श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट की रोक; हाईकोर्ट ने सर्वे का दिया था आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर का सर्वेक्षण कराने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष की मांग अभी स्पष्ट नहीं है। इसलिए हाईकोर्ट कमिश्नर के सर्वे को फिलहाल अगले आदेश तक रोक दिया गया है। साथ ही हिंदू पक्ष को भी नोटिस जारी किया गया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 23 जनवरी को होगी। 
 
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद में सर्वे पर रोक लगा दी है। मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट कमिश्नर सर्वे पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने मस्जिद में सर्वे का आदेश दिया था। वकील तसनीम अहमदी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जहां किसी सिविल मुकदमे की स्थिरता पर सवाल उठाया जाता है और उस आधार पर अंतरिम राहत देने का विरोध किया जाता है, तो अंतरिम राहत देने का निर्णय लेने से पहले ट्रायल कोर्ट को चाहिए कि कम से कम मामले को एक साथ सुनें। READ ALSO:-तुम कुंवारी हो या नहीं?...टू फिंगर टेस्ट के दौरान नाबालिग बलात्कार पीड़िता से पूछे गए अपमानजनक सवाल, High Court ने लगाई फटकार

 

उन्होंने कहा कि मामले को लेकर प्रथम दृष्टया संतुष्टि होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर नोटिस जारी कर रहा है। यह कानूनी पहलू का मामला है। आपको बता दें कि मथुरा में 13.37 एकड़ जमीन पर विवाद है। श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर लगभग 11 एकड़ में स्थित है। शाही ईदगाह मस्जिद 2.37 एकड़ जमीन पर है। औरंगजेब ने 1669-70 में शाही ईदगाह का निर्माण कराया था। दावा किया जाता है कि उसने श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को तोड़ दिया था।

 


1935 में उच्च न्यायालय द्वारा 13.37 एकड़ विवादित भूमि बनारस के राजा को आवंटित की गई थी। इस जमीन का अधिग्रहण 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने किया था। 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमेटी के बीच एक समझौता हुआ था। शाही ईदगाद की जमीन हिंदू पक्ष को देने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। याचिका में 1968 में हुए समझौते को रद्द करने की भी मांग की गई थी। 

 

हिंदू और मुस्लिम पक्ष क्या दावा करते हैं?
हिंदू पक्ष का दावा है कि औरंगजेब ने 1670 में मंदिर को नष्ट कर दिया था। ईदगाह मस्जिद का निर्माण अवैध अतिक्रमण करके किया गया है। हिंदू प्रतीकों, मंदिर के स्तंभों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई और हिंदुओं को पूजा करने से रोका गया।

 

वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है कि इतिहास में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का कोई सबूत नहीं है। तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। 1968 के समझौते पर मंदिर ट्रस्ट को कोई आपत्ति नहीं है। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का पालन हो।

 

 क्या है 1968 का समझौता?
श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट का गठन 1946 में हुआ था। ट्रस्ट ने मुस्लिम पक्ष से समझौता कर लिया। शाही ईदगाह का प्रबंधन मुसलमानों को सौंप दिया गया। मुसलमानों को परिसर खाली करने के लिए कहा गया। मंदिर और मस्जिद की सुरक्षा के लिए एक दीवार बनाई गई थी। यह निर्णय लिया गया कि मस्जिद में मंदिर की ओर कोई खिड़की नहीं होगी। याचिकाकर्ता का दावा है कि 1968 का समझौता धोखाधड़ी है। 1968 के समझौते को रद्द करने की मांग की गई।