RSS के वरिष्ठ प्रचारक ने जनसंख्या पर दिया बड़ा बयान, '3-4 बच्चे पैदा करने (Population & Economy) पर ही देश का विकास होगा', 

आरएसएस (RSS) के वरिष्ठ प्रचारक और स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक सतीश कुमार ने जनसंख्या और अर्थव्यवस्था पर बड़ा बयान दिया है। उनके बयान का एक वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में वे कह रहे हैं कि अब बच्चों की संख्या दो की बजाय तीन से चार होनी चाहिए। तभी हमारा देश 2047 में विकसित बन पाएगा।
 
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद आरएसएस अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में है। मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार के बयानों ने विपक्ष को बीजेपी और पीएम मोदी को घेरने का मौका दे दिया है। अब जयपुर से आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक सतीश कुमार ने ऐसा बयान दिया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में बयानबाजी होना तलगभग तय माना जा रहाहै।READ ALSO:-UP : लखनऊ समेत 14 इलाकों में इलेक्ट्रिक बसें चलाने की तैयारी, यात्रियों का सफर होगा सुविधाजनक और आसान

 

स्वदेशी जागरण मंच की कार्यशाला को संबोधित करते हुए सतीश कुमार ने कहा कि अब दो की जगह 3-4 बच्चे पैदा करने की जरूरत है। तभी देश का विकास हो सकता है। 2047 के विकसित भारत में बुजुर्गों की बजाय युवा ज्यादा होने चाहिए। हमें 2047 की गतिशील आबादी के साथ चलना होगा।

 

युवाओं का विकसित भारत, बूढ़ों का नहीं
सतीश कुमार ने दावा किया कि उन्होंने ज्यादा बच्चों की बात यूं ही नहीं की, बल्कि दो बड़े शोध के बाद कही। शोध में पता चला कि कुछ देशों की जीडीपी क्या थी और कम आबादी के कारण जीडीपी नीचे चली गई। ऐसे में यह तय हो गया है कि 2047 में युवा और गतिशील आबादी होनी चाहिए। हम 2047 में बूढ़ों के देश के रूप में नहीं जाना चाहते।

 

सतीश कुमार ने कहा कि अगर समृद्ध और सर्वोच्च अर्थव्यवस्था होगी, तो भारत विकसित होगा। वर्तमान में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। 2025 में हम चौथे और 2026 के बाद तीसरे नंबर पर आ जाएंगे, लेकिन तीसरे से दूसरे और दूसरे से पहले नंबर पर आने में समय लगेगा। वर्ष 2047 में भारत दुनिया की नंबर वन अर्थव्यवस्था बन जाएगा। एक आर्थिक रिपोर्ट कहती है कि अगर देश की युवा शक्ति को पूरी तरह रोजगार मिल जाए तो अर्थव्यवस्था 40 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी।

 

राजनीतिक दल नौकरी को ही रोजगार मानते हैं
सतीश कुमार ने कहा कि राजनीतिक दल नौकरी को ही रोजगार मानते हैं, जबकि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए युवाओं को स्वदेशी रोजगार मिलना चाहिए। ऐसे में हमारा प्रयास स्टार्टअप शुरू करने का है। नौकरियां दस फीसदी से भी कम हैं जबकि 90 फीसदी युवाओं को नौकरी नहीं मिलती। राजनीतिक दल और सरकारें नैरेटिव चलाती हैं, यही समस्या को देखने का नजरिया है। शिक्षा को रोजगार से जोड़ना जरूरी है।