भारत में पहले से कम बच्चे पैदा कर रहे मुस्लिम फिर भी 60 साल में आबादी 4% बढ़ी, इतनी ही हिंदू आबादी घटी

 वॉशिंगटन डीसी स्थित गैर-लाभकारी एजेंसी प्यू रिसर्च सेंटर (pew research) ने भारत में धार्मिक आबादी पर एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है।

 
आजादी से अब तक भारत में मुस्लिमों की आबादी में 4% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि हिंदुओं की आबादी में इतनी ही कमी आई है। हालांकि 1951 के बाद से अब तक देश की धार्मिंक संरचना में यह बदलाव बेहद मामूली है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की 1.2 अरब की जनसंख्या में 94 प्रतिशत लोग हिंदू और मुस्लिम समुदाय से आते हैं. इसके अलावा बाकी 6 प्रतिशत लोग ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन धर्म के हैं। साल 1951 में भारत की आबादी लगभग 36 करोड़ थी, दस साल पहले यानी 2011 में हुई जनगणना में भारत की आबादी बढ़कर 321 करोड़ हो चुकी थी।
वॉशिंगटन डीसी स्थित गैर-लाभकारी एजेंसी प्यू रिसर्च सेंटर (pew research) ने भारत में धार्मिक आबादी पर एक रिपोर्ट तैयार की है। इस स्टडी में प्यू रिसर्च सेंटर ने देश की धार्मिक संरचना में बदलाव और इन बदलाव के कारणों को पता लगाने की कोशिश की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई लगभग सभी धार्मिक समूहों की प्रजनन दर में काफी कमी आई है। भारत में सबसे ज्यादा हिंदुओं की आबादी है और आम धारणा है कि मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है लेकिन इस रिपोर्ट में 1992 से 2015 के बीच के आंकड़ों को सामने रखते हुए बताया गया है कि सभी धार्मिक समूहों में प्रजनन दर (बच्चों की संख्या) में कमी आई है। Read Also : मदरसे से मेरठ कॉलेज, फिर PMT में 57वीं रैंक, लेकिन MBBS छोड़ उलेमा में हुए शामिल; अब धर्मांतरण रैकेट में आया नाम

 

 

एक औसत भारतीय महिला की प्रजनन दर अब 2.2 हो चुकी है. ये भले ही अमेरिका(1.6) से कम हो लेकिन साल 1992 के भारत (3.4) और साल 1951 के भारत (5.9) से काफी कम है। इसे ऐसे समझिए कि 1992 में एक मुस्लिम महिला के 4 से ज्यादा बच्चे होते थे लेकिन यह आंकड़ा घटकर 2015 में 2 से ज्यादा आ गया है। इसी तरह हिंदुओं में 3 से ज्यादा बच्चे पैदा होने का आंकड़ा अब 2.1 रह गया है। ईसाई 2.9 से घटकर 2, बौद्ध 2.9 से घटकर 1.7, सिख 2.4 से घटकर 1.6 और जैन 2.4 से घटकर 1.2 आ गया है। हालांकि यह भी गौर करने वाली बात है कि सभी धार्मिक समूहों की तुलना करें तो मुस्लिम ज्यादा बच्चे पैदा कर रहे हैं।

 

आजादी के बाद कितनी बढ़ी हिंदू- मुस्लिम आबादी

  • प्यू रिपोर्ट के मुताबिक 1951 और 2011 के बीच भारत की कुल आबादी तीन गुने से ज्यादा बढ़ी है। हालांकि 1990 के दशक से ग्रोथ रेट घटी है।
  • साल 1951 में भारत की जनसंख्या 36.1 करोड़ थी, जो साल 2011 आते-आते 120 करोड़ पहुंच गई।
  • हिंदुओं की आबादी 1951 में 30.4 करोड़ थी जो 96.6 करोड़ पहुंच गई जबकि 3.5 करोड़ मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 17.2 करोड़ हो गई। ईसाइयों की संख्या 80 लाख से बढ़कर 2.8 करोड़ पहुंच गई। इसी तरह से दूसरे धार्मिक समूहों की आबादी में भी वृद्धि देखी गई है।
  • पिछले 60 सालों में भारत की जनसंख्या में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी में 4% की वृद्धि हुई जबकि हिंदू हिस्सेदारी में लगभग इतनी ही गिरावट आई।

 

भारत की आबादी में 79.8 प्रतिशत हिंदू

भारत के छह सबसे बड़े धार्मिक समूह विभाजन के बाद से अपेक्षाकृत स्थिर रहे हैं। भारत की आबादी में 79.8 प्रतिशत हिंदू और 14.2 प्रतिशत मुसलमान हैं। बाकी 6 प्रतिशत में ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन आते हैं। मुसलमानों की आबादी में मामूली वृद्धि हुई है, साथ ही हिंदुओं की आबादी में भी गिरावट आई है। 1951 और 2011 के बीच, मुसलमानों की जनसंख्या में 4.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 10.2% से बढ़कर 14.2% हो गए, जबकि हिंदू 4.3% की गिरावट के साथ 83.8% से घटकर 79.8% हो गए।

 

