क्या बंद हो जाएंगे 21 लाख फर्जी सिम कार्ड? भारत सरकार ने किया पूरे घोटाले का खुलासा!
दूरसंचार विभाग ने कहा है कि देश में कम से कम 21 लाख सिम कार्ड हैं जो फर्जी पहचान पत्र या निवास कार्ड का उपयोग करके खरीदे गए हैं। वहीं, 1 करोड़ 92 लाख मामले ऐसे हैं जहां एक व्यक्ति के नाम पर 9 से अधिक सिम कार्ड जारी किए गए हैं। क्यों खतरनाक है फर्जी सिम कार्ड का ये कारोबार? आइये जानते हैं इस के बारे में।
Updated: Mar 21, 2024, 21:15 IST
भारत सरकार की एक सूचना ने देश में चल रहे सिम कार्ड घोटाले से पर्दा तो उठा दिया है। दूरसंचार विभाग भारत सरकार के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आता है। अंग्रेजी में इसे टेलीकम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट (डीओटी) कहते हैं। सरकार के इसी विभाग ने कहा है कि देश में कम से कम 21 लाख सिम कार्ड ऐसे हैं जो फर्जी पहचान पत्र या निवास पत्र का इस्तेमाल कर खरीदे गए हैं। वहीं, 1 करोड़ 92 लाख मामले ऐसे हैं जहां एक व्यक्ति के नाम पर 9 से अधिक सिम कार्ड जारी किए गए हैं।READ ALSO:-‘सुप्रीम’ डांट का असर…किसने खरीदा..किसने भुनाया, इलेक्टोरल बॉन्ड की सारी जानकारी चुनाव आयोग ने की वेबसाइट पर अपलोड,
भारत सरकार ने यह पूरी देशव्यापी जांच 'संचार साथी' पहल के माध्यम से की। यह अभियान नागरिकों के मोबाइल कनेक्शन की सुरक्षा के लिए काम करता है। इसके जरिए दूरसंचार विभाग ने देशभर में करीब 114 करोड़ मोबाइल फोन कनेक्शनों की दोबारा जांच की. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट के जरिए विभाग यह सब करने में सक्षम हुआ। संचार साथी के माध्यम से आप यह भी पता लगा सकते हैं कि आपके नाम पर वर्तमान में कितने सिम कार्ड उपयोग में हैं और यदि आपको लगता है कि आपको किसी विशेष सिम कार्ड की आवश्यकता नहीं है, तो आप इसे तत्काल प्रभाव से बंद भी कर सकते हैं।
तो क्या बंद हो जायेंगे 21 लाख सिम कार्ड?
अब आते हैं 21 लाख फर्जी सिम कार्ड पर। विभाग ने फर्जी सिम कार्ड को लेकर भारती एयरटेल, एमटीएनएल, बीएसएनएल, रिलायंस जियो और वोडाफोन आइडिया जैसे टेलीकॉम ऑपरेटरों को अलर्ट भेजा है। विभाग के मुताबिक, इन टेलीकॉम ऑपरेटरों को संदेह के घेरे में आए सिम कार्डों की पूरी सूची उपलब्ध करा दी गई है और उन्हें जल्द से जल्द दोबारा सत्यापन करने को कहा गया है। संदेह सही पाए जाने पर संबंधित सिम कार्ड को तत्काल बंद करने के आदेश दिए गए हैं।
अब आते हैं 21 लाख फर्जी सिम कार्ड पर। विभाग ने फर्जी सिम कार्ड को लेकर भारती एयरटेल, एमटीएनएल, बीएसएनएल, रिलायंस जियो और वोडाफोन आइडिया जैसे टेलीकॉम ऑपरेटरों को अलर्ट भेजा है। विभाग के मुताबिक, इन टेलीकॉम ऑपरेटरों को संदेह के घेरे में आए सिम कार्डों की पूरी सूची उपलब्ध करा दी गई है और उन्हें जल्द से जल्द दोबारा सत्यापन करने को कहा गया है। संदेह सही पाए जाने पर संबंधित सिम कार्ड को तत्काल बंद करने के आदेश दिए गए हैं।
फर्जी दस्तावेज देकर खरीदे गए सिम कार्ड को बंद करने की प्रक्रिया को डेटा क्लींजिंग कहा जाता है। फर्जी दस्तावेजों के जरिए खरीदे और एक्टिवेट किए गए लाखों सिम कार्डों को लेकर यह संदेह जताया गया है कि इनमें से ज्यादातर का इस्तेमाल साइबर अपराध और ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है। ऐसे समय में जब ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले बढ़े हैं, फर्जी सिम कार्ड को पकड़ने के लिए यह कार्रवाई बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।
फर्जी सिम कार्ड और ऑनलाइन अपराध
सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर कानून विशेषज्ञ विराग गुप्ता, जो 'इंडिया प्रॉस्पेरिंग विद डिजिटल लॉज़' किताब के लेखक भी हैं, बढ़ते साइबर अपराधों को लेकर चौंकाने वाला आंकड़ा सामने रखते हैं। विराग गुप्ता का कहना है कि भले ही एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साइबर अपराध की रिपोर्टिंग सालाना 65 हजार ही हो, लेकिन गृह मंत्रालय और 1930 की हेल्पलाइन से मिले आंकड़ों के मुताबिक सालाना 31 लाख से ज्यादा वित्तीय साइबर अपराध होते थे।
सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर कानून विशेषज्ञ विराग गुप्ता, जो 'इंडिया प्रॉस्पेरिंग विद डिजिटल लॉज़' किताब के लेखक भी हैं, बढ़ते साइबर अपराधों को लेकर चौंकाने वाला आंकड़ा सामने रखते हैं। विराग गुप्ता का कहना है कि भले ही एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साइबर अपराध की रिपोर्टिंग सालाना 65 हजार ही हो, लेकिन गृह मंत्रालय और 1930 की हेल्पलाइन से मिले आंकड़ों के मुताबिक सालाना 31 लाख से ज्यादा वित्तीय साइबर अपराध होते थे।
ऑनलाइन धोखाधड़ी पर बहस नकली सिम कार्ड का जिक्र किए बिना पूरी नहीं हो सकती है या यूं कहें कि साइबर अपराधों पर नकेल कसने के लिए नकली सिम कार्ड के खिलाफ कार्रवाई बहुत जरूरी है। विराग गुप्ता का कहना है कि “ज्यादातर साइबर अपराध तीन तरह से किये जाते हैं। पहला- फर्जी सिम कार्ड, दूसरा- फर्जी बैंक खाता और तीसरा- फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट।”
अगर हम रुककर धोखाधड़ी के इन तीन तरीकों के बारे में सोचें तो पाएंगे कि देश भर में हुए साइबर अपराधों में बड़े पैमाने पर फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि यह दो अन्य तरीकों से आसान प्रतीत होता है। 'द हिंदू' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु में दर्ज किए गए संदिग्ध ऑनलाइन धोखाधड़ी और अपराध के 90 प्रतिशत मामले सिम कार्ड के जरिए किए गए थे, जिन्हें फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके सक्रिय किया गया था।
केवाईसी प्रक्रिया से गुजरे बिना जारी किए गए सिम कार्ड ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर अपराध के मामलों की जांच कर रहे अधिकारियों के लिए हमेशा एक चुनौती रहे हैं। इसका कारण यह है कि आरोपी के नाम पर सिम कार्ड न होने के कारण उसकी तलाश करना बहुत मुश्किल हो जाता है। विभाग को उम्मीद है कि फर्जी सिम कार्ड बंद होने से साइबर अपराध और ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी।
सबसे अधिक नकली सिम कार्ड कहाँ से आते हैं?
दूरसंचार विभाग का कहना है कि देश में ज्यादातर सिम कार्ड फर्जी दस्तावेजों के जरिए एयरटेल और रिलायंस जियो द्वारा जारी किए जाते हैं। ऐसे कुल 21 लाख फर्जी सिम कार्ड में से करीब 7 लाख 46 हजार एयरटेल के हैं। इसके बाद जियो है जिसके करीब 5 लाख 34 हजार सिम कार्ड संदेह के घेरे में हैं। तीसरे नंबर पर वोडाफोन आइडिया है, जिसके करीब 5 लाख 28 हजार सिम कार्ड को विभाग ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए जारी किए गए सिम की सूची में रखा है।
दूरसंचार विभाग का कहना है कि देश में ज्यादातर सिम कार्ड फर्जी दस्तावेजों के जरिए एयरटेल और रिलायंस जियो द्वारा जारी किए जाते हैं। ऐसे कुल 21 लाख फर्जी सिम कार्ड में से करीब 7 लाख 46 हजार एयरटेल के हैं। इसके बाद जियो है जिसके करीब 5 लाख 34 हजार सिम कार्ड संदेह के घेरे में हैं। तीसरे नंबर पर वोडाफोन आइडिया है, जिसके करीब 5 लाख 28 हजार सिम कार्ड को विभाग ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए जारी किए गए सिम की सूची में रखा है।
