'मैं बच्चा पैदा करना चाहती हूं, मेरे पति को जमानत दे दीजिये', महिला ने हाई कोर्ट में लगाई याचिका
महिला ने मां बनने के लिए कोर्ट से अपने पति को रिहा करने की मांग की है। इसके लिए कोर्ट ने 5 डॉक्टरों की एक टीम बनाने का आदेश दिया है जो यह पता लगाएगी कि महिला गर्भधारण कर सकती है या नहीं और वह मेडिकली फिट है या नहीं। कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को करेगा।
Nov 2, 2023, 13:43 IST
कई बार कोर्ट में बेहद अजीबो-गरीब याचिकाएं दायर की जाती हैं। हम आपको एक ऐसी ही याचिका के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे सुनने के बाद आप जरूर सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। जहां एक महिला ने बच्चा पैदा करने के लिए अपने पति की रिहाई की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की है। READ ALSO:-उत्तर प्रदेश : गर्दन कटी और कई टुकड़ों में दलित महिला का निवस्त्र हालत में मिला शव, बेटी बोली-गैंग रेप कर टुकड़े-टुकड़े कर दिए
ये मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर का है। जहां एक महिला बच्चे को जन्म देकर मां बनना चाहती है। महिला का कहना है कि मां बनना उसका मौलिक अधिकार है। लेकिन महिला का पति जेल में है। इसके लिए महिला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने पति की रिहाई की गुहार लगाई है।
महिला की याचिका पर न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन को पांच डॉक्टरों की एक टीम बनाने का निर्देश दिया। ताकि महिला की जांच कर यह पता लगाया जा सके कि वह गर्भधारण करने के लिए चिकित्सकीय रूप से फिट है या नहीं।
सरकारी वकील सुबोध कथार के मुताबिक, महिला का पति एक आपराधिक मामले में जेल में है और महिला मां बनना चाहती है। इसके लिए उसने अपने पति की रिहाई के लिए याचिका दायर की है। इस मामले में, महिला ने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार बच्चा पैदा करने के अपने मौलिक अधिकार का दावा किया। वकील ने कहा कि कोर्ट ने महिला की याचिका पर 27 अक्टूबर को आदेश पारित किया था।
महिला के गर्भधारण की संभावना नहीं है
इसके साथ ही वकील ने यह भी बताया कि महिला के रिकॉर्ड के मुताबिक वह रजोनिवृत्ति की उम्र पार कर चुकी है। ऐसी स्थिति में उसके कृत्रिम या प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने की कोई संभावना नहीं है। इसके लिए कोर्ट ने विशेषज्ञों की एक टीम बनाकर महिला का चेकअप करने का आदेश दिया है, ताकि पता चल सके कि महिला गर्भधारण कर सकती है या नहीं। कोर्ट ने महिला को 7 नवंबर को डीन के सामने पेश होने का निर्देश दिया है।
इसके साथ ही वकील ने यह भी बताया कि महिला के रिकॉर्ड के मुताबिक वह रजोनिवृत्ति की उम्र पार कर चुकी है। ऐसी स्थिति में उसके कृत्रिम या प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने की कोई संभावना नहीं है। इसके लिए कोर्ट ने विशेषज्ञों की एक टीम बनाकर महिला का चेकअप करने का आदेश दिया है, ताकि पता चल सके कि महिला गर्भधारण कर सकती है या नहीं। कोर्ट ने महिला को 7 नवंबर को डीन के सामने पेश होने का निर्देश दिया है।
अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी
कोर्ट के आदेश के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन 5 डॉक्टरों की एक टीम बनाएंगे जिसमें 3 स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक मनोचिकित्सक और एक एंडोक्राइनोलॉजिस्ट शामिल होंगे। पांच डॉक्टरों की टीम महिला की गहन जांच करेगी और डीन 15 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेंगे। इस मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी।
कोर्ट के आदेश के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन 5 डॉक्टरों की एक टीम बनाएंगे जिसमें 3 स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक मनोचिकित्सक और एक एंडोक्राइनोलॉजिस्ट शामिल होंगे। पांच डॉक्टरों की टीम महिला की गहन जांच करेगी और डीन 15 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेंगे। इस मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी।