मोदी सरकार ने आखिरकार बेच ही दी Air India! Tata Group ने खरीदी एयर इंडिया, 68 पहले टाटा ने ही इसे शुरू किया था

एयर इंडिया की बिक्री के लिए लगी दोनों बोलियों में टाटा एंड संस (Tata & Sons Buy Air India) की बोली को स्वीकार किया गया है। यानि 68 साल बाद एयर इंडिया फिर से अपने पुराने मालिक के पास चली गई।

 
मोदी सरकार (Modi Goverment) ने आखिरकार एयर इंडिया (Air India) को बेच ही दिया। कभी एयर इंडिया (Air India Sale) को शुरू करने वाले टाटा ग्रुप (Tata Group) ने एयर इंडिया को खरीद (Who is Air india Buyer) लिया। यानि 68 साल बाद एयर इंडिया फिर से अपने पुराने मालिक के पास चली गई। अब जल्दी ही कंपनी के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इसकी घोषणा जल्द कर सकती है। दिसंबर तक टाटा को एयर इंडिया का मालिकाना हक मिल सकता है।

 

 TATA Group  ने लगाई 3 हजार करोड़ रुपए ज्यादा की बोली

हांलाकि अभी नागरिक उड्डयन मंत्रालय से इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सिविल एविएशन मिनिस्ट्री  के सूत्रों के मुताबिक एयर इंडिया की बिक्री के लिए लगी दोनों बोलियों में टाटा एंड संस (Tata & Sons Buy Air India) की बोली को स्वीकार किया गया है। टाटा ग्रुप (Tata Group) और स्पाइसजेट (SpiceJet) के चेयरमैन अजय सिंह ने एयर इंडिया को खरीदने के लिए करीबन आखिरी बोली लगाई थी, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया।  Read Also:LPG Cylinder Price: तेल कंपनियों ने फिर बढ़ाए LPG सिलेंडर के दाम, Rs.43.50 हुआ महंगा; यहां चेक करें अपने शहर के रेट्स

 

इस डील मे एयर इंडिया का मुंबई में स्थित हेड ऑफिस (Air India Mumbai Office) और दिल्ली का एयरलाइंस हाउस (Airline) भी शामिल है। मुंबई के ऑफिस की मार्केट वैल्यू 1,500 करोड़ रुपए से ज्यादा है। मौजूदा समय में एअर इंडिया देश में 4,400 और विदेशों में 1,800 लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट कंट्रोल करती है। Read ALso :Education Loan: कैसे, किसे और कितना मिलेगा एजुकेशन लोन, ब्याज दर से लेकर रिपेमेंट तक की डिटेल

 

रिजर्व प्राइस 15 से 20 हजार करोड़ रुपए था

सरकार ने एयर इंडिया में 100% हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर खोले थे। इसके साथ ही इसकी दूसरी कंपनी एयर इंडिया सैट्स (AISATS) में 50% हिस्सेदारी भी बेची जानी थी। इसका का रिजर्व प्राइस 15 से 20 हजार करोड़ रुपए तय किया गया था। इसके लिए बनाई गई कमेटी में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, कॉमर्स मंत्री पीयूष गोयल और एविएशन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं। इसी कमेटी ने टाटा की बोली को स्वीकार कर लिया है।

 

1932 में TATA Group ने शुरू की थी एयर इंडिया

1932 में टाटा ग्रुप ने ही एअर इंडिया को शुरू किया था। टाटा समूह के जेआरडी टाटा इसके फाउंडर थे। वे खुद पायलट थे, हालांकि जब यह शुरू हुई थी तब इसका नाम टाटा एयर सर्विस था। 1938 तक कंपनी ने अपनी घरेलू उड़ानें शुरू कर दी थीं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद 29 जुलाई 1946 को इसे सरकारी कंपनी बनाते हुए पब्लिक लिमिटेड कर दिया गया था। वहीं आजादी के बाद 1953 में सरकार ने इसमें 49% हिस्सेदारी खरीदी।

 

2009 से घाटे में ही रही Air India

साल 2007 में इसका इंडियन एयरलाइंस में विलय कर दिया गया था, जिसके बाद से यह घाटे में ही रही।  मार्च 2021 में खत्म तिमाही में एयर इंडिया को लगभग 10,000 करोड़ रुपए का घाटा होने की आशंका जताई गई। कंपनी पर 31 मार्च 2019 तक कुल 60,074 करोड़ रुपए का कर्ज था, लेकिन अब टाटा संस को इसमें से 23,286.5 करोड़ रुपए के कर्ज का बोझ उठाना होगा।

 

माटे कर्ज से दबी है Air india

लगातार घाटे और कर्जे में डूब रही एयर इंडिया को सरकार साल 2000 से बेचने की योजना बना रही थी, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिल रहा था। एयर इंडिया को बेचने की काेशिश सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी (राजग) सरकार ने साल 2000 में की थी। उस समय 27 मई 2000 को सरकार ने एयर इंडिया में 40% हिस्सा बेचने का फैसला किया था। इसके अलावा 10% हिस्सा कर्मचारियों को शेयर देने के रूप में और 10% घरेलू वित्तीय संस्थानों को देने का फैसला किया था।

 

2018 में एयर इंडिया में 76% हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार ने टेंडर मांगे थे, लेकिन सरकार इसका मैनेजमेंट कंट्रोल अपने पास रखने की शर्त रख रही थी, जिसके चलते किसी ने इसे खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके बाद सरकार ने मैनेजमेंट कंट्रोल के साथ इसे 100% बेचने का फैसला किया।