये दोनों नेता कहीं नजर नहीं आते। ऐसा ही अतुुल प्रधान, बाबर चौहान और अन्य नेताओं के साथ भी है।  

 

बीते पांच साल में ऐसा मुश्किल से एक दो कार्यक्रमों में ही हुआ होगा जिसमें ये सभी नेता एक साथ आए हों।  पार्टी के सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी के कुछ सीनियर नेता हावी रहना चाहते हैं, वे सभी पर अपना फैसला थोपना चाहते हैं जिसके चलते अन्य नेता (खासकार युवा नेता) उन्हें पसंद नहीं करते हैं और इसी मनभेद के चलते ये सभी एक मंच पर नहीं नजर आते हैं। अपने मनभेद के कारण नेताओं का यूं खेमें में बंटे रहना भी कहीं न कहीं पार्टी के लिए नुकसानदायक भी हो रहा है। 

 

पार्टी के नेता ने ही जिलाध्यक्ष पर लगाया था मारपीट का आरोप, थाने में दी थी तहरीर
2019 में तो उन्नाव पीड़िता को श्रद्धाजंलि देने के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच सरेआम मारपीट भी हुई थी। उस दौरान पूर्व जिला सचिव निरंजन सिंह ने मेडिकल थाने में सपा जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह व कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मेडिकल थाने में तहरीर दी थी। निरंजन ने आरोप लगाया था कि पार्टी कार्यालय पर उन्नाव पीड़िता को श्रद्धांजलि देने के दौरान राजपाल सिंह से उनकी कहासुनी हुई थी। इसके बाद राजपाल सिंह वहां से निकल गए थे, लेकिन कुछ देर बाद राजपाल सिंह तीन-चार अज्ञात लोगों के साथ वापस आए और मेरे साथ गाली-गलौच और मारपीट करते हुए जान से मारने की धमकी दी। वहीं राजपाल सिंह ने इस मामले को अपने खिलाफ साजिश बताया था।

 

ये हैं दावेदार
मेरठ कैंट : संजीव गुप्ता, परविंदर ईशू, कौशल भदौड़ा
सिवालखास : चौधरी राजपाल सिंह, गुलाम मोहम्मद, माजिद चौहान
सरधना : अतुल प्रधान, गौरव प्रधान, रिहानुद्दीन
किठौर : शाहिद मंजूर, बाबर चौहान, यूसुफ सैफी
हस्तिनापुर : प्रभुदयाल वाल्मिकी, योगेश वर्मा, विपिन मनोठिया
दक्षिण विधानसभा : आदिल चौधरी, पवन गुर्जर, इकरामुद्दीन सैफी
शहर विधानसभा : रफीक अंसारी, आदिल अंसारी

 

मेरठ कैंट विधानसभा सीट

मेरठ कैंट विधानसभा सीट पर 401,849 मतदाता हैं। 2017 में हुए चुनावों में इस सीट पर 236,926 वोट पड़े, यानि कुल मतदान प्रतिशत  58.96% रहा। सबसे ज्यादा 55.93% वोट भाजपा प्रत्याशी सत्यप्रकाश अग्रवाल (132518) को मिले। इसके बाद बसपा प्रत्याशी सतेंद्र सोलंकी को 23.59% (55899) वोट मिले। वहीं तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी रमेश ढींगरा को  16.74% (39650) मत मिले।

मेरठ शहर विधानसभा सीट

मेरठ शहर विधानसभा सीट पर 302,214 मतदाता हैं। 2017 में हुए चुनावों में इस सीट पर 195,516 वोट पड़े, यानि कुल मतदान प्रतिशत  64.69% रहा। सबसे ज्यादा 52.79% वोट सपा प्रत्याशी रफीक अंसारी (103217) को मिले। इसके बाद भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मीकांत वाजपेयी को 38.08% (74448) वोट मिले। वहीं तीसरे स्थान पर रहे बसपा प्रत्याशी पंकज जौली को  6.46% (12636 ) मत मिले। सपा से गठबंधन होने के कारण कांग्रेस ने यहां से प्रत्याशी नहीं उतारा था।

मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट

मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट पर 428,854 मतदाता हैं। 2017 में हुए चुनावों में इस सीट पर 270,796 वोट पड़े, यानि कुल मतदान प्रतिशत 63.14% रहा। सबसे ज्यादा 41.81% वोट भाजपा प्रत्याशी सोमेंद्र सिंह तोमर (113225 ) को मिले। इसके बाद बसपा प्रत्याशी हाजी मोहम्मद याकूब को 28.74% (77830) वोट मिले। वहीं तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद आजाद सैफी को 25.52% (69117) मत मिले।

किठाैर विधानसभा सीट

किठाैर विधानसभा सीट पर 338,755 मतदाता हैं। 2017 में हुए चुनावों में इस सीट पर 242,879 वोट पड़े, यानि कुल मतदान प्रतिशत 71.70% रहा। सबसे ज्यादा 37.31% वोट भाजपा प्रत्याशी सत्यवीर त्यागी (90622) को मिले। इसके बाद सपा प्रत्याशी शाहिद मंजूर को 32.86% (79800) वोट मिले। वहीं तीसरे स्थान पर रहे बसपा प्रत्याशी गजराज सिंह को 25.73% (62503) मत मिले। सपा से गठबंधन होने के कारण कांग्रेस ने यहां से प्रत्याशी नहीं उतारा था।

सिवलखास विधानसभा सीट

सिवलखास विधानसभा सीट पर 318,698 मतदाता हैं। 2017 में हुए चुनावों में इस सीट पर 225,365 वोट पड़े, यानि कुल मतदान प्रतिशत 70.71% रहा। सबसे ज्यादा 32.32% वोट भाजपा प्रत्याशी जितेंद्र पाल सिंह  (72842) को मिले। इसके बाद सपा प्रत्याशी गुलाम मोहम्मद को 27.25% (61421) वोट मिले। वहीं तीसरे स्थान पर रहे रालोद प्रत्याशी यशवीर सिंह को 19.84% (44710) मत मिले। चौथे स्थान पर बसपा के प्रत्याशी नदीम अहमद को 18.87% (42524) मत मिले। सपा से गठबंधन होने के कारण कांग्रेस ने यहां से प्रत्याशी नहीं उतारा था।

हस्तिनापुर विधानसभा सीट

हस्तिनापुर विधानसभा सीट पर 326,707 मतदाता हैं। 2017 में हुए चुनावों में इस सीट पर 221,371 वोट पड़े, यानि कुल मतदान प्रतिशत 67.76% रहा। सबसे ज्यादा 44.92% वोट भाजपा प्रत्याशी दिनेश खटीक (99436) को मिले। इसके बाद बसपा प्रत्याशी योगेश वर्मा को 28.63% (63374) वोट मिले। वहीं तीसरे स्थान पर रहे सपा के प्रभु दयाल को 22.13% (48979) मत मिले। सपा से गठबंधन होने के कारण कांग्रेस ने यहां से प्रत्याशी नहीं उतारा था।

सरधना विधानसभा सीट

सरधना विधानसभा सीट पर 333,064 मतदाता हैं। 2017 में हुए चुनावों में इस सीट पर 239,251 वोट पड़े, यानि कुल मतदान प्रतिशत 71.83% रहा। सबसे ज्यादा 40.93% वोट भाजपा प्रत्याशी संगीत सिंह सोम (97921) को मिले। इसके बाद सपा प्रत्याशी अतुल प्रधान को 31.89% (76296) वोट मिले। वहीं तीसरे स्थान पर रहे बसपा के मोहम्मद इमरान को 23.92% (57239) मत मिले। सपा से गठबंधन होने के कारण कांग्रेस ने यहां से प्रत्याशी नहीं उतारा था।

 

देश दुनिया के साथ ही अपने शहर की ताजा खबरें अब पाएं अपने WHATSAPP पर, क्लिक करें। Khabreelal के Facebookपेज से जुड़ें, Twitter पर फॉलो करें। इसके साथ ही आप खबरीलाल को Google News पर भी फॉलो कर अपडेट प्राप्त कर सकते है। हमारे Telegram चैनल को ज्वाइन कर भी आप खबरें अपने मोबाइल में प्राप्त कर सकते है।