उत्तर प्रदेश में तबादला चाहने वाले प्राथमिक शिक्षकों को झटका, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर जिला समायोजन प्रक्रिया की रद्द  

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। इस फैसले से विभाग द्वारा की जा रही समायोजन प्रक्रिया पर रोक लग गई है। यह फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि गलतियों को सुधारा जाए। जानकारी के मुताबिक, हाईकोर्ट के इस फैसले का असर वरिष्ठ शिक्षकों पर भी पड़ेगा।
 
उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में चल रही समायोजन की प्रक्रिया पूरी तरह प्रभावित हो गई है। समायोजन का इंतजार कर रहे प्रदेश के लाखों शिक्षकों को हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद बड़ा झटका लगा है। READ ALSO:-प्रयागराज : अखाड़ा परिषद के साधु-संतों में जमकर चले लात-घूंसे, महाकुंभ मेले में भूमि आवंटन को लेकर हुआ हंगामा

 

हाईकोर्ट ने बेसिक विभाग को तत्काल प्रभाव से समायोजन से जुड़ी सभी गतिविधियों को रोकने और समायोजन प्रक्रिया में हुई गलतियों को सुधारने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया है। बेसिक शिक्षा विभाग में समायोजन के लिए लागू अंतिम आओ पहले पाओ के नियम को संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ माना गया है। इसके तहत नया शिक्षक ज्वाइन करने के बाद वरिष्ठता से नीचे रह जाता है। तबादला नीति से बाहर हो जाता है। जबकि वरिष्ठ शिक्षक लंबे समय तक एक ही स्थान पर तैनात रहता है। 

 

रीना सिंह एवं अन्य बनाम स्टेट ऑफ यूपी केस में दिए गए आदेश में हाईकोर्ट ने इसे अनुच्छेद 14 के साथ-साथ 16 का भी उल्लंघन माना है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस प्रक्रिया के तहत हर जूनियर शिक्षक समायोजित हो जाता है और वरिष्ठ शिक्षक वहीं रहता है जहां उसकी नियुक्ति होती है। 

 

कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश का असर वरिष्ठ अध्यापकों पर भी पड़ेगा, अब वे भी समायोजन के दायरे में आएंगे। ऐसे में बेसिक शिक्षा परिषद के 80 से 90 फीसदी स्कूलों पर इस आदेश का असर दिख रहा है। हालांकि, विशेषज्ञ आदेश के खिलाफ अपील करने की बात कह रहे हैं।