Mission Raftaar: दिसंबर से शिमला-कालका रूट पर दौड़ेगी हाइड्रोजन ट्रेन, रफ्तार का 'कवच' बनेगा प्रोजेक्ट कवच

Mission Raftaar को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उत्तर रेलवे पूरी मुस्तैदी दिखा रहा है। रोजाना 15 लाख यात्रियों को 1926 ट्रेनों से सफर कराने वाला जोन अपनी तमाम योजनाओं में तेजी ला रहा है। रेलवे ने इस वित्त वर्ष में सेमी हाई स्पीड चलाने का लक्ष्य रखा है।
 
रेलवे प्रशासन मिशन रफ्तार की अपनी योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कमर कस चुका है। दस महीने के भीतर दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-हावड़ा रूट पर 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ने लगेंगी। इससे पहले इस रफ्तार से ट्रेनों की सुरक्षित निकासी के लिए रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ दीवार तैयार करेगा। साथ ही प्रोजेक्ट कवच भी पूरा किया जाएगा। इसके अलावा दो अहम प्रोजेक्ट भी इसी बीच पूरे होने हैं। रेलवे इस साल दिसंबर तक कालका-शिमला रूट पर अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन शुरू करेगा। जबकि जनवरी 2024 में चिनाब ब्रिज से ट्रेन चलने लगेगी। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधरी के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष में कश्मीर घाटी में बन रहे दुनिया के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज चिनाब पर ट्रेन चलने लगेगी। पहली हाइड्रोजन ईंधन वाली ट्रेन सहित अन्य परियोजनाएं भी मिशन मोड में हैं।READ ALSO:-मेरठ-गाजियाबाद में दक्षिण कोरिया की तर्ज पर खुलेगा वर्चुअल स्टोर, देश में पहली बार RapidX स्टेशनों पर मिलेगी सुविधा, QR कोड से ऑर्डर करते ही घर पहुंच जाएगा सामान

 

दरअसल उत्तर रेलवे मिशन रफ्तार को अंजाम तक पहुंचाने के लिए पूरी मुस्तैदी दिखा रहा है। रोजाना 15 लाख यात्रियों को 1926 ट्रेनों से सफर कराने वाला जोन अपनी तमाम योजनाओं में तेजी ला रहा है। रेलवे ने इस वित्त वर्ष में सेमी हाई स्पीड चलाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए कवच नामक उन्नत सिग्नलिंग सिस्टम लगाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से उत्तरी जोन से गुजरने वाली ट्रेनों को हादसों से बचाया जा सकेगा। इसके अलावा रेलवे ट्रैक के दोनों ओर फेंसिंग का काम भी पूरा किया जाएगा। इससे ट्रैक पर इंसान समेत जानवरों की आवाजाही बंद हो जाएगी। नतीजतन, हाई स्पीड ट्रेनों की आवाजाही में कोई बाधा नहीं होगी। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक ने सहमति व्यक्त की कि दोनों परियोजनाओं को इसी वित्तीय वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा।

 

चिनाब ब्रिज : उपयोगी साबित होगा प्रोजेक्ट
भारतीय रेलवे कश्मीर घाटी को रेल नेटवर्क से जोड़ने का काम कर रही है, ताकि कन्याकुमारी से कश्मीर तक सीधी ट्रेन चलाई जा सके। इसके लिए कश्मीर घाटी में दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल चिनाब बनाया जा रहा है। यह परियोजना क्षेत्र के लिए भी उपयोगी साबित होगी। कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला सदाबहार रेल संपर्क एक बेहतर विकल्प साबित होगा। पुल को 266 किमी प्रति घंटे की हवा की गति के लिए डिजाइन किया गया है।

 

USBRL प्रोजेक्ट 
कुल 272 किलोमीटर की USBRL परियोजना में से 161 किलोमीटर का ट्रैक तीन चरणों में पूरा किया जा चुका है। इसका 118 किलोमीटर लंबा बारामूला-काजीगुंड का पहला चरण 2009 में, 18 किलोमीटर काजीगुंड-बनिहाल का दूसरा चरण 2013 में, तीसरा चरण 25 किलोमीटर उधमपुर-कटरा का वर्ष 2014 में पूरा हुआ। 272 किलोमीटर लंबी इस परियोजना को वर्ष 2002 में राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित किया गया था। इस योजना के तहत देश के पहले केबल स्टे ब्रिज अंजी ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है। भारतीय रेलवे कश्मीर घाटी को बाकी रेलवे नेटवर्क से जोड़ने के करीब पहुंच रहा है।