कंडोम लगा होने का मतलब यह नहीं कि SEX सहमति से हुआ है: सहकर्मी की पत्नी से रेप के आरोपी से कोर्ट

नौसेना कर्मचारी पर लगे रेप के आरोप के मामले में अदालत ने यह टिप्पणी की है। दरअसल नौसेना कर्मी पर आरोप है कि उसने अपने सहयोगी की पत्नी का ही रेप किया है

 
मुंबई (Mumbai) की एक अदालत (Court) ने रेप केस (Rape Case) की सुनवाई करते हुए कहा है कि कंडोम लगा होने का मतलब यह नहीं कि सेक्स सहमति से किया गया है। कोर्ट, आरोपी नौसेना के कर्मचारी की जमानत पर सुनवाई कर रही थी। Read Also : CONDOM नहीं था तो SEX के लिए युवक ने सिलूचन से चिपकाया अपना Penis, मौत

 

कोर्ट ने कहा कि केवल इसलिए कि कंडोम घटना स्थल पर मौजूद होना, यह कहने के लिए पर्याप्त नहीं है कि शिकायतकर्ता के आरोपी के साथ सहमति से संबंध बने थे। यह भी हो सकता है कि आगे आने वाली दिक्कतों से बचने के लिए आरोपी ने कांडोम का इस्तेमाल किया हो।” Read Also : वह सेक्स के बाद मेरी वेजाइना चेक करता है, कहता है मैं प्रेगनेंसी रोकती हूं; अमेरिका में रह रहे पति पर पत्नी ने लगाए आरोप

 

बता दें कि नौसेना कर्मचारी पर लगे रेप के आरोप के मामले में अदालत ने यह टिप्पणी की है। दरअसल नौसेना कर्मी पर आरोप है कि उसने अपने सहयोगी की पत्नी का ही रेप किया है, दावा किया था कि उसकी ओर से सहमति के बाद ही संबंध बनाए गए थे। इस दावे के समर्थन में उसने सेक्स के वक्त कंडोम पहने होने की बात कही थी, जिस पर कोर्ट ने यह टिप्पणी की है। कोर्ट के इस फैसले से लोग हैरान हो गए। 

 

कुछ दिन पहले ही छत्तीसगढ़ की बिलासपुर हाईकोर्ट द्वारा वैवाहिक बलात्कार के मामले में दिए गए निर्णय पर भी लोग हैरान रह गए थे। दरअसल पत्नी के साथ जबरन सेक्स (Sex with Wife) करने के आरोपी पति को छत्तीसगढ़ की बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur Highcourt) ने आरोप मुक्त कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि दो लोग जो कानूनी रूप से शादी कर चुके हैं उनके बीच सेक्स करते समय भले ही पति द्वारा बलपूर्वक पत्नी की इच्छा के खिलाफ जबरदस्ती की गई हो, लेकिन इसे रेप (Rape) नहीं कहा जा सकता है। हालांकि अदालत ने आरोपी को पत्नी के साथ अननेचुरल सेक्स (Anal Sex) करने का दोषी पाते हुए धारा 377 को बरकरार रखा था।

 

इससे पहले पति द्वारा जबरन सेक्स करने के एक मामले में केरल केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने कहा था कि पत्नी के शरीर को पति द्वारा अपनी संपत्ति समझना और उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाना (treating the body of the wife as his property by the husband and having sex against his will amounts to marital rape) वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) है। न्यायमूर्ति ए. मोहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने कहा था कि शादी और तलाक धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत होने चाहिए और देश के विवाह कानून को फिर से बनाने का समय आ गया है। Read Also : मनोरंजन के लिए सेक्स नहीं करती भारत की लड़कियां, प्रेमी की जमानत खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा

 

कोर्ट ने पाया कि पति अपनी पत्नी के साथ पैसे कमाने की मशीन की तरह व्यवहार करता था और पत्नी ने विवाह की खातिर उत्पीड़न को सहन किया, लेकिन जब उत्पीड़न और क्रूरता बर्दाश्त से परे पहुंच गई, तो उसने तलाक के लिए याचिका दायर करने का फैसला किया था। पीठ ने कहा था कि, ”दंडात्मक कानून के तहत वैवाहिक बलात्कार को कानून मान्यता नहीं देता, केवल यह कारण अदालत को तलाक देने के आधार के तौर पर इसे क्रूरता मानने से नहीं रोकता है। इसलिए, हमारा विचार है कि वैवाहिक बलात्कार तलाक का दावा करने का ठोस आधार है।” यह भी पढ़ें : शादी के वादे पर किया गया सेक्स दुष्कर्म है, इलाहबाद हाईकोर्ट ने कहा- महिलाएं भोग विलास की वस्तु नहीं, इस पर कानून बनाएं

 

 
जबरन सेक्‍स करने के बाद पत्‍नी को मार गया लकवा, मुंबई सेशन कोर्ट ने कहा- पति ने कोई गैरकानूनी काम नहीं किया
वहीं मुंबई की सेशन कोर्ट (Mumbai Court ) ने पत्‍नी की मर्जी के बगैर जबरन संबंध बनाने के मामले में कहा था कि पत्‍नी के साथ जबरन संबंध बनाने के आरोपी पति ने कोई गैरकानूनी काम नहीं किया है। दरअसल मुंबई के अडिशनल सेशन जज एसजे घरात की कोर्ट में महिला ने अपना पक्ष रखते हुए आरोप लगाए कि उसके पति ने उसके साथ जबरन संबंध बनाए, जिसके कारण उसे लकवा मार गया। महिला ने पति पर जबरन संबंध बनाने और दहेज उत्‍पीड़न का आरोप लगाया था जबकि आरोपी पति ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी। इस पर कोर्ट ने कहा आरोपी व्‍यक्ति महिला का पति है, इसलिए ये कहना गलत होगा कि पति होने के नाते उसने कोई गैरकानूनी काम किया है। Read Also : 15 वर्ष से अधिक उम्र की पत्नी के साथ सेक्स करना दुष्कर्म नहींः हाईकोर्ट