1951 और 1961 के बीच, मुस्लिम आबादी में 32.7% की वृद्धि हुई, जो भारत की 21.6% की समग्र दर से 11% प्रतिशत अधिक है। लेकिन यह अंतर कम हो गया है। 2001 से2011 तक, मुसलमानों (24.7%) और भारतीयों (17.7%) के बीच वृद्धि में अंतर 7 प्रतिशत अंक था। भारत की ईसाई आबादी सबसे हालिया जनगणना के दशक में तीन सबसे बड़े समूहों की सबसे धीमी गति से बढ़ी - 2001 और 2011 के बीच 15.7% की वृद्धि, विभाजन के बाद के दशक में दर्ज की गई वृद्धि दर (29.0%) की तुलना में बहुत कम है।

 

भारत में जनसंख्या बढ़ने का सीधा कनेक्शन महिलाओं की शिक्षा से जुड़ा है। महिलाएं जितनी ज्यादा शिक्षित होती हैं बच्चों की संख्या कम होती है। शिक्षित महिलाएं अक्सर करियर में सेटल होने के बाद शादी करती हैं और कम शिक्षित महिलाओं की तुलना में उनका बच्चा काफी समय बाद पैदा होता है। इसके अलावा आर्थिक स्थिति की बात की जाए तो आमतौर पर गरीब परिवारों के अधिक बच्चे होते हैं ताकि वे घर के कामों और आय के संसाधनों में हाथ बंटा सकें। मुस्लिमों में प्रजनन दर बाकी धार्मिक समूहों से ज्यादा है लेकिन हाल के दशकों में इसमें गिरावट देखी गई है।
 

धर्मांतरण और माइग्रेशन का ज्यादा असर नहीं

संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में अनुमान लगाया था कि 17.5 मिलियन लोग जो भारत में पैदा हुए, बाहर रहने लगे और 5.2 मिलियन ऐसे भी लोग हैं जो विदेश में पैदा हुए और भारत में रहते हैं। और उस साल भारत की आबादी में इनका आंकड़ा 0.4 प्रतिशत था। करीब 30 हजार भारतीयों पर किए गए सर्वे में कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने बचपन में धर्मांतरण किया था। 99 प्रतिशत वयस्क जो हिंदू थे और अब भी हिंदू हैं। मुस्लिम परिवार में जन्मे 97 प्रतिशत वयस्क अब भी मुस्लिम हैं और 94 प्रतिशत लोग ईसाई परिवार में जन्मे और अब भी ईसाई हैं। अगर धर्मांतरण का आंकड़ा देखें तो 0.7 प्रतिशत लोग हिंदू परिवार में जन्मे और अब उनकी पहचान हिंदू नहीं है जबकि 0.8 प्रतिशत दूसरे धर्म के लोग थे और अब हिंदू हैं। ऐसे में भारत की विशाल आबादी को देखते हुए प्रवास या धर्मांतरण की भूमिका नगण्य है।

 

दुनिया के 94 प्रतिशत हिंदुओं का घर है भारत

भारत दुनिया के 94 प्रतिशत हिंदुओं का घर है। नेपाल के अलावा भारत दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू बहुल देश है। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में दुनिया के कई देशों से ज्यादा मुस्लिम आबादी निवास करती है। इंडोनेशिया (2010 में 20.9 करोड़ मुस्लिम आबादी) के बाद सबसे ज्यादा मुसलमान भारत में ही रहते हैं। पाकिस्तान की मुस्लिम आबादी भी मोटे तौर पर भारत के बराबर ही है। बांग्लादेश का चौथा नंबर आता है, वहां 13.4 करोड़ मुसलमान रहते हैं।

 

किस राज्य में मुस्लिम और कहां ईसाई हैं बहुसंख्यक

उत्तर प्रदेश (20 करोड़), महाराष्ट्र (11.2 करोड़), बिहार (10.4 करोड़) समेत भारत के 35 राज्यों में से 28 में हिंदू बहुसंख्यक हैं। मुस्लिम लक्षद्वीप और जम्मू-कश्मीर (1.3 करोड़) में बहुसंख्यक हैं। नगालैंड (20 लाख), मिजोरम (10 लाख) और मेघालय (30 लाख)- इन राज्यों में ईसाई बहुसंख्यक हैं। पंजाब अकेला ऐसा राज्य हैं, जहां सिख बहुसंख्यक हैं। 2011 की जनगणना में पंजाब में सिखों की आबादी 1.6 करोड़ थी।

 

उत्तराखंड में घट रहे हिंदू, बढ़ रही मुस्लिम आबादी

  • पश्चिम बंगाल (जनसंख्या 9.1 करोड़) में, हिंदू हिस्सेदारी 2 प्रतिशत घटकर 71% हो गई, और मुस्लिम 2% बढ़कर 27% हो गए।
  • पंजाब (2.8 करोड़) में, सिख बहुसंख्यक 2 अंक घटकर 58% हो गए।
  • केरल (3.3 करोड़) में, मुस्लिम 2 अंक बढ़कर 27% हो गए।
  • उत्तराखंड (1 करोड़) में, हिंदू हिस्सेदारी 2 प्रतिशत घटकर 83% हो गई, जबकि मुस्लिम आबादी 2 अंक बढ़कर 14% हो गई।