मंकीपॉक्स (Monkeypox) वायरस को लेकर पूरी दुनिया में हाहाकार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स वायरस को घोषित किया ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स वायरस को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है। WHO ने बैठक में लंबी चर्चा के बाद यह फैसला लिया है। मंकीपॉक्स अब तक 80 देशों में फैल चुका है। भारत में अब तक मंकीपॉक्स के 3 मामले सामने आ चुके हैं।
Updated: Jul 23, 2022, 21:04 IST
मंकीपॉक्स को लेकर अब पूरी दुनिया में घमासान मचा हुआ है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस दुर्लभ बीमारी को लेकर शनिवार को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल (Global Health Emergency) घोषित कर दिया है। डब्ल्यूएचओ (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम (Tedros Adhanom) ने इस बात की जानकारी दी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि मंकीपॉक्स का प्रसार 70 से अधिक देशों में एक वैश्विक आपातकाल है। गौरतलब है कि अब दुनिया भर में मंकीपॉक्स के लगभग 15,000 मामले हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और अन्य देशों ने लाखों टीके खरीदे हैं, जबकि अफ्रीका को एक भी वैक्सीन नहीं मिली है, जहां मंकीपॉक्स का अधिक गंभीर प्रकार पहले से ही 70 से भी अधिक लोगों की जान ले चुका है। Read Also:-उत्तर प्रदेश में बिजली की नई दर: उत्तर प्रदेश सरकार ने की बिजली बहुत सस्ती; एक करोड़ 20 लाख गरीब उपभोक्ताओं को बड़ी राहत,
WHO ने गुरुवार को बुलाई थी बैठक, 'मंकीपॉक्स (Monkeypox) को वैश्विक संकट घोषित किया जाए या नहीं'
मंकीपॉक्स को वैश्विक संकट घोषित (Global Health Emergency) करने पर विचार करने के लिए डब्ल्यूएचओ ने गुरुवार को एक सप्ताह के भीतर दूसरी बैठक बुलाई। अफ्रीकी अधिकारियों ने कहा कि वे पहले से ही महाद्वीप की महामारी को आपातकाल के रूप में मान रहे थे। लेकिन कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि यूरोप, उत्तरी अमेरिका और अन्य जगहों पर मंकीपॉक्स के हल्के रूपों की उपस्थिति पर आपातकाल की स्थिति घोषित करना अनावश्यक था, भले ही वायरस को नियंत्रित नहीं किया जा सके। दरअसल, मंकीपॉक्स पश्चिमी और मध्य अफ्रीका के कई हिस्सों में दशकों से मौजूद है, जहां बीमार जंगली जानवर कभी-कभी ग्रामीण लोगों को संक्रमित करते हैं। लेकिन कम से कम मई के बाद से यह बीमारी यूरोप, उत्तरी अमेरिका और अन्य जगहों पर समलैंगिक और उभयलिंगी लोगों में फैल गई है।
मंकीपॉक्स को वैश्विक संकट घोषित (Global Health Emergency) करने पर विचार करने के लिए डब्ल्यूएचओ ने गुरुवार को एक सप्ताह के भीतर दूसरी बैठक बुलाई। अफ्रीकी अधिकारियों ने कहा कि वे पहले से ही महाद्वीप की महामारी को आपातकाल के रूप में मान रहे थे। लेकिन कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि यूरोप, उत्तरी अमेरिका और अन्य जगहों पर मंकीपॉक्स के हल्के रूपों की उपस्थिति पर आपातकाल की स्थिति घोषित करना अनावश्यक था, भले ही वायरस को नियंत्रित नहीं किया जा सके। दरअसल, मंकीपॉक्स पश्चिमी और मध्य अफ्रीका के कई हिस्सों में दशकों से मौजूद है, जहां बीमार जंगली जानवर कभी-कभी ग्रामीण लोगों को संक्रमित करते हैं। लेकिन कम से कम मई के बाद से यह बीमारी यूरोप, उत्तरी अमेरिका और अन्य जगहों पर समलैंगिक और उभयलिंगी लोगों में फैल गई है।
भारत में भी बढ़ रहा मंकीपॉक्स (Monkeypox) का ग्राफ
अब, भारत में भी मंकीपॉक्स का खतरा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। देश में अब तक इस बीमारी के तीन मामले सामने आ चुके हैं। तीनों मामले केरल से सामने आए हैं। जुलाई की शुरुआत में यूएई से लौटे 35 वर्षीय युवक में मंकीपॉक्स के संक्रमण की पुष्टि हुई है। दरअसल, मलप्पुरम का युवक 6 जुलाई को अपने गृह राज्य लौटा था और उसे 13 जुलाई से बुखार है। इससे पहले भारत में मंकीपॉक्स का दूसरा मामला केरल के कन्नूर जिले में सामने आया था। 13 जुलाई को दुबई से कन्नूर लौटे एक व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। वहीं, भारत में मंकीपॉक्स का पहला मरीज भी केरल में मिला था। यूएई से 12 जुलाई को कोल्लम पहुंचे एक शख्स में संक्रमण के लक्षण दिखे।