वहीं, करीब 3 लाख बीएसएनएल और 1 हजार 76 एमटीएनएल यूजर्स ऐसे हैं जो फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं। देश के पांच सर्किल जहां फर्जी सिम कार्ड के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए, वे हैं उत्तर प्रदेश (East), असम, उत्तर प्रदेश (West), तमिलनाडु और केरल।
जहां तक उन यूजर्स की बात है जिनके पास एक ही आईडी पर 9 से ज्यादा सिम कार्ड जारी हैं तो सबसे ज्यादा ऐसे सिम कार्ड वोडाफोन आइडिया के तहत जारी किए गए हैं। वोडाफोन आइडिया के 84 लाख, भारती एयरटेल के 45 लाख, जियो के 42 लाख और बीएसएनएल के 21 लाख यूजर्स हैं जिनके नाम पर 9 से ज्यादा सिम कार्ड पाए गए हैं। ये लोग सरकार द्वारा निर्धारित एक पहचान पत्र पर 9 सिम कार्ड खरीदने की सीमा का उल्लंघन कर रहे हैं।
देश के जिन पांच सर्किलों में ऐसे सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए, वे हैं उत्तर प्रदेश (East), महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और हरियाणा। हालांकि, विभाग ने यह भी माना है कि एक ही व्यक्ति के नाम पर 9 से अधिक सिम कार्ड जारी करने की कुल संख्या में ऐसे मामले भी हैं, जहां टेलीकॉम ऑपरेटरों ने गलती से थोक श्रेणी के बजाय व्यक्तिगत श्रेणी में सिम कार्ड जारी कर दिए हैं।
सरकार द्वारा किये गये प्रयास
गलत मोबाइल नंबरों से होने वाले साइबर क्राइम को रोकने के लिए सरकार ने चक्षु ऐप लॉन्च किया है। इतना ही नहीं, विराग गुप्ता का कहना है कि “DOT और TRAI ने सिम कार्ड के दुरुपयोग और धोखाधड़ी को रोकने के लिए समय-समय पर कई नियम बनाए हैं। अगस्त 2012 से दिसंबर 2023 तक सिम केवाईसी के लिए फिजिकली दस्तावेज जमा करने की सुविधा थी, जिसे अब खत्म कर ऑनलाइन कर दिया गया है।
गलत मोबाइल नंबरों से होने वाले साइबर क्राइम को रोकने के लिए सरकार ने चक्षु ऐप लॉन्च किया है। इतना ही नहीं, विराग गुप्ता का कहना है कि “DOT और TRAI ने सिम कार्ड के दुरुपयोग और धोखाधड़ी को रोकने के लिए समय-समय पर कई नियम बनाए हैं। अगस्त 2012 से दिसंबर 2023 तक सिम केवाईसी के लिए फिजिकली दस्तावेज जमा करने की सुविधा थी, जिसे अब खत्म कर ऑनलाइन कर दिया गया है।
साथ ही सिम कार्ड के दुरुपयोग को रोकने के लिए डीओटी ने 1 दिसंबर 2023 से नए नियम लागू किए हैं, जिसके अनुसार सिम कार्ड की थोक बिक्री पर प्रतिबंध, पीओएस फ्रेंचाइजी का अनिवार्य पंजीकरण और सिम कार्ड डीलरों के पुलिस सत्यापन का प्रावधान किया गया है। हालाँकि, एक सच्चाई यह भी है कि इन तमाम उपायों के बावजूद फर्जी सिम कार्ड और उससे होने वाले साइबर अपराधों पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लग पाया है।
अब आगे क्या?
इसलिए कुछ और उपाय और कदम उठाने की जरूरत है। विराग गुप्ता का कहना है कि “सिम कार्ड के जरिए होने वाले साइबर अपराधों को रोकने के लिए टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (TSP) पर भारी जुर्माने के साथ-साथ कानूनी जवाबदेही भी लागू करने की जरूरत है। लोकसभा चुनाव के बाद जब नई सरकार बनेगी तो टेलीकॉम एक्ट और डिजिटल इंडिया एक्ट को जल्द मंजूरी देने और लागू करने की जरूरत है।'
इसलिए कुछ और उपाय और कदम उठाने की जरूरत है। विराग गुप्ता का कहना है कि “सिम कार्ड के जरिए होने वाले साइबर अपराधों को रोकने के लिए टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (TSP) पर भारी जुर्माने के साथ-साथ कानूनी जवाबदेही भी लागू करने की जरूरत है। लोकसभा चुनाव के बाद जब नई सरकार बनेगी तो टेलीकॉम एक्ट और डिजिटल इंडिया एक्ट को जल्द मंजूरी देने और लागू करने की जरूरत है।'
फर्जी सिम कार्डों पर रोक लगाकर ही साइबर अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है। साइबर की दुनिया में यह सोचना कि इसमें कोई जोखिम नहीं है, सबसे बड़ा जोखिम है।