UP : धोखे से या डरा-धमका कर शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार के बराबर...जानिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में और क्या कहा?

 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में आरोपी की याचिका खारिज करते हुए अहम टिप्पणी की। आगरा के एक शख्स ने याचिका दाखिल की थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। आइए इस मामले के बारे में विस्तार से जानते हैं।
 
प्रयागराज के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामले में अहम टिप्पणी करते हुए आरोपी की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि भले ही महिला की सहमति से संबंध बनाए गए हों, लेकिन अगर उसने किसी भ्रम या डर के कारण ऐसा किया तो ऐसा मामला दुष्कर्म माना जाएगा। आगरा के एक शख्स ने जस्टिस अनीस कुमार गुप्ता की कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। लेकिन कोर्ट ने आरोपी राघव कुमार की याचिका खारिज कर दी। राघव ने दुष्कर्म मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।READ ALSO:-UP : कार में बोनट के अंदर आराम फरमा रहा था विशालकाय अजगर, देखते ही चालक के उड़े होश, एक घंटे चलता रहा रेस्क्यू, देखें Video

 

अदालत ने याचिका खारिज की
राघव पर आरोप है कि उसने एक महिला से शादी का वादा किया था। जिसके बाद उसने महिला से संबंध बनाए। लेकिन महिला ने इसे दुष्कर्म बताया। अब आरोपी ने कोर्ट से पुलिस की चार्जशीट रद्द करने की गुहार लगाई थी। लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। आगरा के महिला थाने में एक युवती ने दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने 13 दिसंबर 2018 को आगरा के जिला एवं सत्र न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की।

 
महिला की शिकायत के मुताबिक राघव ने उसे बेहोश करने के बाद पहली बार दुष्कर्म किया। इसके बाद आरोपी ने उससे शादी का वादा किया और बार-बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता रहा। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि दोनों एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे। दोनों एक साथ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। दोनों के बीच संबंध सहमति से थे। वे अक्सर एक-दूसरे के साथ समय बिताते थे। इसलिए, यह आरोपी राघव के खिलाफ बलात्कार का मामला नहीं बनता। 

 

10 सितंबर को कोर्ट ने सुनाया था फैसला 
वहीं, महिला के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि दोनों पक्षों के बीच शारीरिक संबंध धोखे से शुरू हुए थे। राघव ने उसके साथ जबरदस्ती संबंध बनाए थे। महिला ने शारीरिक संबंध के लिए सहमति नहीं दी थी। इसलिए, यह स्पष्ट रूप से बलात्कार का मामला है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 10 सितंबर को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने साफ कहा कि महिला की मर्जी के खिलाफ, उसे डरा-धमकाकर शारीरिक संबंध बनाए गए थे। यह स्पष्ट रूप से बलात्कार का मामला है। इस कारण अब कोर्ट को केस रद्द करने का कोई कारण नजर नहीं आता।