केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का जातिगत राजनीति पर करारा प्रहार: 'गुणों से होती है पहचान, जाति से नहीं'

 चुनाव हारने की भी नहीं परवाह, डॉ. कलाम का दिया उदाहरण, सिकल सेल के खिलाफ काम करने वाले IPS अधिकारी की सराहना।
 
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को जातिगत राजनीति पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी भी व्यक्ति की महानता उसकी जाति, धर्म या लिंग के आधार पर नहीं, बल्कि उसके गुणों और कर्मों से आंकी जाती है। नागपुर में सेंट्रल इंडिया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए गडकरी ने ऐलान किया कि वह जातिगत राजनीति के साथ कभी समझौता नहीं करेंगे, भले ही इसके लिए उन्हें चुनावों में हार का सामना करना पड़े।READ ALSO:-UP बीजेपी का बड़ा ऐलान: लखनऊ, इटावा, कानपुर देहात समेत कई जिलों को मिले नए जिलाध्यक्ष

 

सभा को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा, "जब डॉ. अब्दुल कलाम एक महान परमाणु वैज्ञानिक बने, तो उन्होंने इतनी उपलब्धियां हासिल कीं कि उनका नाम पूरी दुनिया में फैल गया। मेरा दृढ़ विश्वास है कि कोई भी व्यक्ति अपनी जाति, संप्रदाय, धर्म, भाषा या लिंग के कारण महान नहीं बनता, बल्कि वह अपने गुणों से महान बनता है। इसलिए हम किसी के साथ भी जाति, संप्रदाय, धर्म, भाषा या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेंगे।"

 


'मैं अपनी शर्तों पर जिऊंगा': गडकरी ने राजनीति में अपनी स्पष्ट राय व्यक्त करते हुए कहा, "मैं राजनीति में हूं और विभिन्न जातियों के नेता मुझसे मिलने आते हैं, लेकिन मैं बिल्कुल स्पष्ट हूं। मैं अपनी शर्तों पर ही जिऊंगा, चाहे मुझे चुनाव में वोट मिले या न मिलें। मैंने एक बार 50,000 लोगों की एक सभा में भी कहा था कि 'जो करेगा जात की बात, उसके कस के मारूंगा लात'।"

 

'चुनावी तौर पर नुकसान की परवाह नहीं': उन्होंने बताया कि उनके कई मित्रों ने उन्हें आगाह किया है कि जाति पर उनका यह रुख उन्हें चुनावी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन गडकरी ने जोर देकर कहा कि वह अपने सिद्धांतों पर हमेशा अडिग रहेंगे। उन्होंने सभा में उपस्थित लोगों से सवाल किया कि क्या चुनाव हारने पर किसी की मृत्यु हो जाती है।

 

सिकल सेल रोग के खिलाफ IPS अधिकारी के काम की सराहना: नितिन गडकरी ने इस अवसर पर महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में आदिवासी और हाशिए पर रहने वाले लोगों को प्रभावित करने वाली सिकल सेल बीमारी और थैलेसीमिया के खिलाफ लड़ाई में आईपीएस अधिकारी संदीप तमगाडे द्वारा संचालित ट्रस्ट के महत्वपूर्ण कार्यों की भी सराहना की।
'अगर कोई आदमी चुनाव नहीं जीतता है, तो वह मरता नहीं है': इसके बाद मेरे दोस्तों ने मुझसे कहा कि मैंने यह कहकर बहुत बड़ी गलती कर दी। लेकिन मैंने कहा कि जो होगा, वह होगा। अगर कोई आदमी चुनाव नहीं जीतता है, तो वह मरता नहीं है। अगर मैं मंत्री नहीं भी बना तो क्या हुआ, लेकिन मैं इन सिद्धांतों पर कायम रहूंगा। एक व्यक्ति के लिए अपने जीवन में अच्छा आचरण रखना बहुत जरूरी है। यह पहली बार नहीं है जब केंद्रीय मंत्री गडकरी ने यह बात कही हो। इससे पहले भी उन्होंने जाति और धर्म को लेकर यही बात कही थी।

 

नमाज एक बार नहीं 100 बार पढ़ें लेकिन: गडकरी ने मुस्लिम समुदाय को लेकर भी बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में मुस्लिम समुदाय के लोगों को शिक्षा की सबसे ज्यादा जरूरत है। हम मस्जिद में एक बार नहीं 100 बार नमाज पढ़ते हैं, लेकिन अगर हम विज्ञान और तकनीक को नहीं अपनाएंगे, तो हमारा भविष्य क्या होगा? गडकरी ने आगे कहा कि मुस्लिम समुदाय सिर्फ 5 व्यवसायों में लोकप्रिय हुआ है। पहला- चाय की दुकान, दूसरा- पान का ठेला, तीसरा- कबाड़ की दुकान, चौथा- ट्रक ड्राइवर और पांचवां क्लीनर। मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी इस बारे में सोचना होगा।

 

एक प्रेस विज्ञप्ति में गडकरी के हवाले से कहा गया, "तमगाडे ट्रस्ट भारत में सराहनीय कार्य कर रहा है, खासकर सिकल सेल और थैलेसीमिया से लड़ने में। स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने, मुफ्त निदान शिविर आयोजित करने और शुरुआती जांच करने के उनके प्रयासों से वंचित समुदायों को बहुत मदद मिली है।"

 

स्मृतिशेष मधुकरराव तमगाडे चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना दिवंगत मधुकरराव तमगाडे की स्मृति में की गई थी, जिन्होंने अपना पूरा जीवन हाशिए पर रहने वाले समुदायों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया था। उनकी विरासत आज भी स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में ट्रस्ट के मिशन का मार्गदर्शन कर रही है।