Supreme Court on EVM : सभी ईवीएम (EVM) के साथ वीवीपैट (VVPAT) लगाने की मांग, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने आज सभी ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीनें लगाने की मांग वाली याचिका पर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर तीन हफ्ते बाद सुनवाई करेगा। 
 
सुप्रीम कोर्ट सभी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) लगाने की मांग वाली याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि काउंटिंग के दौरान कई जगहों पर ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतें आ रही हैं, इसलिए सभी ईवीएम के साथ वीवीपैट लगाए जाने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर तीन हफ्ते बाद सुनवाई करेगा। READ ALSO:-टिहरी डैम से छोड़े जा रहे पानी को देखते हुए उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक बाढ़ का अलर्ट, बढ़ रहा गंगा का जलस्तर, हस्तिनापुर में स्थिति होगी भयावह

 

याचिका में आगामी राज्य चुनावों में सभी ईवीएम में वीवीपैट पर्चियों का 100 प्रतिशत मिलान करने की मांग की गई है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह याचिका की कॉपी चुनाव आयोग के वकील को दें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर चुनाव आयोग का भी जवाब आने दीजिए। यह याचिका गैर-सरकारी संगठन (NGO) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से दायर की गई थी।

 

आप भी जरूरत से ज्यादा संदेह कर रहे हैं- जस्टिस संजीव प्रशांत भूषण से
सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से कहा कि क्या हम कभी-कभी बहुत ज्यादा शक नहीं करने लगते हैं? आप बहुत ज्यादा संदेह कर रहे हैं। 

 

याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका में तर्क दिया गया कि प्रत्येक मतदाता को यह पुष्टि करने में सक्षम होना चाहिए कि उसका वोट डाला गया वोट के रूप में दर्ज किया गया है और रिकॉर्ड किए गए वोट के रूप में गिना गया है। इसमें कहा गया है कि ईवीएम पर बटन दबाने के बाद वीवीपैट की पर्ची एक पारदर्शी विंडो के जरिए करीब सात सेकेंड तक दिखनी चाहिए। जिससे मतदाता को पता चल सके कि उसका वोट सही जगह पड़ा है या नहीं।

 

याचिका में यह भी कहा गया है कि चुनाव आयोग ने मतदाताओं के लिए यह पुष्टि करने के लिए कोई प्रक्रिया स्थापित नहीं की है कि उनका वोट दर्ज किया गया है या नहीं। याचिका में दावा किया गया है कि आयोग की व्यवस्था में कुछ त्रुटियां हैं।