कृष्ण जन्माष्टमी 6 और 7 सितंबर दोनों को, ज्योतिषीय योग में कृष्ण जन्म 6 सितंबर की रात को, 7 को द्वारका, मथुरा और श्रीनाथजी में मनाया जाएगा
अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर करीब 3.30 बजे शुरू होगी और 7 सितंबर को शाम 4 बजे तक रहेगी। श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की रात को हुआ था, इसलिए ज्योतिष और शास्त्र 6 तारीख को जन्माष्टमी मनाने की सलाह देते हैं।
Sep 5, 2023, 14:05 IST
इस साल जन्माष्टमी 6 और 7 सितंबर दोनों दिन मनाई जाएगी। ज्योतिषियों का मानना है कि कृष्ण जन्मोत्सव 6 तारीख की रात को ही मनाया जाना चाहिए, क्योंकि इस रात तिथि और नक्षत्र का वही संयोग बन रहा है, जो द्वापरयुग में बना था। वहीं, वैष्णव संप्रदाय के अनुसार द्वारका, वृन्दावन और मथुरा समेत बड़े कृष्ण मंदिरों में यह उत्सव 7 तारीख को मनाया जाएगा 7 से 8 तारीख के बीच रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार यह भगवान श्रीकृष्ण की 5250वीं जयंती है।READ ALSO:-G20 डिनर कार्ड पर INDIA की जगह President Of Bharat , G20 मेहमानों को राष्ट्रपति के न्योता देने पर सियासी घमासान!
अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर करीब 3.30 बजे शुरू होगी और 7 सितंबर को शाम 4 बजे तक रहेगी। श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की रात को हुआ था, इसलिए ज्योतिष और शास्त्र 6 तारीख को जन्माष्टमी मनाने की सलाह देते हैं। 7 तारीख को सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि होगी, इसलिए उदया तिथि की परंपरा के अनुसार अधिकांश मंदिरों में इसी दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इस लिहाज से देश के ज्यादातर हिस्सों में 7 सितंबर को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के डीन प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री कहते हैं कि व्रत और त्योहारों की तिथि तय करने के लिए धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु नामक ग्रंथों की मदद ली जाती है। इन दोनों ग्रंथों में जन्माष्टमी के लिए कहा गया है कि जब आधी रात के समय अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र हो तो कृष्ण जन्मोत्सव मनाना चाहिए। 6-7 सितंबर की रात में कृष्ण का जन्म मनाएं, क्योंकि शिवरात्रि और दिवाली की तरह ही जन्माष्टमी भी आधी रात को मनाई जाती है. बनारस में 6 सितंबर को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि इस बार कृष्ण जन्मोत्सव पर अष्टमी तिथि, बुधवार और रोहिणी नक्षत्र होने से जयंती योग बन रहा है। द्वापर युग में कृष्ण के जन्म पर भी ऐसा संयोग बना था। इस दिन शश, लक्ष्मी, सरल, उभयचारी और दामिनी नाम के 5 राजयोग भी रहेंगे।
अष्टमी तिथि 6 तारीख को दोपहर 3.30 बजे से शुरू हो जाएगी, लेकिन अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र 6-7 की दरमियानी रात को रहेगा। इसी संयोग को कृष्ण का जन्म माना जाता है।
जन्माष्टमी 7 सितंबर को क्यों?
6 सितंबर को सूर्योदय होने पर सप्तमी तिथि होगी। 7 तारीख को सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि होगी, इसे उदया तिथि कहा जाता है। कई मामलों में उदया तिथि का ज्योतिषीय गणना में महत्व होता है। इस लिहाज से 6 तारीख को सप्तमी तिथि और 7 तारीख को अष्टमी तिथि मानी जाएगी।
6 सितंबर को सूर्योदय होने पर सप्तमी तिथि होगी। 7 तारीख को सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि होगी, इसे उदया तिथि कहा जाता है। कई मामलों में उदया तिथि का ज्योतिषीय गणना में महत्व होता है। इस लिहाज से 6 तारीख को सप्तमी तिथि और 7 तारीख को अष्टमी तिथि मानी जाएगी।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हिंदू कैलेंडर की तारीखें अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नहीं होती हैं। अक्सर तारीखें दोपहर या शाम को शुरू होती हैं और अगले दिन तक जारी रहती हैं। जिन तिथियों में दिन भर व्रत रखकर पूजा करने का महत्व है, वे तिथियां अधिकतर उदया तिथि में मनाई जाती हैं। जिन तिथियों में रात्रि पूजा का महत्व अधिक होता है उनमें उदया तिथि का महत्व नहीं देखा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि दिवाली में एक दिन पहले अमावस्या शुरू हो गई है, तो उदया तिथि पर अमावस्या के बजाय, एक दिन पहले की अमावस्या पर रात में लक्ष्मी पूजा की जाएगी।